जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। ओडीशा में 15 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस को लाने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नई रणनीति बनाई है। इसी रणनीति के तहत राहुल 10 और 11 सितंबर को ओडीशा में पदयात्रा करने जा रहे हैं। नवीन पटनायक हटाओ, ओडीशा बचाओ के नारे को अमली जामा पहनाने के लिए राहुल शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव और प्रदेश प्रभारियों की बैठक लेने जा रहे है।
राहुल के रणनीतिकारों का कहना है कि पंडित जवाहर लाल नेहरु और इंदिरा गांधी पांच साल के दौरान देश के 500 जिलों की यात्रा करते थे। राजीव गांधी अपने कार्यकाल में 400 जिलों का भ्रमण कर पाए थे। फिलहाल देश में 640 जिले हैं। जिनमें से राहुल अबतक 50 जिलों की पदयात्रा कर चुके हैं। वे नेहरु और इंदिरा के लक्ष्य को पार करना चाहते हैं।
वर्ष 2000 से कांग्रेस ओडीशा में सत्ता से बाहर है। 147 विधानसभा सीटों वाले ओडीशा में कांग्रेस के 16 विधायक हैं। रघुराजन समिति की रिपोर्ट के अनुसार ओडीशा देश के सबसे गरीब राज्यों में शुमार है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य की 98 फीसदी आबादी पिछड़े की है। मात्र दो फीसदी आबादी अगड़ों की है। बकौल कांग्रेस सचिव और ओडीशा प्रभारी शुभंकर सरकार राज्य में मुंगफली का उत्पादन बंद हो गया है। राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण कृषि भूमि पर खेती नहीं हो पा रही है। पुरी, कोणार्क, कटक, जगन्नाथ मंदिर, समेत राज्य के अन्य पर्यटक स्थलों पर विदेशियों के न आने के कारण विदेशी मुद्रा की आय कम हो गई है।
बताया जाता है कि राहुल गांधी 10 सितंबर को छत्तीसगढ़ से सटे ओडीशा के बरगर इलाके में प्रवेश करेंगे और दस किलोमीटर पदयात्रा करेंगे। अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान राहुल भुवनेश्वर और कटक में छात्रों से भी मुलाकात करेंगे। राज्य में अबतक आत्महत्या कर चुके 10 किसानों के परिजनों से राहुल मुलाकात करेंगे और उनका दुख दर्द सुनेंगे। बकौल शुभंकर पदयात्रा से कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ती है। दुर्भाग्य से पिछले दस सालों से कार्यकर्ताओं को जोड़ने का अभियान ठप्प पड़ा हुआ था। जिसे राहुल गांधी अब गति देने में जुटे हुए हैं।
ओडीशा एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पंचायतों को कोई अधिकार नहीं दिया गया है जबकि अन्य राज्यों के पंचायतों को काफी अधिकार दिया गया है। देश के सभी पंचायतों को सीधे फंड आवंटित किया जाता है जबकि ओडीशा को विधानसभा के माध्यम से दिया जाता है।