जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली ।भारतीय थलसेना को नया मुखिया मिल गया है। मंगलवार को लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने थलसेना की कमान संभाली। नरवणे ने जनरल बिपिन रावत का स्थान लिया, जो तीन साल तक सेना प्रमुख रहने के बाद देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किए गए हैं।
नई दिल्ली के सेना भवन में रावत ने परंपरा के तहत बैटन सौंपकर नरवणे को चार्ज सौंपा। महाराष्ट्र से ताल्लुक रखनेवाले नरवणे को मुश्किल मोर्चे पर सफलता और बेहतरीन नेतृत्व क्षमता के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही नए आर्मी चीफ अपने सहकर्मियों और स्टाफ के बीच साफ छवि और अच्छे व्यवहार के कारण काफी लोकप्रिय हैं। चीन के साथ जुड़े सुरक्षा मामलों पर भी जनरल नरवणे की मजबूत पकड़ है।
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे को जून 1980 में सिख लाइट इन्फैंट्री की 7वीं बटालियन में कमीशन दिया गया था। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के पूर्व छात्र हैं। अपनी 37 वर्षों की सेवा में जनरल नरवाणे ने देश के पूर्वोत्तर हिस्से, जम्मू और कश्मीर सहित श्रीलंका में भारतीय शांति सुरक्षा बल के सदस्य के रूप में काम किया है।
नरवाणे ने जम्मू-कश्मीर में एक राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर एक इन्फैंट्री ब्रिगेड की कमान भी संभाली है। लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे को विशिष्ट सेवा मेडल, सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। इस साल सितंबर में सेना का उप प्रमुख का पद संभालने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे।
सेना की यह कमान चीन से लगती 4000 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा करती है। अपने 37 साल की सेवा में उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में आतंकवाद व उग्रवाद विरोधी अभियानों, शांतिकाल में विभिन्न कमानों का नेतृत्व किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर इंफैंट्री ब्रिगेड का नेतृत्व भी किया। लेफ्टिनेंट जनरल नरवाणे श्रीलंका भेजी गई भारतीय शांति बल का हिस्सा थे। वह म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास में तीन साल तक डिफेंस अटैची भी रहे।