जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। कांग्रेस द्वारा आयोजित भारत बचाओ रैली में गांधी परिवार ने अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है। यह हमला राहुल गांधी को दोबारा लांच करने के रूप में भी देखा जा रहा है। अध्यक्ष पद फिर से राहुल गांधी को बिठाने के लिए कांग्रेस को एक सियासी धमाके की तलाश में जुटी हुई है। रैली के माध्यम से कांग्रेस यह रास्ता बना रही है। ऐसे में गांधी परिवार के तीनो सदस्य कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका वाड्रा का एकसाथ जुटना लाजिमी है। गांधी परिवार के तीनों सदस्यों और कांग्रेस नेताओं ने मिलकर मोदी सरकार की नीतियों पर आक्रमण किया। इस आक्रमण में सभी नेताओं ने एक ही सुर में यह बात दुहराई कि मोदी सरकार से लड़ने की क्षमता का नेतृत्व करने वाला केवल राहुल गांधी है। राहुल की ताजपोशी की यह कवायद जल्द ही अपना रंग दिखाएगी।
इस रैली में कांग्रेस ने अपने आक्रमण की धार अर्थव्यवस्था पर केंद्रित रखी। दरअसल कांग्रेस को लगने लगा है कि अर्थव्यवस्था से बचने के लिए मोदी सरकार नए मुद्दे को छेड़ती है। जिसमें राष्ट्रवाद का पूट रहता है और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर भाजपा को घेर पाने में कांग्रेस कमजोर हो जाती है। हालांकि आजादी के इतिहास और अपने नेताओं की शहीदी को गिनाकर कांग्रेस राष्ट्रवाद पर पलटवार तो करती है। पर भाजपा के सामने टिक नहीं पाती है। ऐसे में भाजपा को घेरने के लिए उसके कमजोर मुद्दों पर आक्रमण की नीति तैयार की गई है। यही वजह है कि आज की रैली में सरकार को घेरने के लिए अर्थव्यवस्था पर ज्यादा ध्यान फोकस किया गया और बचाओ रैली में कांग्रेस नेताओं का अधिकतर बयान अर्थव्यवस्था को लेकर रहा। इसके माध्यम से किसानों की आत्महत्या, युवाओं की बेरोजगारी, उद्योग जगत में तालाबंदी को लेकर कांग्रेस नेताओं ने मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
इस मौके पर राहुल गांधी ने सरकार को खुली चुनौती देते हुए कहा कि मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं राहुल गांधी है। मर जाउंगा पर माफी नहीं मांगुंगा। कांग्रेस का कोई नेता माफी नहीं मांगेगा। उन्होंने कहा कि देश में माफी मांगने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके अस्सिटेंट अमित शाह को करना पड़ेगा। उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह को प्रधानमंत्री मोदी का अस्सिटेंट बताया। राहुल गांधी ने सरकार की नीतियों पर हमला करते हुए कहा देश की शक्ति और आत्मा अर्थव्यवस्था है। इसी ताकत की बदौलत दुनिया हमारी ओर देखती थी। मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले जीडीपी 9 प्रतिशत थी। जो आज घटकर 4 प्रतिशत हो गई है। जीडीपी का यह आंकड़ा नए गणना के अनुसार है। इस गणना को अगर पुराने तरीके के आधार पर किया जाए तो यह आंकड़ा 2.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
प्रियंका ने कहा कि हर बस स्टॉप, हर अखबार में दिखता है कि ‘मोदी है तो मुमकिन है।’ असलियत यह है कि भाजपा है तो 100 रु किलो प्याज है। भाजपा है तो 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी मुमकिन है। भाजपा है तो 4 करोड़ नौकरियां नष्ट होना मुमकिन है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने यह भी कहा, ‘‘न्याय की लड़ाई लड़ने से बड़ी देशभक्ति कोई नहीं है। आज जिस दौर से हमारा देश गुजर रहा है, हर तरफ अन्याय है। गरीबों पर मुसीबतें लादी जाती हैं और बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ किए जाते हैं। ऐसे कानून बनाए जाते हैं, जिससे लाखों लोग बंदी की तरह रखे जाते हैं। आज की लड़ाई में जो नहीं खड़ा होगा, वो कायर कहलाएगा। भारत की रखवाली करना, स्वतंत्रता, स्वाभिमान और स्वाधीनता का हक रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। आप सबकी जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए कांग्रेस के मेरे कार्यकर्ता भाइयों-बहनों की है। इस देश को हबचाने के लिए यह भावना लेकर आए हैं। इसके लिए धन्यवाद है।’’
‘मंत्रियों के पास कोई नीति नहीं’
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘‘मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के केवल 6 महीने में ही देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त कर दी। उनके मंत्री पूरी तरह से तर्कहीन हो चुके हैं। कल वित्त मंत्री ने कहा कि सब ठीक है। हम यानी भारत दुनिया में शीर्ष पर है। सिर्फ एक बात उन्होंने नहीं कही कि अच्छे दिन आने वाले हैं।’’
सोनिया के अध्यक्ष बनने के बाद पहली मेगा रैली
सोनिया गांधी के पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला मौका है, जब कांग्रेस ने किसी बड़ी रैली का आयोजन किया। हालांकि, इसका मकसद कांग्रेस पार्टी में टीम राहुल की ताकत का प्रदर्शन करना भी है। पहले यह रैली 30 नवंबर को होने वाली थी, मगर बाद में संसद के शीतकालीन सत्र के मद्देनजर इसका समय 14 दिसंबर तय किया गया।