अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों ने अपनी अपनी सूची जारी कर दी है। कांग्रेस की जारी सूची को लेकर सबसे ज्यादा विवाद समालखा से धर्म सिंह छौक्कर को लेकर सामने आ रहा है। कांग्रेस से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी और को मैदान में कांग्रेस उतारती तो नतीजे कुछ और होते।
2009 में धर्मसिंह छौक्कर को जनता ने विधायक चुनकर क्षेत्र की भलाई के लिए भेजा लेकिन छौक्कर लगातार विवादों में बने रहे। विधायक के रसूख का इस्तेमाल करके छौकर ने अवैध कॉलोनी में अपनी कोठी को प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर वैध करा लिया था। इस बात का खुलासा आरटीआइ कार्यकर्ता पीपी कपूर ने करवाया था। बताया जाता है कि कांग्रेस के तत्कालीन विधायक धर्म सिंह छौक्कर ने 2013 में न्यू दुर्गा कॉलोनी में अपनी कोठी का निर्माण शुरू कर दिया। नगरपालिका ने 20 एकड़ रकबा की न्यू दुर्गा कॉलोनी को स्वीकृत कराने का केस सरकार को भेजा, लेकिन शर्तें पूरी न करने के कारण इसका केस रिजेक्ट कर दिया गया। प्रशासनिक और नगरपालिका अधिकारियों ने पूर्व विधायक की कोठी को बचाने के लिए मात्र पौना एकड़ जमीन में स्थित पूर्व विधायक की कोठी को साईं एंक्लेव कॉलोनी का नाम देकर 7 अगस्त 2014 को स्वीकृत कराने के लिए सरकार को केस भेज दिया।
इतना ही छौकर के बेटे पर जमीन कब्जाने का आरोप लग चुका है। गुरुग्राम पुलिस ने समालखा से पूर्व कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छोकर के बेटे सिकंदर छोकर के खिलाफ मामला भी दर्ज किया है।
घटना के बारे में बताया जाता है किगुरुग्राम के बादशाहपुर के रहने वाले दीपेश मंगला ने धर्म सिंह छौक्कर के बेटे सिकंदर छौक्कर पर चारदिवारी तोड़कर उनकी जमीन पर कब्ज़ा करने का आरोप लगाया था। गुरुग्राम पुलिस ने दीपेश मंगला की शिकायत पर सिकंदर छोकर और उनके साथियो के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 147, 149, 427, 447, 506 के तहत मामला दर्ज किया हुआ है। पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्होंने यह प्लाट रमन ग्रोवर को 5 साल के लिए प्रिंटिंग प्रेस लगाने के लिए दिया था, मगर प्लॉट की बढ़ती कीमतों को देखकर रमन ग्रोवर और पूर्व विधायक के बेटे की नीयत खराब हो गई।
पीड़ित परिवार का आरोप है कि उसके प्लॉट की चारदिवारी तोड़कर रास्ता बना लिया गया और जब उन्होंने इसका विरोध किया तो पूर्व विधायक के बेटे सिकंदर छोकर, रमन ग्रोवर और उसके कुछ दबंग साथियों ने मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी।
समालखा विधानसभा क्षेत्र में गुर्जरों का दबदबा रहा। 1968 के बाद से 2014 तक गुर्जर समुदाय से ही समालखा का विधायक बनता रहा। पहली बार 2014 के चुनाव में रविंद्र मच्छरौली ने यह रिकार्ड तोड़ा। रविंद्र मच्छरौली जाट समुदाय से हैं। उन्होंने दूसरा रिकार्ड यह बनाया कि वे पहली बार समालखा से निर्दलयी प्रत्याशी बने।
समालखा विधानसभा से बनने वाले विधायक को मंत्री पद मिलता था। जिले में सबसे ज्यादा मंत्री समालखा से ही बने हैं। 2005 में भरत सिंह छौक्कर के विधायक बनने के बाद से समालखा ने मंत्री पद गवां दिया। उसके बाद से समालखा को मंत्री पद नहीं मिला।
विवादों में रहने वाले छौक्कर अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब किस तरह से दे पाते हैं। साथ ही देखना यह है कि विधानसभा चुनाव में समालखा की जनता छौक्कर के इस कारनामों को नकारती है या स्वीकारती है।