जनजीवन ब्यूरो / कोलकाता। गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि “मैं आपको स्पष्ट कहना चाहता हूं कि हम एनआरसी ला रहे हैं, उसके बाद हिंदुस्तान में एक भी घुसपैठिए को नहीं रहने देंगे, उन्हें चुन-चुनकर बाहर करेंगे।” उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई शरणार्थियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि केंद्र आपको भारत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं करेगा। अफवाहों पर ध्यान न दें। एनआरसी के पहले हम सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल लेकर आएंगे, जो यह सुनिश्चित करेगा कि इन लोगों को भारत की नागरिकता मिले।’’
शाह ने कहा “इसी बंगाल के सपूत डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने नारा लगाया था कि एक देश में दो प्रधान, दो विधान और दो संविधान नहीं चलेंगे। भारत मां के इस महान सपूत को गिरफ्तार किया गया था और रहस्यमय तरीके से उनकी मृत्यु हो गई।”
अमित शाह ने आगे कहा कि “श्यामा प्रसाद जी की शहादत के बाद कांग्रेस को लगा कि मामला अब समाप्त हो गया, लेकिन उन्हें पता नहीं कि हम भाजपा वाले हैं किसी चीज को पकड़ते हैं तो फिर उसे छोड़ते नहीं हैं। आपने इस बार भाजपा सरकार बनाई और हमने एक ही झटके में 370 को उखाड़कर फेंक दिया।”
शाह ने कई बार कहा है कि देश भर में एनआरसी लागू की जाएगी। वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसका विरोध करती रही हैं। उन्होंने कहा था कि वह राज्य में एनआरसी कभी लागू नहीं होने देंगी। बंगाल के भाजपा नेता ने कहा कि तृणमूल पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बचाने के लिए एनआरसी का विरोध कर रही है, जो उनके वोट बैंक हैं। असम में एनआरसी की अंतिम सूची से कई हिंदुओं को हटा दिए जाने के बाद, यह हमें हिंदू विरोधी और शरणार्थी विरोधी पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश की जा रही है।
एनआरसी पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि “मैं आपको स्पष्ट कहना चाहता हूं कि हम एनआरसी ला रहे हैं, उसके बाद हिंदुस्तान में एक भी घुसपैठिए को नहीं रहने देंगे, उन्हें चुन-चुनकर बाहर करेंगे।”
गौरतलब है कि यह सेमिनार ऐसे वक्त में हुआ जब पश्चिम बंगाल में एनआरसी के लागू होने के कथित भय से 11 लोगों की मौत हो चुकी है। इसलिए कार्यक्रम की अहमियत ज्यादा है। सैकड़ों लोग शहर और राज्य के अन्य हिस्सों में अपने जन्म प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज लेने के लिए सरकारी और नगर निकाय के दफ्तरों के बाहर कतार लगाए खड़े हैं, ताकि अगर राज्य में एनआरसी को लागू किया जाए तो उनकी तैयारी पूरी रहे।
प्रदेश भाजपा नेताओं ने कहा था कि इस सेमिनार में अमित शाह के संबोधन की अहमियत ज्यादा है, क्योंकि वह टीएमसी के सभी आरोपों और पार्टी द्वारा एनआरसी पर पैदा की गई गलतफहमियों का जवाब दे सकते हैं।
प्रदेश भाजपा के एक नेता ने बताया कि टीएमसी ने एनआरसी को लेकर राज्य में जानबूझकर दहशत पैदा करने की कोशिश की। अमित शाह जी हमें मुद्दे की स्पष्ट तस्वीर से अवगत कराएंगे और भय और सभी गलतफहमियों को दूर करेंगे।
असम, देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां एनआरसी की कवायद की गई है। एनआरसी की 31 अगस्त को प्रकाशित सूची में 19 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं हैं। इनमें से 12 लाख हिन्दू हैं। एनआरसी 1985 के असम समझौते के तहत और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई है।