जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। मोदी सरकार जल्दी ही मानसून सत्र का दूसरा भाग बुला सकती है। मानसून सत्र का यह शेष भाग वस्तु एवं सेवा कर बिल यानि जीएसटी बिल और भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को पारित करवाने के लिए बुलाने के लिए आहूत किया जा सकता है। संसदीय कार्य मंत्री वैंकेया नायडू ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि सरकार वर्तमान में सभी विपक्षी पार्टियों के साथ वार्ता कर रही है। उन्होंने खुलासा करते हुए कहा कि स्वयं सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं से संपर्क कर देश की वर्तमान अर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर जीएसटी एवं लैंड बिल के साथ निगोस्येबिल्टी इंस्ट्रूमेंट बिलों को पारित करवाने के लिए अपील की है।
उन्होंने बताया कि उन्हें बहुत सी पार्टियों की ओर से सकारात्मक संकेत भी मिल रहे हैं। नायडू ने कहा कि यदि सभी पार्टियों और सरकार के बीच एक समझौता बन पाता है तो सरकार मानसून सत्र का शेष भाग बुला कर लंबित बिलों को पारित करवाने के लिए कार्य कर सकती है।
इस बीच कांग्रेस की ओर लोकसभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जन खड़गे ने जोर देकर कहा कि सरकार की ओर उनसे सत्र को बुलाने की बातचीत की गई है। लेकनि कांग्रेस पार्टी तभी बिल को पारित करवाने के लिए सत्र बुलाने की सहमति देगी जब उसके द्बारा सुझाए गए संशोधनों को सरकार बिल में समायोजित करने की हामी दे। खड़गे की ओर से आए इस सुझाव पर नायडू ने कहा कि संशोधनों को समायोजित करने का कार्य केवल सदन के भीतर ही किया जा सकता है जिसे केवल संसद का सत्र बुला कर ही किया जाना संभव है।
इससे पूर्व नायडू ने मानसून सत्र के प्रथम भाग के सफाए पर की जा रही आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने न केवल विपक्ष को समायोजित करने का प्रयास किया बल्कि हर मौके पर विपक्ष, खासतौर से कांग्रेस से वार्ता करने का प्रयास किया गया। लेकिन सरकार को संसद चलाने में विपक्ष का सहायोग नहीं मिला। उन्होंने सरकार और लोकसभा अध्यक्ष द्बारा संसद में व्यवधान को समाप्त करने के लिए बुलाई गई पांच सर्वदलीय बैठकों का हवाला देकर बताया कि बैठकों में पहुंची 29 पार्टियों में से 28 पार्टियों ने सदन को चलाने की बात कही परंतु कांग्रेस पहले इस्तीफा और फिर चर्चा की मांग पर अड़ी रही।
नायडू ने विपक्ष और विशेषतौर पर कांग्रेस का आहवान करते हुए कहा कि वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए पार्टियों को अपने अंदर झांकना चाहिए और जीएसटी, लैंड और निगोसिएबल इंस्ट्रूमेंट बिलों को पारित करवाने में सरकार को सहयोग देना चाहिए। नायडू ने कहा कि जीएसटी बिल को पारित न करवा पाने के कारण देश की अर्थव्यवस्था को हर साल 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जीएसटी को पारित करवा कर ही अर्थव्यवस्था को गति दी जा सकती है और जिसके बाद युवाओं को नौकरी पाने में सफलता प्राप्त हो सकेगी।