मृत्युंजय कुमार / नई दिल्ली । स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर नीति आयोग ने ‘स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स’ सोमवार को जारी किया है। जारी इंडेक्स में दक्षिण के राज्य केरल पहले पायदान पर है जबकि दूसरे स्थान पर उत्तर भारत का राज्य राजस्थान दूसरे स्थान पाकर शिक्षा के स्थान में महत्वपूर्ण जगह बनाने में कामयाबी हासिल की है। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के मामले में आयोग का कहना है कि हरियाणा पहले पायदान पर है जबकि असम दूसरे व उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है। हालांकि उत्तर प्रदेश गुणवत्त इंडेक्स में सबसे नीचे है। पश्चिम बंगाल ने इस इंडेक्स में भाग लेने से मना कर दिया।
खास बात यह है कि बड़े राज्यों में झारखंड 16वें और बिहार 17वें स्थान पर है और पंजाब व जम्मू कश्मीर का प्रदर्शन इन दोनों राज्यों से भी खराब है।
नीती आयोग की सूची के अनुसार शिक्षा गुणवत्ता सुधार में हरियाणा पहले पायदान पर है। हरियाणा का साल 2016 में 51 फीसदी था जो अब बढ़कर 69.58 फीसदी है जो सबसे ज्यादा है। इसी तरह असम में जहां पहले यह 39.39 फीसदी था जो बढ़कर 56.18 फीसदी हो गया है। गुणवत्ता सुधार में उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश की शिक्षा गुणवत्ता सुधार 32 फीसदी से बढ़कर 46.5 फीसदी पर पहुंच गया गया है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को सत्ता में आए मात्र ढाई साल हुए हैं। साल 2016 में अखिलेश यादव की सरकार थी। यानी योगी सरकार ने मात्र ढाई साल में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में 14.5 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की है।
अगर पहले स्थान की बता करें तो केरल पहले नंबर, राजस्थान दूसरे और कर्नाटक तीसरे स्थान पर है। झारखंड और बिहार के प्रदर्शन भी कुछ खास अच्छे नहीं हैं। और अगर पंजाब व जम्मू कश्मीर की बात करें तो ये 18वें और 19वें स्थान पर है जोकि अच्छा प्रदर्शन नहीं है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सचिव रीना रे ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय और राज्यों के साथ व्यापक विचार विमर्श के आधार पर यह रैंकिंग तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स 30 इंडीकेटर के आधार पर 20 बड़े राज्यों और आठ छोटे राज्यों की रैंकिंग की गयी है। बड़े राज्यों रैंकिंग में शीर्ष पांच स्थानों पर राजस्थान को छोड़कर शेष चार राज्य दक्षिण के काबिज हैं।
सबसे खराब प्रदर्शन वाले पांच राज्यों में झारखंड, बिहार, पंजाब, जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
रीना रे ने कहा कि यह इंडेक्स वर्ष 2016-17 के आंकड़ों के आधार पर तैयार की गयी है और इसमें स्कूली विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता बढ़ाने के प्रयासों (लर्निग आउटकम) के मूल्यांकन पर जोर दिया गया है। इसे तैयार करने में विश्व बैंक और अन्य तकनीकी विशेषज्ञों की मदद भी ली गयी है।
जिन छह मानकों पर राज्यों की रैंकिंग की गयी है उनमें शिक्षा की गुणवत्ता, शिक्षा तक पहुंच, शिक्षा के लिए ढांचागत सुविधाएं और प्रशासन जैसे इंडीकेटर शामिल हैं। राज्यों की रैंकिंग करते समय इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि स्कूलों जिस प्रकार से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, उससे वे कितना सीख रहे हैं।
जिन छोटे राज्यों की रैंकिंग अलग से की गयी है उनमें आठ राज्य-मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। इससे पूर्व नीति आयोग वाटर इंडेक्स और हैल्थ इंडेक्स पर भी राज्यों की रैंकिंग जारी कर चुका है।
जारी इंडेक्स में 20 राज्यों के स्थान निम्न प्रकार है-
केरल
राजस्थान
कर्नाटक
आंध्र प्रदेश
गुजरात
असम
महाराष्ट्र
तमिलनाडु
हिमाचल प्रदेश
उत्तराखंड
हरियाणा
उड़ीसा
छत्तीसगढ़
तेलंगाना
मध्य प्रदेश
झारखंड
बिहार
पंजाब
जम्मू कश्मीर
उत्तर प्रदेश