जनजीवन ब्यूरो / नोएडा । शहर के समाजसेवी रंजन तोमर द्वारा वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो में लगाई गई एक आर टी आई से कुछ महत्वपुर्ण खुलासे हुए हैं , गौरतलब है के तोमर लगातार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूचियों में विलुप्तप्राय होने की कगार पर खड़े जानवरों आदि के लिए लगातार जानकारियां ला रहे हैं एवं कार्य कर रहे हैं , यहाँ यह जानकारी इसलिए भी आवश्यक है क्यूंकि पिछले वर्ष के अंत में तोमर ने बीते दस वर्षों में कितने शेरों का शिकार हुआ इस बाबत जानकारी एकत्रित की थी जिसमें तकरीबन 430 शेरो को इस दौरान मार दिए जाने की जानकारी मिली थी , यह बात देश विदेश के मीडिया में प्रमुखता से छपी थी , इसके बाद सरकार पर कड़ा दबाव था के वह कानूनों का कड़ाई से पालन करवाए , इसके साथ ही राष्ट्रीय हरित न्यायालय द्वारा कड़े रुख के कारण भी सरकारों ने यथोचित कदम उठाये हैं। शायद यह ही कारण है के पिछले दस सालों में जहाँ औसतन 43 शेरों का शिकार किया अर्थात दस वर्षों में तकरीबन 430 शेर खो दिए गए , वहीँ इस वर्ष 9 ही शेरो का शिकार हुआ।
आर टी आई के जवाब में ब्यूरो द्वारा जवाब दिया गया है के इस वर्ष (अक्टूबर तक ) कुल 9 शेरो का शिकार हुआ है , हालाँकि यह कोई ख़ुशी की बात नहीं है लेकिन पहले से कम शिकार होना ज़रूर एक अच्छी बात है। पर्यावरण प्रेमी जानते हैं के इस दुनिया में शेर की कितनी अहमियत है।
आर टी आई के जवाब में कुछ बातें जो खुलकर सामने आई हैं उनमें पहली यह के आसाम राज्य में सबसे ज़्यादा 4 शेरों का शिकार हुआ है मई से जुलाई के महीनों में घटित हुआ इस दौरान ब्यूरो एवं पुलिस द्वारा 12 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया। दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है जहाँ 3 शेरो को जनवरी से मार्च के बीच मार दिया गया ,यहाँ भी 2 शेरों के शिकार में 8 शिकारियों को पकड़ा गया जबकि एक शिकार में किसी को भी नहीं पकड़ा जा सका , इसके आलावा तेलंगाना में एक शेर का शिकार हुआ जबकि 6 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया एवं अंत में पश्चिम बंगाल में एक शेर को मारने के लिए 2 शिकारियों को गिरफ्तार किया गया।