जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में इस बार की जंग काफी दिलचस्प साबित होने जा रही है। किस पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहेगा और उसे कितनी सीटें मिलेंगी, इसका दारोमदार काफी हद तक वोट शेयर पर भी रहेगा। पिछले लोकसभा चुनाव में 70 विधानसभा सीटों में से 65 में भाजपा सबसे आगे रही जबकि बाकी पांच सीटों पर कांग्रेस आगे रही। इतना ही नहीं 43 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही यानी आप तो तीसरे पायदान पर रही। ऐसे में पिछले दो चुनाव में मिले वोट का आकलन करना महत्वपूर्ण है।
2013 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP)को 30 फीसदी वोट मिले थे जो 2015 में बढ़कर 54 फीसदी हो गया। कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा और उसका वोट शेयर 40 फीसदी से घटकर 25 फीसदी पर आ गया। कांग्रेस की सीटें 43 से घटकर 8 पर पहुंच गईं। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 32, आप को 28, कांग्रेस को 8 और अन्य को दो सीटें मिली थीं। आप-कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी।
2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 46 फीसदी था और उसने सातों सीटों पर कब्जा जमाया। 2019 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने सभी सातों सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन इस बार उसका वोट शेयर 56 फीसदी पहुंच गया।
2015 विधानसभा चुनाव में आप का वोट शेयर 24 फीसदी बढ़कर करीब 50 फीसदी हो गया। उसने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 67 सीटें हासिल कर विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया। कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा, उसे 10 फीसदी से भी कम वोट मिले और उसे एक भी सीट नहीं मिली। भाजपा महज तीन सीटों पर सिमट गई।
2015 में कांग्रेस का वोट शेयर 10 फीसदी से भी कम पर पहुंच गया। लेकिन 2017 के नगर निगम और 2019 लोकसभा चुनाव में उसका वोट शेयर 20 फीसदी से ज्यादा रहा। दोनों चुनावों में आप को जबरदस्त झटका लगा। निगम चुनाव में आप को कांग्रेस ने तगड़ा नुकसान पहुंचाया। 2015 चुनाव में झटका खाने के बाद कांग्रेस ने जबरदस्त मेहनत करते हुए दमदार प्रदर्शन कर सभी को चौंका दिया।
2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-आप के बीच गठबंधन की कोशिश हुई लेकिन परवान नहीं चढ़ सकी। 15 साल तक कांग्रेस ने दिल्ली पर शासन किया था ऐसे में वह नंबर टू की हैसियत से चुनाव मैदान में नहीं उतरना चाहती थी। इसका उसे फायदा भी मिला। वह पांच लोकसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। आप दो सीटों पर नंबर दो पर आई। तीन सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई। भाजपा ने सातों सीटों पर कब्जा जमाया।
कांग्रेस का वोट शेयर 22.5 फीसदी रहा। दो साल पहले हुए निगम चुनाव में आप का वोट शेयर 26 फीसदी था जो घटकर 18 फीसदी पर पहुंच गया। भाजपा ने वोट शेयर में 10 फीसदी का इजाफा किया और ये 46 से 56 फीसदी तक पहुंच गया। इस दौरान 70 विधानसभा सीटों में से 65 में भाजपा सबसे आगे रही जबकि बाकी पांच सीटों पर कांग्रेस आगे रही।
इस बार किसका पलड़ा भारी रहेगा इसपर सबकी नजर है। पिछले पांच सालों के दौरान दिल्ली की सियासत में काफी कुछ बदला है। पांच सालों में आम आदमी पार्टी में भारी उथलपुथल मची रही और कई बड़े चेहरे पार्टी से दूर हो गए। केजरीवाल पर तानाशाही और मनमानी के आरोप लगे। बावजूद इसके मुफ्त बिजली-पानी की योजना से उन्होंने लोकप्रियता भी बटोरी। वहीं, भाजपा ने भी मुकाबले में लौटने की पूरी कोशिश करते हुए अपना प्रदेश अध्यक्ष बदला और कमान मनोज तिवारी को दी। कांग्रेस ने भी रणनीति बदलते हुए प्रदेश अध्यक्ष को बदलकर पुराने दिनों की वापसी का पुरजोर प्रयास किया है। वह अब भी दिवंगत शीला दीक्षित के काम को गिना रही है।
8 फरवरी को मतदान
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए 8 फरवरी को मतदान होगा और 11 फरवरी को मतों की गणना के बाद नतीजे आएंगे। नामांकन के बाद अब उम्मीदवारों का प्रचार अभियान जोरों पर है। जगह-जगह रोड शो निकाले जा रहे हैं। आप जहां बिजली पानी मुफ्त जैसे अपने कामों को गिनाकर वोट मांग रही है, वहीं भाजपा का जोर अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के केंद्र के फैसले को भुनाने पर है। इसके अलावा नागरिकता कानून मुद्दा भी उसकी लिस्ट में शामिल है। वहीं कांग्रेस आप-भाजपा की लड़ाई को मुद्दा बनाकर चुनाव मैदान में है।