जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । सिंगापुर में किडनी का इलाज करा रहे समाजवादी पार्टी (एसपी) के पूर्व नेता अमर सिंह ने कभी अपने पक्के दोस्त रहे बॉलिवुड ऐक्टर अमिताभ बच्चन से माफी मांगी है। गंभीर रूप से बीमार अमर सिंह ने कहा कि वह जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं और जीवन के इस मोड़ पर अमिताभ से माफी मांगते हैं। उन्होंने एक विडियो संदेश और साथ ही ट्वीट के जरिए अमिताभ के नाम यह माफीनामा जारी किया। अमर ने कहा कि अमिताभ बच्चन रिश्तों में तल्खी के बावजूद हमेशा अपना फर्ज निभाते रहे, जबकि उन्होंने ही नफरत बढ़ाने का काम किया।
अमर सिंह ने लिखा है, ‘आज मेरे पिता की पुण्यतिथि है और मुझे इसी को लेकर अमिताभ बच्चन जी का एक मेसेज मिला। आज जीवन के इस वक्त में जब मैं जिंदगी और मौत से लड़ रहा हूं, मैं अमित जी और पूरे परिवार से अपनी टिप्पणियों को लेकर माफी मांगना चाहता हूं। ईश्वर उन सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखे।’
‘आज के दिन मेरे पूज्य पिताजी का स्वर्गवास हुआ था। इस तारीख को पिछले एक दशक से लगातार अमिताभ बच्चन जी संदेश भेजते हैं। जब दो व्यक्तियों में बहुत स्नेह होता है और उसमें कुछ कम या अधिक अपेक्षाएं या उपेक्षाएं होती हैं तो उन संबंधों में बहुत उबाल आता है। बहुत उग्र प्रतिक्रियाएं होती हैं। संबंध जितना अधिक निकट होता है, उसकी टूट की चुभन भी उतनी अधिक नुकीली होती है।’
‘इसी सिंगापुर में 10 साल पहले…’
‘पिछले 10 सालों में मैं बच्चन परिवार से न सिर्फ अलग रहा, बल्कि यह भी प्रयत्न किया कि उनके दिल में मेरे लिए नफरत हो लेकिन आज अमिताभ बच्चन जी ने मेरे पिताजी का सुमिरन किया तो मुझे ऐसा लगा कि इसी सिंगापुर में 10 साल पहले गुर्दे की बीमारी के लिए मैं और अमित जी लगभग दो महीने तक साथ रहे। इसके बाद हमारा और उनका साथ छूट सा गया…लेकिन 10 वर्ष बीत जाने पर भी उनकी निरंतरता में कोई बाधा नहीं आई। वह लगातार अनेक अवसरों पर चाहे मेरा जन्मदिवस हो या फिर पिताजी के स्वर्गवास का दिन हो, हर दिन को स्मरण करके अपने कर्तव्य का निर्वहन करते रहे हैं।’
‘जिंदगी और मौत की चुनौती के बीच से गुजर रहा हूं’
‘…तो मुझे लगता है कि मैंने भी अनावश्यक रूप से ज्यादा उग्रता दिखाई। साठ से ऊपर जीवन की संध्या होती है और एक बार फिर मैं जिंदगी और मौत की चुनौती के बीच से गुजर रहा हूं। मुझे लगता है कि सार्वजनिक रूप से मुझे और कोई कारण नहीं कि इस कारण कि हमसे उम्र में वह बड़े हैं, उनके प्रति नरमी रखनी चाहिए थी और जो कटु वचन मैंने बोला है, उसके लिए खेद भी प्रकट कर देना चाहिए…क्योंकि मेरे मन में कटुता और नफरत से ज्यादा उनके व्यवहार के प्रति निराशा रही।’
‘न तो निराशा है, न कटुता…’
‘उनके (अमिताभ बच्चन) मन में लगता है कि न तो निराशा है, न कटुता है बल्कि कोई न कोई भाव है। इस वजह से अपने पिताजी को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने जो श्रद्धासुमन अर्पित किए हैं, उनका संप्रेषण करते हुए ईश्वर से यही प्रार्थना है कि सबको ईश्वर उनके कर्मों के अनुसार यथोचित न्याय दे और हमें सब ईश्वर पर छोड़ना चाहिए बजाए इसके कि हम उनके कामकाज में खुद दखल दें।’
‘टूट की चुभन भी उतनी ही ज्यादा होती है’
कभी बच्चन परिवार के बेहद करीबी रहे अमर सिंह ने कहा, ‘आज के दिन मेरे पूज्य पिताजी का स्वर्गवास हुआ था। इस तारीख को पिछले एक दशक से लगातार अमिताभ बच्चन संदेश भेजते हैं। जब दो व्यक्तियों में बहुत स्नेह होता है और उसमें कुछ कम या अधिक अपेक्षाएं या उपेक्षाएं होती हैं। उन संबंधों में बहुत उबाल आता है और बहुत उग्र प्रतिक्रियाएं होती हैं। संबंध जितना अधिक निकट होता है, उसकी टूट की चुभन भी उतनी अधिक नुकीली होती है।’
‘जुम्मा चुम्मा से मना क्यों नहीं करतीं’
महिला अपराधों पर जया बच्चन ने एक भाषण दिया था। इस पर अमर सिंह ने पलटवार करते हुए कहा था, ‘आप मां हैं , पत्नी हैं। मां-पत्नी के हाथ में सामाजिक रिमोट होता है। आप अपने पति से क्यों नहीं कहतीं कि जुम्मा चुम्मा दे दे, न करें। आप अपने पति से क्यों नहीं कहतीं कि बारिश में भीगती नायिका के साथ आज रपट जइयो, हमें न भुलइयो न करो। आप अपनी पुत्रवधु से क्यों नहीं कहतीं कि ये जो दिल है मुश्किल में जो उन्होंने परिदृश्य किए हैं, वह न करें। आप अपने बेटे अभिषेक को क्यों नहीं कहतीं, जिसमें नायिका लगभग नग्न हो जाती है, कि ऐसे दृश्य न करें।’