जनजीवन ब्यूरो / लखनऊ । सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा। बोर्ड की बैठक में 7 में से 6 सदस्यों ने इस पर सहमति दी। 5 एकड़ जमीन लेने के मुद्दे पर अगली बैठक में विचार होगा। बोर्ड के आठ सदस्यों में से प्रयागराज से वकील कोटे से इमरान माबूद खां बैठक में नहीं पहुंचे।
बोर्ड सदस्य अब्दुल रज्जाक ने कहा, ‘‘मैं इकलौता सदस्य था, जिसने यह आवाज उठाई थी कि रिव्यू पिटीशन दाखिल हो।’’ बोर्ड चेयरमैन जुफर फारुकी ने कहा, ‘‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक अलग संस्था है, फिर उसके फैसले पर हम क्यों कोई विचार करें।’’
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लिया था रिव्यू पिटीशन का निर्णय
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील रहे जफरयाब जिलानी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुर्नविचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया था। हालांकि, वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने कहा था कि वे इस फैसले के खिलाफ नहीं जाएंगे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या केस में वादी नहीं था।
तो दस्तावेजों से हटेगा बाबरी मस्जिद का नाम
अगली बैठक में वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों से बाबरी मस्जिद का नाम हटाने पर भी मुहर लगने की संभावना है। सर्वे वक्फ कमिश्नर विभाग ने 75 साल पहले वर्ष 1944 में सुन्नी वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों में बाबरी मस्जिद को दर्ज कराया था। यह वक्फ नंबर 26 पर बाबरी मस्जिद अयोध्या जिला फैजाबाद नाम से दर्ज है, जिसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब हटाया जाना है।