जनजीवन ब्यूरो / वाशिंगटन । भारत ने मंगलवार को जोर देकर कहा कि उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाया जाना चाहिए। इसके लिए भारत का पक्ष मजबूत है और ऐसा न होने से संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता प्रभावित होती है। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वाशिंगटन में अमेरिकी थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ में विदेश नीति पर भाषण देने के बाद लोगों से कहीं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ में विदेश नीति पर भाषण देने के बाद वाशिंगटन की प्रभावशाली सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘यदि आपके पास, ऐसा संयुक्त राष्ट्र है जिसमें- संभवत: 15 साल में बनने वाला- दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश निर्णय लेने वालों में शामिल नहीं है, तो मैं मानता हूं कि इससे वह देश प्रभावित होता है। मेरा यह भी समझना है कि इससे संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है। हमारा मानना है कि इस संबंध में हमारा पक्ष मजबूत है।’
विदेश मंत्री ने कहा भारत जैसे ही जम्मू-कश्मीर में विकास को गति देगा, पाकिस्तान की सारी योजनाओं पर पानी फिर जाएगा जो वह पिछले 70 साल से कश्मीर के खिलाफ रच रहा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में मोबाइल सेवाएं फिलहाल इसलिए बंद रखी गई हैं ताकि भारत विरोधी ताकतों को उग्र होने एवं एकजुट करने की मंशा से इंटरनेट और सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने से रोका जा सके। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए भी ऐसा किया गया है कि विकास को बल देने के दौरान होने वाले बदलाव के दौरान कोई हताहत न हो।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंधों में पिछले दो दशक में नाटकीय बदलाव आए हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं और चुनौती यह है कि इस गति को तेज कैसे किया जाए ताकि एक नए क्षितिज को देखा जा सके। विदेश मंत्री ने कहा, ‘आपने पिछले 20 साल में इन संबंधों में नाटकीय बदलाव देखे हैं और बड़े देशों के बीच बड़े बदलाव आम बात नहीं है।’
जयशंकर ने कहा कि जब पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 1949 में अमेरिका आए थे, तो यहां 3,000 भारतीय अमेरिकी थे। जब इंदिरा गांधी 1966 में अमेरिका आई थीं, तब 30,000 भारतीय-अमेरिकी थे और राजीव गांधी जब 1980 के दशक में अमेरिका आए थे, उस समय संख्या बढ़कर तीन लाख हो गई थी। उसकी तुलना में अमेरिका में अब 30 लाख से अधिक भारतीय-अमेरिकी हैं और यदि प्रवासी भारतीयों को भी जोड़ लिया जाए तो यह संख्या दोगुनी है।
विदेश मंत्री ने परेड के प्रति अपने जुड़ाव की जानकारी साझा करते हुए कहा कि चीनी सेना की परेड हमेशा से प्रभावित करने वाली रही है। चीनी सेना की विशाल परेड को लेकर पूछे गए सवाल पर जयशंकर ने कहा, ‘चीनी परेड हमेशा से ही बहुत प्रभावशाली रही हैं।’ उन्होंने याद किया कि चीन में भारत के शीर्ष राजनयिक के तौर पर उन्होंने 10 साल पहले ऐसी एक परेड देखी थी।