विशेष संवाददाता / नई दिल्ली। कांग्रेस ने आर्थिक मसले पर सरकार को सीधे हमला बोल दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है कि लोगों की आय तथा खरीद क्षमता घटने के साथ ही औद्योगिक उत्पादन, प्रत्यक्ष कर, आयात-निर्यात आदि में गिरावट आने से अर्थव्यवस्था डांवाडोल स्थिति में पहुंच गयी है और सुधार के लिए लीपापोती करने की बजाय अब लम्बी अवधि के वास्ते सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
श्रीनेत ने कहा कि अर्थव्यवस्था की हालत नाजुक हो रही है इसलिए महंगाई तेजी से बढ़ रही है और महंगाई का सीधा संबंध लोगों की आय से होता है। इससे साफ है कि अर्थव्यवस्था बहुत खराब स्थिति में पहुंच चुकी है और इसे पटरी पर लाने के लिए अब अर्थव्यवस्था की कमजोर कड़ी पर लीपापोती या घटतोली करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि लम्बी अवधि के सुधारवादी कदम उठाने आवश्यक हो गये हैं। मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए निर्यात ही नहीं बढना चाहिए बल्कि आयात का बढना भी जरूरी है। आयात और निर्यात यदि घट रहा है तो साफ है कि अर्थवव्यवस्था कमजोर हो रही है। इसका मतलब है कि देश में उत्पादन घट गया है और लोगों की खरीद की क्षमता गिर गयी है।
उनका कहना था कि किसान की आय बढे बिना कोई भी अर्थव्यवस्था आगे नहीं जा सकती है। देश में किसान की आय आधी हो चुकी है इसलिए बजट में कृषि तथा किसान की उन्नति के लिए व्यवस्था करना आवश्यक हो गया है। िंचता का विषय है कि देश में प्रत्यक्ष कर में गिरावट आयी है। दो दशक में पहली बार प्रत्यक्ष कर में गिरावट दर्ज की गयी है। लोग बेरोजगार हैं और उनकी आय नहीं हो रही है इसलिए सरकार का कर संग्रह घट रहा है। राजस्व संग्रहण नहीं होगा तो देश का राजकोषीय घाटा बढना तय है इसलिए सरकार को लोगों की आय बढाने के उपाय करने चाहिए। यह स्वाभाविक है कि जब सरकार के पास पैसा नहीं आएगा तो राजकोषीय घाटा गिर जाएगा और देश की अर्थव्यवस्था के लिए यह सबसे खतरनाक स्थिति होगी। इससे निवेशक बाजार से हटना शुरू हो जाएंगे और देश का सौ अरब डालर बाहर चला जाएगा। सरकार को इसे रोकने उपाय करने की जरूरत है।
श्रीनेत का कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ उद्योगपतियों से बात की लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि इस दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण मौजूद नहीं थीं। उनकी गैरमौजूदगी बताती है कि औद्योगिक दृष्टिकोण को लेकर सरकार बहुत गंभीर नहीं है।