नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ देश के मानचित्र पर पिछड़े राज्य के रुप में जाना जाता रहा है. 15 सालों तक भारतीय जनता पार्टी का शासन रहा, लेकिन पिछले साल हुए चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मार ली और भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व में सरकार बना ली. देश जहां आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है वहीं राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि उनके राज्य में इसका असर नहीं है क्योंकि उन्होंने इससे निपटने के लिए पहले ही योजना बना ली थी. राज्य के विकास के लिए उनके सामने आ रही चुनौती को लेकर होटल ताज पैलेस में बघेल से janjivan.com के लिए अमलेंदु भूषण खां ने लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश-
* एनआरसी व एनपीआर को लेकर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
एनआरसी अंग्रेजों से लिया गया प्रक्रिया है. अंग्रेज 1906 में एआरसी एशिया रजिस्ट्रेशन लागू किया था. महात्मा गांधी ने 1907 में इसका विरोध किया था. गांधी ने कहा था कि मैं भारतीय हूं इसका प्रमाण देने की जरुरत मुझे नहीं है. ना दस्तखत करुंगा और ना ही फिंगर प्रिंट दूंगा. आज ये अंग्रेज के लोग हैं और इसलिए इन्होंने एनआरसी लाया है. मैं भारतीय हूं मुझे क्यों यह प्रमाणित करना पड़ेगा? यदि किसी व्यक्ति के पास कोई भी प्रमाण पत्र नहीं है तो कहां रखेगी सरकार? लगभग प्रत्येक नागरिक के पास आधार कार्ड है वह नागरिकता के लिए पर्याप्त है. जो घुसपैठिया है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सरकार करे. सरकार को किसी ने रोका नहीं है.
* छत्तीसगढ़ में निवेश सम्मेलन आयोजित करने जा रहे हैं ?
मैंने फिक्की को ही इसकी जिम्मेवारी सौंपी है. छत्तीसगढ़ सरकार पूरा सहयोग करेगी.
* कितने निवेश की अपेक्षा आप रखते हैं ?
हमारे पास कोर सेक्टर नहीं है. हमारे पास फूड प्रोसेसिंग प्लांट के लिए जगह है, लघु उद्योग लगाने का संसाधन है, मानव संसाधन है, दवाओं के लिए वन औषधि है, अपार संभावनाएं हैं। टूरिज्म के लिए बेहतर क्षेत्र है. 44 फीसदी वन क्षेत्र है. खूबसूरत वन क्षेत्र, नदिया, पहाड़ के कारण टूरिज्म सेक्टर के लिए अपार संभावनाएं हैं.
*अगले 5 साल में कितने निवेश की संभावना आप देख रहे हैं? साथ ही इससे कितने लोगों को रोजगार मिलने की आशा रखते हैं?
कोशिश यही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके. छत्तीसगढ़ में 5000 साल पुराने ऐतिहासिक धड़ोहर नाट्यशाल है. नालंदा के बाद सबसे बड़ा सेंटर बौद्धस्थल चिरपुर में है जो 10 किमी तक फैला हुआ है.
जहांतक निवेश की बात है तो अभी मैं उद्योगपतियों को आमंत्रित ही कर रहा हूं. चर्चा होगी कितने निवेशक अपनी इच्छा जताते हैं, यह उनपर निर्भर करेगा. हमारे यहां के नरवा, गरवा गुरु जो ग्राम स्वराज की बात गांधी जी ने कही थी उसके तहत काम किया जा रहा है. इससे लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा.
छत्तीसगढ़ में कोयला, लोहा, अल्युमिनियम, बाक्साइट, डोलोमाइट है, ग्रेनाइट है, टूरिज्म है, धान है, ऑर्गेनिक फूड है,यह कह सकते हैं कि छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संपदा से भरपूर है.
* बतौर मुख्यमंत्री आपके सामने क्या चुनौतियां रहीं?
छत्तीसगढ़ 19 साल का हो गया है. बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें और सड़कें बनीं, बड़े ब्रिज बनाए गए, लेकिन आम जनता को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिला. गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों की संख्या 36 से बढ़कर 39.9 फीसदी हो गई. यहां 37.6 फीसदी बच्चे कुपोषित और 41.5 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. शिक्षा का स्तर नीचे है और स्वास्थ्य सेवाएं भी ठीक नहीं हैं। किसान आत्महत्या और आदिवासी पलायन करने लगे. तीन ब्लॉक में सिमटी नक्सली समस्या 14 जिलों में फैल गई. मेरी सरकार ने किसानों का ऋण माफ किया और फिर 2,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से धान खरीदी की. आदिवासियों को तेंदूपत्ता संग्रहण पर प्रति मानक बोरा 4,000 रुपये दिए गए. सभी गरीबों को हर महीने 35 किलो चावल दिया जा रहा है. 400 यूनिट तक बिजली बिल आधा किया गया.
* देश में जब मंदी का माहौल है, छत्तीसगढ़ में इसका कितना असर है?
भूपेश बघेल- हमारा नारा है- गढ़बो नवा छत्तीसगढ़. ऐसे में केवल किसान और आदिवासियों की बात कर आगे नहीं बढ़ सकते. हम उद्योग लाएंगे. कृषि, हर्बल और लघु वनोपज आधारित उद्योग ज्यादा होंगे. इससे किसानों को लाभ होने के साथ व्यापार भी बढ़ेगा और प्रदूषण भी नहीं होगा. उद्योग लगाने के लिए कई तरह की छूट और सुविधाएं दे रहे हैं. सिंगल विंडो के साथ समय सीमा भी तय की गई है. नई औद्योगिक नीति में निवेश और रोजगार दोनों का ध्यान रखा गया है.
* आपने राज्य में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का प्रावधान किया, हालांकि अभी कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. इसके पीछे आपका मकसद क्या है?
बाबा साहब आंबेडकर की मंशा और मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर संविधान के दायरे में रहकर हमने आरक्षण के संबंध में फैसला किया. अदालत ने देश में 50 फीसदी से अधिक, यानी करीब 69 फीसदी को मान लिया है. अब 13 फीसदी और आरक्षण की बात है.
* मनरेगा और आयुष्मान भारत योजना पर आपकी क्या सोच है?
भूपेश बघेल- मनरेगा की राशि के लिए दिल्ली की काफी दौड़ लगानी पड़ती है. आयुष्मान भारत योजना अभी तो चल रही है, लेकिन इसके बदले दूसरी स्वास्थ्य योजना के लिए जल्द कैबिनेट में विचार किया जाएगा.
* राज्य में नक्सली समस्या की क्या स्थिति है और सरकार का क्या रुख है?
नक्सली घटनाओं में 40 फीसदी की कमी आई है. इसकी बड़ी वजह है कि हम आदिवासियों और दूसरे लोगों को आर्थिक गतिविधियों में शामिल कर मुख्यधारा से जोड़ रहे हैं.