जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। महापंजीयक और जनगणना आयुक्त की ओर से जारी धर्म आधारित जनगणना के ताजा आंकडों के अनुसार 10 साल की अवधि में मुस्लिम समुदाय की आबादी में 0.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और यह 13.8 करोड़ से 17.22 करोड़ हो गयी, वहीं हिंदू जनसंख्या में 0.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी और इस अवधि में यह 96.63 करोड़ हो गयी।
वर्ष 2001 से 2011 तक देश की आबादी में धार्मिक आधार पर आए परिवर्तनों की जो तस्वीर सामने आई है वो राजनीतिक हलकों में भूचाल लाने के लिए काफी है। खासकर बिहार में जहां चुनाव सिर पर हैं, ये नए आंकड़े बड़ा मुद्दा बन सकते हैं। बिहार के नेताओं ने इस आशंका को भांप लिया है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां इन्हें तवज्जो देने से इनकार कर रहे हैं, वहीं एनसीपी नेता तारिक अनवर को इसमें बीजेपी की साजिश नजर आती है।
महापंजीयक और जनगणना आयुक्त द्वारा आज जारी 2011 के धार्मिक जनगणना डाटा के अनुसार देश में 2011 में कुल जनसंख्या 121.09 करोड़ थी. इसमें हिंदू जनसंख्या 96.63 करोड़ (79.8 प्रतिशत), मुस्लिम आबादी 17.22 करोड़ (14.2 प्रतिशत), ईसाई 2.78 करोड़ (2.3 प्रतिशत), सिख 2.08 करोड़ (1.7 प्रतिशत), बौद्ध 0.84 करोड़ (0.7 प्रतिशत), जैन 0.45 करोड़ (0.4 प्रतिशत) तथा अन्य धर्म और मत :ओआरपी: 0.79 करोड़ (0.7 प्रतिशत) रही.
जनसंख्या के आंकडों के अनुसार 2001 से 2011 के बीच मुस्लिम आबादी में बढोतरी हुई और हिंदू जनसंख्या घटी. सिख समुदाय की आबादी में 0.2 प्रतिशत बिंदु (पीपी) की कमी आई और बौद्ध जनसंख्या 0.1 पीपी कम हुई.
ईसाइयों और जैन समुदाय की जनसंख्या में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ. साल 2001 के आंकडों के अनुसार भारत की कुल आबादी 102 करोड़ थी जिसमें हिंदुओं की आबादी 82.75 करोड़ (80.45 प्रतिशत) और मुस्लिम आबादी 13.8 करोड़ (13.4 प्रतिशत) थी.
ज्ञात हो कि बिहार चुनाव में मुस्लिम वोट खासे महत्व रखते हैं। मुस्लिम-यादव गठजोड़ को यहां सत्ता की गारंटी माना जाता है। यहां धार्मिक आधार पर होने वाला ध्रुवीकरण सत्ता की बाजी पलट सकता है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये नियमित जनगणना का आंकड़ा है। ऐसे आंकड़े तो समय-समय पर आते ही रहते हैं। इसमें कोई नई बात नहीं है, ऐसा तो होता ही रहता है।
वहीं एनसीपी नेता तारिक अनवर इन आंकड़ों के जारी होने को बीजेपी की चाल करार देते हैं। अनवर ने कहा कि इसमें जरूर बीजेपी की कोई चाल होगी क्योंकि जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग की गई थी। लेकिन केंद्र सरकार ने धर्म के आंकड़े जारी कर दिए। अब ये तो सबको मालूम है कि किस धर्म की कितनी संख्या है, लेकिन जब तक जातीय जनगणना के आंकड़े नहीं बताए जाएंगे तो इसका उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
संघ विचारक राकेश सिन्हा ने आंकड़ों पर एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय जनसंख्या बढ़ाओ की सोची समझी रणनीति से चल रहे हैं। क्या हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएंगे?
जनगणना के आंकडे एकत्रित करने के चार साल से अधिक समय बाद आज धर्म आधारित आंकडे जारी किये गये वहीं जाति आधारित जनगणना के आंकडे अभी सार्वजनिक नहीं किये गये हैं. राजद, जदयू, सपा और द्रमुक तथा अन्य कुछ दल सरकार से जाति आधारित जनगणना जारी करने की मांग कर रहे हैं. जनसंख्या के सामाजिक आर्थिक स्तर पर आंकडे तीन जुलाई को जारी किये गये थे.