जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । क्या देश में डिटेंशन सेंटर हैं या बनाए जा रहे हैं? क्या असम एनआरसी लिस्ट में जगह नहीं बना पाए लोगों को डिटेंशन सेंटर में रखा जा रहा है? क्या नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के मद्देनजर डिटेंशन सेंटरों की तैयारी हो रही है? गृह मंत्री अमित शाह ने डिटेंशन सेंटर को लेकर तमाम सवालों का जवाब देते हुए कहा कि पूरे देश में एक भी डिटेंशन सेंटर नहीं बनाया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि डिटेंशन सेंटर का एनआरसी या सीएए से कोई लेनदेन नहीं है।
‘NRC-CAA से डिटेंशन सेंटर का लेनदेन नहीं‘
गृह मंत्री ने कहा, ‘डिटेंशन सेंटर का एनआरसी से कोई लेनदेन नहीं है। सीएए से तो इसका दूर-दूर का वास्ता नहीं है। सीएए में शरणार्थी को नागरिकता देने का प्रावधान है, लेने का नहीं तो फिर इसके तहत कोई शरणार्थी को अवैध ठहराया ही नहीं जा सकता है। सीएए जब किसी को घुसपैठिया नहीं ठहराता है तो इसकी वजह से किसी को डिटेंशन सेंटर में रखने का सवाल ही कहां उठता है।’
‘असम NRC में नहीं आने वाले भी डिटेंशन सेंटर नहीं भेजे गए‘
उन्होंने स्पष्ट कहा कि असम में एक डिटेंशन सेंटर सालों पहले बना, जिसे मोदी सरकार ने नहीं बनाया था। शाह ने कहा कि इस डिटेंशन सेंटर का भी एनआरसी अथवा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) से कोई लेनदेन नहीं है। उन्होंने बताया कि असम एनआरसी लिस्ट में 19 लाख लोगों का नाम नहीं आया, लेकिन उनमें से एक व्यक्ति को भी डिटेंशन सेंटर नहीं भेजा गया।
शाह ने कहा, ‘असम के एनआरसी में कुछ लोग घुसपैठियों के रूप में पहचाने गए तो उन्हें छह महीने का वक्त दिया गया है कि वो फॉरन ट्राइब्यूनल में अपना पक्ष रख सकें। अगर उनके पास पैसे नहीं हैं तो केंद्र सरकार या राज्य सरकार के खर्च पर वकील की व्यवस्था होगी। गृह मंत्री ने कहा, ‘हमने कई ट्राइब्यूनल्स बनाए, किसी को भी डिटेंशन सेंटर में नहीं रखा। असम में जो 19 लाख लोग एनआरसी में नहीं आ पाए, वो अपने घरों में ही रह रहे हैं, उन्हें डिटेंशन सेंटर में नहीं रखा है।’
डिपोर्ट करने से पहले डिटेंशन सेंटर में रखने की प्रक्रिया
गृह मंत्री ने कहा कि असम का डिटेंशन सेंटर एक निंरतर चलने वाली प्रक्रिया के तहत बना है। ये डिटेंशन सेंटर और एनआरसी का कोई लेनदेन नहीं है। उन्होंने कहा, ‘ये जो अभी डिटेंशन सेंटर चर्चा में आया है, वही है। आप अवैध रूप से भारत में रह रहे व्यक्ति को पकड़कर जेल में नहीं रख सकते हैं। उसको डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। फिर उसके देश से बात कर उसे वापस भेजा जाता है।’
‘देश का डिटेंशन सेंटर फंक्शनल नहीं‘
शाह ने कहा कि देश में यही एक डिटेंशन सेंटर है, वह भी फंक्शनल नहीं है। उन्होंने कहा, ‘डिटेंशन सेंटर कहीं नहीं बनेगा, एक बना हुआ है असम में और वह सालों से है। कर्नाटक में भी कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। देश में बस एक ही डिटेंशन सेंटर असम में है।’ हालांकि, शाह ने कहा कि वह इसपर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कोई डिटेंशन सेंटर फंक्शनल नहीं है और न मोदी सरकार के बाद कोई डिटेंशन सेंटर बना है।
क्यों है डिटेंशन सेंटर की जरूरत?
शाह ने कहा कि डिटेंशन सेंटर की आवश्यकता अवैध तरीके से भारत आए विदेशियों को उसके देश वापस भेजे जाने तक रखे जाने के लिए होती है। उन्होंने बताया, ‘मान लीजिए हिमालयन एरिया में किसी विदेशी को जाने की अनुमति नहीं है और कोई उत्सुकतावश भी चला गया तो उसे पकड़कर डिटेंशन सेंटर में ही रखना पड़ेगा।’ उन्होंने कहा, ‘इस देश में दुनिया का कोई भी व्यक्ति घुसकर रहने लगे, ऐसा नहीं हो सकता है। इस देश का एक कानून है। अगर कोई विदेशी अवैध तरीके से भारत में रह रहा है, यहां रहने की अनुमति नहीं है, उसके पास वीजा नहीं है, पासपोर्ट नहीं है तो उसे पकड़कर डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। बाद में उसे वापस उसके देश भेजा जाता है यानी डिपोर्ट किया जाता है।’