जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । सरकार की ‘वन रैंक वन पेंशन’ की घोषणा पर आज कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप – प्रत्यारोप का दौर चला। विपक्षी दल ने इसके प्रावधानों को पूर्व सैनिकों के साथ ‘‘धोखा’’ बताया जबकि सत्तारूढ़ दल ने कांग्रेस पर सत्ता में रहने के समय पूर्व सैनिकों के साथ ‘‘मजाक’’ करने का आरोप लगाया।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा विस्तृत ब्यौरा दिये बगैर पूर्व सैनिकों की लंबित मांग को पूरा करने के लिए केवल 500 करोड़ रूपये के आवंटन पर पिछली सरकार पर निशाना साधने के बाद पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने ओआरओपी से जुड़ी जानकारियों पर सरकार पर कटाक्ष किए।
एंटनी और एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ओआरओपी घोषणा बहुत बड़ी निराशा है क्योंकि पूर्व सैनिकों के लाभ के प्रावधानों को बहुत हल्का कर दिया गया है। यह उनके हितों के साथ धोखा है।’’ जंतर मंतर पर आंदोलनरत पूर्व सैनिकों द्वारा रखी गई ओआरओपी से जुड़ी ज्यादातर बातों को खारिज किये जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को ‘‘अपनी पीठ थपथपाने’’ के बजाय इस पर ‘‘चिंतन’’ करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्वेच्छा से पद छोड़ने वाले पूर्व सैनिकों को ओआरओपी के लाभों से हटाकर सरकार ने 46 प्रतिशत से अधिक सेवानिवृत्त रक्षाकर्मियों को वित्तीय लाभ से वंचित कर दिया।
सिब्बल ने कहा, ‘‘यह पूर्व सैनिकों का अपमान है।’’ हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी नेताओं ने ‘‘ऐतिहासिक’’ फैसले का श्रेय लिया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान पूर्व सैनिकों से किया वादा पूरा किया।
इससे पहले रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने ऐलान किया सरकार ने ओआरओपी के क्रियान्वयन का फैसला किया है, जिसके तहत हर पांच साल पर पेंशन में संशोधन किया जाएगा, जबकि पूर्व सैन्यकर्मी दो साल के अंतराल पर पेंशन में संशोधन की मांग कर रहे हैं।
रक्षामंत्री ने कहा कि इस पर प्रतिवर्ष आठ से दस हजार करोड रुपये खर्च आयेगा, जिसमें और बढोत्तरी होगी। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार ने इसके लिए 500 करोड रुपये का अव्यवहारिक प्रावधान किया था।
पर्रिकर ने कहा कि ओआरओपी के आकलन के लिए साल 2013 बुनियादी वर्ष होगा. इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति लेने वाले पूर्व सैन्यकर्मी इस योजना का लाभ उठाने के हकदार नहीं होंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार ओआरओपी के क्रियान्वयन के विवरण पर काम करने के लिए एक सदस्यीय न्यायिक समिति का गठन कर रही है जो छह महीने में रिपोर्ट देगी।
सरकार के ऐलान पर प्रतिक्रिया देते हुए आंदोलनकारी पूर्व सैन्यकर्मियों के नेता मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने कहा कि पूर्व सैन्यकर्मी ओआरओपी के क्रियान्वयन को लेकर सरकार के इरादे से संतुष्ट हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया है कि लाभ के प्रस्तावित प्रावधान उनको स्वीकार्य नहीं हैं।