अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । मध्य प्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान ने शपथ लेने के बाद कोरोना वायरस के खतरे के चलते पहला बड़ा फैसला लिया। उन्होंने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और जबलपुर में मंगलवार से कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ”देर रात बल्लभ भवन में बैठा हुआ हूं जनता से सहयोग मांग रहा हूं कि आप लोग कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रशासन के साथ आए और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें।” उन्होंने कहा, ”इसके साथ ही भोपाल और जबलपुर दोनों जिलों में जो लॉक डाउन किया गया है इसमें कोई भी कोताही नहीं बरती जाएगी, इसे सख्ती से लागू किया जाए।”
चौहान इससे पहले तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे पहली बार वह 29 नवंबर 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, इसके बाद वह 12 दिसंबर 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, फिर आठ दिसंबर 2013 में तीसरी बार शपथ ली थी। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में यहां पार्टी विधायकों की बैठक में प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने दल के नेता के चयन के लिए विधायकों को आमंत्रित किया। जिस पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधायक दल के नेता के रूप में चौहान के नाम का प्रस्ताव किया, जिसका सभी विधायकों ने समर्थन किया।
पहले यह कहा जा रहा था कि सीएम पद की कमान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को देने का निर्णय पार्टी हाई कमान ने ले लिया है। जबकि उप मुख्यमंत्री का पद नरोत्तम मिश्रा को दिया जा सकता है।
कांग्रेस नेता कमलनाथ ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार से फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था। हालांकि, इसके पीछे की वजह बताते हुए बीजेपी नेता कहते हैं कि मुख्यमंत्री को लेकर अभी तक किसी के भी नाम पर एक राय नहीं बन सकी है। इसी वजह से बीजेपी की विधायक दल की बैठक भी नहीं हुई है।
दरअसल सीएम पद के लिए एक-दो नही कई दावेदार हो गए थ। जबकि पहले शिवराज सिंह का सीएम बनना तय माना जा रहा था। लेकिन सीएम पद के दावेदारों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव, थावरचंद गहलोत, नरोत्तम मिश्रा, कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेताओं के नाम तेजी से सामने आ रहे हैं। हालांकि तोमर ने शुक्रवार को कहा था कि वह सीएम बनने की दौड़ में नहीं हैं, लेकिन चूंकि कांग्रेस में शामिल होने वाले अधिकांश विधायक ग्वालियर चंबल क्षेत्र से हैं, इसलिए तोमर का नाम इस क्षेत्र में एक मजबूत नेता होने के नाते माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले 22 में से 15 विधायक इसी क्षेत्र से आते हैं और तोमर व मिश्रा भी यहीं के हैं।
सरकार गठन को लेकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के दिल्ली स्थित आवास पर बैठक हुई है। जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर, अनिल जैन, धर्मेन्द्र प्रधान, राकेश सिंह, सुधीर गुप्ता और कांग्रेस से आए ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हुआ। जिसके बाद मध्य प्रदेश के अगले सीएम को लेकर कयासों का दौर चर्चा में आया है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में हुई इस बैठक में मध्यप्रदेश में सरकार गठन को लेकर रणनीति बनाई गई। ऐसे में राजधानी भोपाल में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
इस क्रम में पार्टी की तरफ से नरोत्तम मिश्रा और नरेंद्र सिंह तोमर के नाम भी सामने आए हैं। जो कांग्रेस को तोड़ने में महती भूमिका निभाई है। इसके साथ-साथ यह भी चर्चा है कि मुख्यमंत्री के साथ एक उपमुख्यमंत्री भी बनाया जा सकता है। सनद रहे कि मध्यप्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में आई 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया है।
बीजेपी नेता ने कहा, ‘केवल सीएम पद के चयन का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भी है कि होने वाले उप-चुनावों में पार्टी की जीत को कौन सुनिश्चित करेगा। ऐसे में हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे आश्चर्यचकित करने वाले फैसले मध्य प्रदेश में भी लिए जा सकते हैं।
एक अन्य बीजेपी नेता कहते हैं कि नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा जैसे नाम इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में ही उप-चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के 13 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं। इस वजह से भी कई नेता उनका मुख्यमंत्री पद के लिए विरोध कर रहे हैं। अगर उन्हें इस बार फिर से मुख्यमंत्री की कमान दे दी जाती है तो पार्टी के अन्य नेता और कार्यकर्ता जोकि इस पद पर नए नाम को देखना चाहते हैं, वह पार्टी से निराश हो सकते हैं। वहीं, मध्य प्रदेश बीजेपी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पराशर ने चर्चा में चल रहे नामों को अफवाह बताई है।
सिंधिया खेमे से भी बनेंगे मंत्री
नए मंत्रिमंडल में कांग्रेस के सभी मंत्री शामिल होंगे जिन्होंने इस्तीफा दे दिया था और बेंगलुरु में थे। बताया जाता है कि सिंधिया खेमे के दो या तीन और विधायकों को मंत्री पद मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही, भाजपा नेतृत्व इस महीने अंतरिम बजट तैयार करने और फिर जून में पूर्ण बजट पेश करने पर काम कर रही है।