-प्रत्येक वर्ष भारत में 630 करोड़ फेंके हुए टेट्रा पैक एकत्र नहीं किए जाते हैं
-भारत में प्लौस्टिक अपरशिष्टं का 42 प्रतिशत बहु-परतीय पैकेजिंग से निकलता है
-मल्टीा मैटेरियल पैकेजिंग धरती पर खतरनाक रसायनों को छोड़ने के लिए अधिक संवेदनशील है
जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । गैर सरकारी संगठन पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच ने मांग की है कि टेट्रा पैक को सिंगल यूज प्लास्टिक माना जाना चाहिए और इस पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। टेट्रा पैक्स को पॉलीथिन प्लास्टिक (20 %), कागज (75%) और एल्यूमिनियम (5%) की पतली परतों को आपस में चिपकाकर बनाए जाता है, जिसके कारण इन्हें पृथक कर पुनर्चक्रित करना काफी कठिन है। अनुमान के अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष 900 करोड़ टेट्रा पैक का इस्तेमाल किया जाता है जिनमें से मात्र 270 करोड़ (30%) पैकेट ही पुनर्चक्रित किए जाते हैं – ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टीईआरआई) । बचे हुए 630 करोड़ पैकेट्स जोकि 94500 मेट्रिक टन कचरे के बराबर हैं (15 ग्राम प्रति पैक), हर साल कचरा भराव क्षेत्रों और पानी को प्रदूषित करते हैं।
भारत में प्रत्येक मिनट लगभग 15,000 टेट्रा पैक खरीदे और फेंके जाते हैं। विश्व की सबसे बड़ी टेट्रा पैक निर्माता कंपनी (टेट्रा पैक) द्वारा जमा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में टेट्रा पैक को पुनर्चक्रित करने के लिए मात्र चार इकाइयां आईटीसी पेपर, डीलक्स रिसाइकलिंग, ईस्टलर्न कार्गो और खातेमा फाइबर्स हैं। भारत में टेट्रा पैक्स को एकत्र करने और उन्हें पुनर्चक्रित करने की प्रणाली अत्यंत कमजोर है और पुनर्चक्रण से पूर्व परतों को अलग करने के लिए अत्यं त उच्च स्तर की तकनीक की आवश्यकता होती है। वर्तमान में भारत में प्रतिदिन इस्तेमाल किए जाने वाले टेट्रापैकध्ब्रिक्स के डिब्बों की भारी संख्या को एकत्र करने के लिए सिर्फ 33 कलेक्शटन सेंटर काम कर रहे हैं। टेट्रा पैक संगठन 2010 से ‘गो ग्रीन’ मुहिम चला रहा है लेकिन अब तक मात्र 26 लाख फेंके हुए टेट्रा पैक ही एकत्र कर सका है।
श्री विनोद शुक्ला, अध्यक्ष, पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच और स्वर्गीय दीनदायल उपाध्याय जी के भतीजे ने कहा “भारतीय नागरिक, कार्पोरेट्स और अन्य सहभागी टेट्रा पैक द्वारा पर्यावरण के लिए नुकसान पहुंचाने वाले प्रभावों के बारे में जागरूक नहीं हैं। हममें से अधिकतर सोचते हैं कि टेट्रा पैक कागज से बनाए जाते हैं और इसलिए वे पर्यावरण के प्रति अनुकूल हैं लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। यह ऐसी पैकेजिंग है जिसमें कई सामग्रियों का प्रयोग होता है और इस कारण इसे पुनर्चक्रित करना काफी कठिन है। इनका घर पर दोबारा इस्तेमाल नहीं हो सकता है और पुनर्चक्रण श्रृंखला में इसकी कीमत मामूली है इसलिए ये कचरे में से एकत्र नहीं किये जाते और पानी और धरती में हानिकारक पदार्थ छोड़ते हैं। सरकार को तुरंत इस सामग्री को प्रतिबंधित कर देना चाहिए। इसके साथ ही उद्योगों और वैज्ञानिकों को चिप्सध्बिस्कुटध्चॉकलेट रैपर्स जैसी अन्यक बहुपरतीय पैकेजिंग सामग्री के विकल्पों को तलाशना चाहिए, जिन्हेंृ व्याकवहारिक विकल्पों की अनुपस्थिति के कारण सरकार द्वारा अब तक प्रतिबंधित नहीं किया गया है।”
उन्होंथने आगे बताया, “वर्तमान में भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट में से 42 फीसदी बहु-परतीय पैकेजिंग द्वारा होता है। टेट्रा पैक, चिप्स चॉकलेट निर्माताओं को विस्तृत उत्पादक जिम्मेदारी (ईपीआर) मॉडल का पालन करते हुए प्रत्येक आखिरी पैक रैपर को जमा करने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए ताकि मिट्टी और पानी के स्रोतों में रसायनों को जाने से रोका जा सके। टेट्रा पैक के निर्माण में प्रयोग आने वाला प्लास्टिक पतली पॉलीथिन बनाने में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक की तरह ही होता है जो मानव स्वास्थ्य और धरती मां के लिए अन्यंत हानिकारक होता है।”
डॉ. संजय के चट्टोपाध्या य, पूर्व अपर निदेशक, एवं प्रमुख, शोध एवं विकास,इंडियन इंस्टीीट्यूट ऑफ पैकेजिंग, मुंबई ने कहा, “टेट्रा पैक नॉन-रिसाइक्लेखबल लैमिनेट हैं और जैविक तौर पर पूरी तरह से अपघटित नहीं होते। हालांकि कागज का गत्ता जैविक तौर पर अपघटित हो जाता है लेकिन प्रिंटिंग इंक पर्यावरण में जाती है। समस्त पैकेजिंग, जिसमें प्ला्स्टिक की परत होती है, यदि लंबे समय तक पर्यापरण में पड़ी रहती है, तो यह पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य खतरों को उत्प न्नप कर सकती हैं। यदि हम इस्तेमाल के बाद पुनर्चक्रण की बात करें तो ये व्यवहारिक नहीं है कि टेट्रा पैक में मौजूद पॉलीएथलीन, कागज के गत्ते और एल्यूमिनियम की अत्यंत पतली परतों को अलग किया जा सके और इसलिए ये पुनर्चक्रण के लिए उपयुक्ता नहीं है। हालांकि, आजकल टेट्रा पैक के कागजी भाग को पृथक कर पैनल बोर्ड और छत की शीट्स जैसे पुनर्चक्रित उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन असली गुणवत्ता वाले पुनर्चक्रित उत्पाद टेट्रा पैक के तत्वों से नहीं बनाए जा सकते। इसलिए यह प्रणाली रेखीय रहती है न कि चक्रीय, जिससे इसे सस्टेतनेबल बनाया जा सके। मौजूदा समय में, आसानी से पुनर्चक्रित न होने वाली सामग्री से निपटने के लिए उपलब्धा विकल्पच उन्हें सड़क निर्माण के लिए बिटुमेन के साथ मिश्रित कर रहे हैं, ईंधन में बदल रहे हैं और जलाकर राख किये जा रहे हैं। टेट्रा पैक एक अर्द्ध ठोस पैकेजिंग सामग्री है जिसे कंपोजिट संरचना में परिवर्तित किया जा सकता है। पुनर्चक्रण के बजाय, बेहतर संरचना वाले आद्योपांत समाधान के विकल्पर पर विचार किया जा सकता है, जोकि रिकवरी में मददगार हो सकता है।”
वैश्विक तौर पर प्रत्येक वर्ष 189 बिलियन टेट्रा पैक्स का उत्पादन किया जाता है जिसमें से 26ः पुनर्चक्रित किए जाते है, अर्थात 139 बिलियन पैक्स पूरे विश्व में एकत्र नहीं किए जाते। टेट्रा पैक वैश्विक स्तर पर जूसेस, डेरी उत्पाद, एल्कोहल आदि की पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।