जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष ने तत्काल प्रभाव से कुलपति को हटाने की भी मांग की है। आइशी घोष ने कहा कि पिछले 4-5 दिनों से आरएसएस से जुड़े कुछ प्रोफेसर हमारे आंदोलन को दबाने के लिए हिंसा को भड़का रहे थे। यह एक संगठित हमला था, वे लोगों को चुन-चुनकर बाहर निकाल रहे थे और उन पर हमला कर रहे थे। जेएनयू के सुरक्षा कर्मियों और उपद्रवियों के बीच सांठगांठ है, उन्होंने हिंसा रोकने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया।
जेएनयू में हुई हिंसा के बाद आज पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी और सोशल मीडिया को जांच का आधार बनाया जाएगा। वहीं एम्स में भर्ती सभी छात्रों को छुट्टी दे दी गई है और केंद्रीय गृह मंत्रालय भी इस पूरे मामले पर नजर रखे हुए है। मुंबई-पुणे, कोलकाता समेत देश के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। इसको लेकर राजनीति भी तेज हो गई है।
भाजपा के सहयोगी दल जदयू ने सोमवार को जेएनयू के कुलपति को हटाने की और रविवार रात को हुई हिंसा के मामले में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की। जदयू प्रवक्ता के सी त्यागी ने एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी जेएनयू परिसर में गुंडा तत्वों की हिंसक गतिविधियों की कड़ी निंदा करती है और नकाबपोश बाहरी तत्वों ने जिस तरीके से जेएनयू छात्र संघ के निर्वाचित पदाधिकारियों पर हमला किया, उसकी समाज के सभी वर्गों को निंदा करनी चाहिए।
सुरक्षाकर्मियों और उपद्रवियों के बीच सांठगांठ से किया गया हमला: आइशी घोष
विश्वविद्यालयों को राजनीति का ‘अड्डा’ नहीं बनने देंगे: मानव संसाधन विकास मंत्री
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए हैं और इन्हें कभी भी राजनीतिक आधार नहीं बनाना चाहिए। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विश्वविद्यालयों को राजनीति का ‘अड्डा’ कभी नहीं बनने देंगे।