जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर कड़े विरोध का सामना कर रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज घोषणा की कि सरकार कल मियाद समाप्त होने वाले भूमि अध्यादेश को पुन: स्थापित या फिर से जारी नहीं करेगी, साथ ही राज्यसभा में लंबित विधेयक पर किसानों के हित में किसी तरह के सुझाव को स्वीकार करने को तैयार रहने की बात कही। आकाशवाणी पर आज प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वियों का नाम लिये बिना कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर इतने भ्रम फैलाए गए, किसानों को भयभीत कर दिया गया। किसानों को भ्रमित नहीं होना चाहिये, और भयभीत तो कतई ही नहीं होना चाहिए। इस बारे में भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में सुधार की बात गांव एवं ग्रामीणों के फायदे के लिए राज्यों की तरफ से आग्रहपूर्वक आई थी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ हमने एक अध्यादेश जारी किया था, कल 31 अगस्त को उस अध्यादेश :भूमि अधिग्रहण संबंधी: की समयसीमा समाप्त हो रही है, और मैंने तय किया है, इसे समाप्त होने दिया जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जिस भूमि अधिग्रहण कानून के सम्बन्ध में विवाद चल रहा है, उसके विषय में हम एक बात कहते आ रहे हैं कि सरकार का मन खुला है। किसानों के हित के किसी भी सुझाव को मैं स्वीकार करने के लिए तैयार हूं। भूमि अधिग्रहण कानून में सुधार की बात राज्यों की तरफ से आग्रहपूर्वक आई’’ उल्लेखनीय है कि सरकार तीन बार भूमि अध्यादेश को पुन:स्थापित कर चुकी है। भूमि विधेयक राजग के कुछ घटकों समेत विपक्षी दलों के कड़े विरोध के कारण संसद में पारित नहीं हो सका है।
प्रधानमंत्री की इस घोषणा से स्पष्ट होता है कि सरकार कानून को लागू करने के लिए सरकारी आदेश की बजाए विधायी मार्ग को अपनायेगी।