जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । सुशासन बाबू के नाम से मशहूर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत ना खोल दे इसलिए अलग तरह का राग अलापने लगे हैं। नीतीश का कहना है कि लॉकडाउन में विशेष बसों से लोगों को एक से दूसरे जगह भेजना ठीक नहीं है। इससे लॉकडाउन करने का कोई फायदा नहीं होगा। जबकि उनके घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी के के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर कहा कि बिहार के बाहर जो बिहारी फ़ंसे हैं उनकी परिस्थिति बद से बदतर होती जा रही है ऐसे हालात में हम सब को सभी प्रवासियों को बिहार लाने के लिए पहल करनी चाहिए।
दिल्ली का एम्स हो या सफदरजंग अस्पताल या फिर एलएनजेपी, बिहारी मरीजों की भारी भीड़ लगी रहती है। इनमें से 80 फीसद लोग फुटपाथ पर सो कर अपना इलाज करवाते हैं, क्योंकि बिहार में स्वास्थ्य सुविधा नाम की कोई चीज नहीं है। कहने के लिए तो बिहार की राजधानी में भारत सरकार ने एम्स की स्थापना की है लेकिन उसपर भी बिहार का रंग चढ़ गया है। पटना स्थित पीएमसीएच तो सिर्फ राजनीतिक धर्मस्थली बनकर रह गया गया है। एम्स में इलाज करवाने आए लोगों की बात माने तो पीएमसीएच में डॉक्टर मरीज की हैसीयत देखकर देखते हैं। जिसके कारण कुकुरमुत्ते की तरह निजी अस्पताल खुल रहे हैं। निजी अस्पतालों में मरीजों को निचौड़तक दिल्ली रैफर कर दिया जाता है।
दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकार बसों के जरिए लोगों को उनके घर तक पहुंचाने का काम कर रही है।
नीतीश कुमार ने सुझाव दिया कि लोग जहां फंसे हुए हैं, उनके लिए उसी स्थान पर व्यवस्था किया जाए। कैम्प लगाकर सरकार उन्हें ठहराए और भोजन की व्यवस्था करे।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन जारी है। इस दौरान सारे कल-कारखाने से लेकर काम-धंधा ठप है। इस कारण अन्य राज्यों से आए मजदूर मुश्किल में पड़ गए हैं। उनके पास खाने और किराया देने को पैसे नहीं हैं। ऐसे में वे बड़ी संख्या में पैदल ही अपने गांव की तरफ चल पड़े हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1000 बसों से हजारों लोगों को उनके गंतव्य स्थान पर भेजने का निर्णय लिया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के लोगों को उनके घरों तक बसों से पहुंचाने का फैसला किया। जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि बसों से लोगों को भेजना एक ग़लत कदम साबित हो सकता है। उन्होंने बयान दिया कि विशेष बसों से लोगों को भेजने से कोरोना वायरस और फैलेगा जिसकी रोकथाम और निबटाव करना सबके लिए मुश्किल हो सकता है। नीतीश कुमार ने कहा कि ऐसा कदम लॉकडाउन के फैसले को पूरी तरह फेल कर देगा।
बिहार के सीएम ने यह भी सुझाव दिया कि जो जहां है वहीं पर कैम्प लगाकर लोगों के रहने और खाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। बता दें कि दिल्ली-एनसीआर से हजारो की संख्या में यूपी और बिहार के मजदूर अपने घर जाने के लिए पैदल निकल रहे हैं। इसे देखते हुए ही यूपी सरकार ने बसों का इंतजाम किया है।
यूपी सरकार द्वारा संचालित ये बसें नोएडा-गाजियाबाद से हर दो घंटों में रवाना होंगी। इन बसों के बाद कई दिनों से परेशान यात्रियों के लिए राहत वाली बात है।
नीतिश कुमार का कहना है कि बिहार से बाहर राज्य के निवासी जहां भी फंसे हों वहीं पर उनकी मदद की जायेगी लेकिन हकीकत यह है कि दिल्ली स्थित जो टेलीफोन नंबर दिए गए हैं उनपर कोई फोन नहीं उठाता है।