जनजीवन ब्यूरो
वाशिंगटन । इंदिरा गांधी 1980 में दोबारा सत्ता में लौटने के बाद पाकिस्तान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला करने का विचार कर रही थीं। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के दस्तावेज ‘इंडियाज रिएक्शन टू न्यूक्लियर डेवलपमेंट्स इन पाकिस्तान’ में इस बात का दावा किया गया है।
इंदिरा गांधी के मन में यह विचार उस समय आया था जब अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को F-16 लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने का फैसला शुरुआती चरण में ही था। सीआइए द्वारा तैयार दस्तावेज ‘इंडियाज रिएक्शन टू न्यूक्लियर डेवलपमेंट्स इन पाकिस्तान’ के हवाले से यह बात सामने आई है।
सीआईए की वेबसाइट पर इस साल जून में 12 पृष्ठों के दस्तावेज का संपादित संस्करण डाला गया है। इसके मुताबिक साल 1981 में इंदिरा गांधी नीत तत्कालीन भारत सरकार पाकिस्तान के परमाणु हथियार कार्यक्रम की प्रगति को लेकर चिंतित था और उसका मानना था कि इस्लामाबाद परमाणु हथियार हासिल करने के करीब है। अमेरिका का भी इसी तरह का आकलन था।
सीआइए का मानना था कि भारत की चिंता जिस तरह से बढ़ रही थी, मामला काफी गंभीर हो सकता था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पाक के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को लेकर फैसला ले सकती थीं। इसके लिए प्रारंभिक चरण में भारत, पाकिस्तान के न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बनाता। उन ठिकानों पर हमले करता। रिपोर्ट तैयार करते समय सीआइए का कहना था कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया था।