जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। 5 अगस्त से कश्मीर में लगीं पाबंदियों को लेकर भी कोर्ट ने सुनवाई की। एमडीएमके के अध्यक्ष वाइको ने नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की रिहाई को लेकर याचिका दाखिल की थी। जिसपर अदालत ने केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर को नोटिस जारी किया। इसके अलावा कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक ने घाटी में समाचार पत्र निकालने को लेकर हो रही परेशानी पर याचिका दायर की थी। वहीं एक याचिका में दावा किया गया था कि घाटी के लोगों को चिकित्सा सेवाएं नहीं मिल रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कश्मीर में अगर या कथित बंद है तो उससे जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट निपट सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य जीवन बहाल किया जाए और ऐसा करते समय नेशनल सेफ्टी और सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाए। कोर्ट ने भारत और जम्मू-कश्मीर सरकार को मामले में एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है। मामले में अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भारत सरकार की ओर से पेश हुए और कोर्ट को उन्होंने बताया कि मीडिया पेशेवरों को उनके काम के लिए लैंडलाइन और कई अन्य संचार सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रतिबंधित इलाकों में पहुंच के लिए मीडिया को पास दिए गए हैं और पत्रकारों को फोन और इंटरनेट की सुविधा भी मुहैया कराई गई हैं। कश्मीर स्थित सभी समाचार पत्र चल रहे हैं और सरकार हरसंभव मदद मुहैया करा रही है।’
सीजेआई ने कहा- मैं खुद श्रीनगर जाऊंगा
वहीं उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से इस आरोप पर रिपोर्ट मांगी है कि लोगों को उच्च न्यायालय से संपर्क करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है। सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अगर लोग उच्च न्यायालय से संपर्क करने में असमर्थ हैं तो यह बेहद गंभीर है, मैं खुद श्रीनगर जाऊंगा। सीजेआई ने एक याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की रिपोर्ट इससे उलट बताती है तो परिणाम के लिए तैयार रहें।
गुलाम नबी आजाद को मिली चार जिलों की यात्रा करने की इजाजत
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यनमंत्री गुलाम नबी आजाद को श्रीनगर, बारामूला, अनंतनाग और जम्मू जाने की इजाजत दे दी है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, ‘जो उन्होंने लिखित में दिया है उसके अनुसार वह कोई भाषण नहीं देंगे और न ही कोई सार्वजनिक रैली करेंगे। अपनी यात्रा के दौरान आजाद लोगों के साथ बातचीत कर सकते हैं।
मुझे जम्मू-कश्मीर के लोगों की चिंता, वापस आकर उच्चतम न्यायालय को सौंपूगा रिपोर्ट: आजाद
जम्मू-कश्मीर के दौरे की इजाजत देने के लिए उच्चतम न्यायालय का धन्यवाद करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को कहा कि उन्हें राज्य के लोगों की चिंता है और वापस आकर वह शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। आजाद ने संवाददाताओं से कहा कि मुझे भी चिंता है कि जम्मू-कश्मीर में टेलीफोन और इंटरनेट सेवाएं होनी चाहिए। लेकिन उससे पहले प्राथमिकता यह है कि लोग जिंदा रहने के लिए कमाएं और अपने परिवार को खिलाएं।
उन्होंने दावा किया कि भाजपा के नेताओं को छोड़कर दूसरे दलों के नेताओं को नजरबंद किया गया। कौन आवाज उठाएगा? इसलिए मैं उच्चतम न्यायालय की शरण में गया। सरकार इसको लेकर चिंतित नहीं है।
वाइको की याचिका पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर को जारी हुआ नोटिस
उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को न्यायालय के समक्ष पेश किए जाने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन से सोमवार को जवाब मांगा। अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा रद्द किए जाने के बाद से कथित रूप से हिरासत में हैं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे एवं न्यायमूर्ति एस ए नजीर की पीठ ने केंद्र और राज्य को नोटिस जारी किया और राज्यसभा सांसद एवं एमडीएमके नेता वाइको की याचिका पर सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की।
वाइको ने कहा कि वह पिछले चार दशकों से अब्दुल्ला के निकट मित्र हैं। वाइको ने दावा किया कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता को ‘बिना किसी कानूनी अधिकार के अवैध हिरासत’ में लेकर, उन्हें संविधान के तहत प्रदत्त अधिकारों से वंचित रखा गया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए चयनात्मक आधार पर प्रतिबंध हटाए जाएंगे।