जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । देशभर में लॉकडाउन में सभी तरह के यातायात बंद होने के कारण मजदूर और गरीब लोग अपने घरों को पलायन कर रहे हैं। ये सभी वो लोग हैं जो मजदूरी और दो वक्त की रोजी-रोटी कमाने के लिए दिल्ली आए थे। लॉकडाउन के चलते उनके हाथ से रोजगार छिन गया है। ऐसे में अपने गांव वापस जाने के अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं है।
केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए रेल सेवा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को पूरी तरह से बंद कर दिया है। जिसके चलते दिल्ली-एनसीआर में काम करने आए उत्तर प्रदेश और बिहार के लाखों मजदूर और गरीब यहां फंस गए हैं। ऐसे में देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपना कार्य स्थल छोड़ कर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर अपने पैृतक स्थानों पर लौट रहे हैं और रास्ते में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
दिल्ली बॉर्डर से लेकर गाजियाबाद तक सड़कों पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। महिलाएं मासूम बच्चों को गोद में लेकर पैदल ही अपने गांव के लिए निकल पड़ी हैं। गोद में बच्चे और हाथ में सामान लिए यह महिलाएं चली जा रही हैं। जो लोग यहां रिक्शा चलाते थे वो उसी रिक्शे पर अपने परिवार को लेकर जा रहे हैं। दिल्ली के बॉर्डर गाजीपुर से गाजियाबाद तक सड़कों पर लोगों का मेला सा लगा हुआ है।
नोएडा के सेक्टर 62 के चौराहे पर एक मासूम बच्ची को गोद में लिए खड़ी एक महिला ने बताया कि वो जलालाबाद की रहने वाली है। वह पिछले दो घंटों से यहां खड़ी है लेकिन कोई सवारी नहीं मिली। महिला ने बताया कि वो दिल्ली से पैदल चलकर नोएडा तक आई है और अगर कोई सवारी नहीं मिली तो आगे भी पैदल ही जाएगी।
बसों के बंद होने से कुछ बस वाले चांदी काट रहे हैं। वो लोगों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। भीड़ में मौजूद चार युवकों ने बताया कि वो बिहार के रहने वाले हैं। दिल्ली में किसी फैक्ट्री में काम करते थे। फैक्ट्री अब बंद हो गई है इसीलिए हम वापस बिहार जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बस और रेल बंद हैं अब हम घर कैसे जाएं? कुछ बस वाले लखनऊ तक जा रहे हैं लेकिन वो यहां से लखनऊ तक के 1500 से 2000 रुपये मांग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम कल से भूखे-प्यासे हैं, हमने कुछ नहीं खाया, सरकार को हमें खाना देना चाहिए और हमारे घर तक पुहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए। नोएडा सेक्टर 62 की तरह ही गाजियाबाद के लालकुआं पर भी भारी भीड़ देखने को मिली। एक बुजर्ग ने बताया कि वो मुरादाबाद के रहने वाले हैं। बस वाले वहां तक के 500 रुपये मांग रहे हैं जबकि वहां तक 200 रुपये लगते हैं।
जेब से बिस्किट निकालकर दिखाते हुए उन्होंने कहा कि इसके सिवा हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है। कल से बिस्किट और पानी के सहारे हैं। बस किसी तरह घर पहुंच जाएं। वहीं, पास में खड़े एक और व्यक्ति ने बताया कि वह रामुपर से हैं। बस वाला वहां के 600 रुपये मांग रहा है। 600 रुपये भी दे दें लेकिन ड्राइवर ने बुरी तरह लोगों को बस में भर रखा है। बस अंदर से खचाखच भरी हुई है साथ में ऊपर भी लोग बैठे हुए हैं। हमने प्राइवेट बस वाले से बात की तो उसने रामपुर का 600 और मुरादाबाद का 500 रुपये किराया बताया।
स्थानीय लोग दिखा रहे दरियादिली, बांट रहे केले और बिस्किट
राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा के बाद सामान्य यातायात सेवाएं बंद हो जाने के कारण प्रवासी मजदूरों के पास पैदल चलकर घर पहुंचने का ही विकल्प बचा है। वो भूखे-प्यासे अपने घरों के लिए जा रहे हैं। ऐसे में कुछ स्थानीय लोग उनके लिए दरियादिली दिखा रहे हैं। पैदल जा रहे लोगों की वो रास्ते में रोककर पानी पिला रहे हैं। पानी के अलावा वो केले और बिस्किट भी बांट रहे हैं।
पुलिस कर रही मुसीबत में फंसे लोगों की मदद
दिल्ली से घर जा रहे इन लोगों के लिए सबसे बड़ी परेशानी किसी वाहन का न मिलना है। ऐसे में पुलिसवाले उनकी काफी मदद कर रहे हैं। जब कोई खाली ट्रक और तेल/दूध का टैंकर आता है पुलिसवाले उसे रोक कर मुसीबत में फेंसे लोगों को उसमें बिठा देते हैं। एक पुलिसकर्मी ने बताया कि हम चाहते हैं कि किसी तरह यह लोग अपने घर तक पहुंच जाएं।