जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शिक्षक दिवस 5 सितंबर से एक दिन पहले सर्वोदय विद्यालय के बच्चों की क्लास लेते हुए लोकतंत्र की प्रशंसा की और कहा कि लोकतंत्र गरीबों को भी आगे बढ़ने का मौका देता है। राष्ट्रपति ने बंगाल में आजादी से पहले आए सूखे की चर्चा करते हुए कहा कि लोगों के पास एक किलो चावल या गेहूं खरीदने तक के पैसे नहीं थे। नेहरु से लेकर मनमोहन सिंह की सरकार तक की उन्होंने प्रशंसा की और देश में आर्थिक उदारीकरण का श्रेय नरसिम्हा राव को दिया।
राष्ट्रपति ने मनरेगा की चर्चा करते हुए कहा कि इस योजना से लोगों को सीधा लाभ मिला। साल में रोजगार के दिन सुनिश्चित किए गए।
राष्ट्रपति ने बच्चों को राजनीति के इतिहास की जानकारी देते हुए बच्चों से कहा कि आप हिचकिचाइये मत आप मुझसे जो जानना चाहे जान सकते हैं। प्रणब मुखर्जी राजनीति में अपने अनुभवों का भी जिक्र करते हुए कहा कि मैं 1969 से संसद में हूं। प्रणब ने बताया कि हमारे जिले में सिर्फ 14 स्कूल थे। मेरा स्कूल घर से पांच किलोमीटर की दूरी पर था। रोज पैदल चलकर स्कूल जाता था।
अपने बचपन को याद करते हुए राष्ट्रपति ने बताया , मैं शरारती बच्चा था मां को परेशान करता था। मेरे स्कूल में आपकी तरह शानदार मेज औऱ बैठने की जगह नहीं थी। हमें चटाई में बैठकर पढ़ना होता था। बरसात के दिनों में मैं तोलिया बांधकर स्कूल जाता था। शुरू के तीन चार साल तो मैं स्कूल ही नहीं गया। राष्ट्रपति ने कहा मैं औसत छात्र था। राष्ट्रपति ने कहा, जब हमने आजादी 1974 में हासिल कर ली तो हम तीन साल क्यों रूके संविधान बनाने के लिए यह सवाल आपके मन में उठता होगा।
इसे लेकर बहुत काम किया गया। इसी कड़ी मेहनत का नतीजा है कि संविधान की शुरूआत प्रस्तावना से होती है। संविधान हमें बराबरी का हक देता है। राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि क्यों आम चुनाव कराने में वक्त लगा। उन्होंन बताया कि सर एंटनी और जवाहर लाल नेहरू अच्छे मित्र थे। एंटनी सोचते थे कि भारत में लोकतंत्र नहीं चेलेगा लेकिन बाद में उन्हें अपनी सोच को बदलना पड़ा। भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, वर्मा सब साथ- साथ आजादा हुआ। लाहौर में 1930 को जवाहर लाल नेहरू ने पूर्ण स्वराज की बात रखी। मैं आपसे उन इतिहास की चर्चा कर रहा हूं जिसे मैंने देखा और अनुभव किया है। हमें कई चीजों मे अभी और विकास करना है बिजली पर आत्मनिर्भर बनना है।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपनी क्लास में अन्ना हजारे के आंदोलन को भी याद करते हुए राजनीतिज्ञों को नसीहत दी। राष्ट्रपति ने कहा कि सांसद अगर अपना काम नहीं करेंगे, तो उस काम को जनता करेगी। उन्होंने कहा कि 2010-11 में जब अन्ना हजारे जन लोकपाल के लिए आंदोलन कर रहे थे, तब मैं कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों की टीम का उनसे वार्ता के लिए प्रतिनिधित्व कर रहा था। अन्ना हजारे ने इस वार्ता के लिए खुद के अलावा रिटायर्ड जस्टिस संतोष हेंगडे, वकील शांति भूषण व उनके वकील बेटे व प्रशांत भूषण व दिल्ली के मौजूदा सीएम अरविंद केजरीवाल को अपनी ओर से शामिल किया।
प्रणब मुखर्जी की इस क्लास के लिए स्कूल ने भी जोरदार तैयारी की है। दिल्ली सरकार बहुत पहले से इसे लेकर प्रचार कर रही थी दिल्ली की सड़कों पर राष्ट्रपति की तस्वीर के साथ यह स्लोगन लिखा है। इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी बच्चों को पढ़ायेंगे। इस पोस्टर में लोगों से अपील की गयी है कि इस कार्यक्रम का प्रसारण आप टीवी पर जरूर देखें। दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया इस कार्यक्रम को लेकर बेहद गंभीर है और दिनभर कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लेते रहे। अधिकारियों को निर्देश देते रहे की पूरा कार्यक्रम किस तरह आयोजित किया जायेगा.राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय भी सजकर तैयार है। स्कूल में तिरंगे के रंग का शामियाना लगाया गया है। राष्ट्रपति जिस कमरे में क्लास लेंगे उसमें बच्चों की संख्या 60 है।