अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली। भारत में कोरोनावायरस से जंग लड़ रहे डॉक्टर ही अब इस बीमारी की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पूरे देश में अबतक कम से कम 14 डॉक्टर कोरोना की चपेट में आ चुके हैं जिनमें से एक की जान जा चुकी है। डॉक्टरों के संक्रमण में आने का सबसे बड़ा कारण फुलप्रूफ बचाव उपकरण का ना होना माना जा रहा है।
देश की चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि एम्स के डॉक्टर कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। बताया जाता है कि यह डॉक्टर फिजियोलॉजिकल विभाग में कार्यरत हैं। हालांकि एम्स प्रशासन इस मामले पर बोलने से बच रहा है।
डॉक्टरों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का देश का पहला मामला भी राष्ट्रीय राजधानी से ही सामने आया था। दिल्ली सरकार के दिलशाद गार्डेन स्थित मोहल्ला क्लिनिक में तैनात एक डॉक्टर इस बीमारी का पहला शिकार हुआ था। हालांकि डॉक्टर अब बिल्कुल ठीक हैं।
एम्स के डॉक्टर के कोरोनावायरस से संक्रमण से पहले दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल के दो रेजिडेंट डॉक्टरों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। आधिकारिक सूत्रों ने 1 अप्रैल को बताया कि अस्पताल में कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रही टीम में शामिल एक डॉक्टर ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुआ है। सूत्रों के अनुसार, जैवरसायन विभाग में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में तृतीय वर्ष की छात्रा, महिला रेजिडेंट डॉक्टर के भी संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। वह हाल ही में विदेश यात्रा पर गयी थीं। दोनों में कोविड-19 के लक्षण दिखे और उनकी जांच रिपोर्ट दो दिन पहले पॉजिटिव आयी है। दोनों का सफदरजंग के पृथक वार्ड में इलाज चल रहा है।
उन्होंने बताया, ‘‘दोनों के संपर्क में आने वाले सभी डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों की भी जांच की गयी है। अभी तक किसी के भी कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि नहीं हुई है।’’ उन्होने कहा कि सभी से उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर नजर रखने को कहा गया है।
वहीं, दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक के दो और डॉक्टर और कैंसर सेंटर का एक डॉक्टर भी कोरोनावायरस से संक्रमित पाया गया था। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीच्यूट के 35 साल के एक डॉक्टर के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है, जिसके बाद सेंटर को बंद कर दिया गया है।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी की माने तो सरदार वल्लभ भाई पटेल हॉस्पिटल के 32 साल के एक बाल रोग चिकित्सक में भी कोरोन वायरस की पुष्टि हुई है।
बताया जाता है कि कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों के इलाज में जुटे मुंबई के दो नर्स भी इस बीमारी के चपेट में आ चुके हैं। साथ ही हरियाणा के पंचकुला स्थित एक अस्पताल की नर्स भी संक्रमित हो गई हैं।
जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाने में जुटे डॉक्टरों को आवश्यक मेडिकल किट और मास्क भी देने में सरकार नाकाम साबित हो रही है। दिल्ली के बाराहिंदू राव अस्पताल के डॉक्टर हों या फिर बिहार के नालंदा मेडिकल कालेज के, सभी आंदोलन की राह पर जा रहे हैं।
एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि रंजन कुमार रमन का कहना है कि, ‘सभी तरह के आवश्यक मेडिकल किट और मास्क के बिना हम ड्यूटी पर हैं, जिस वजह से वायरस से हमारे संक्रमित होने की प्रबल आशंका है. हमारे में से कई डॉक्टरों में वायरस के लक्षण है लेकिन यहां कोई सुन ही नहीं रहा।’
उन्होंने कहा, ‘अस्पताल में पीपीई किट, एन-95 मास्क और अन्य आवश्यक सुरक्षात्मक गियर की भारी कमी है। हम इन उपकरणों के मिलने का इंतजार कर रहे हैं तब तक हम इलाज कर रहे हैं और खुद के मरने का इंतजार कर रहे हैं. हमारे स्वास्थ्य सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले को हैंडल कर रहे हैं।’
बिहार की राजधानी पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनएमसीएच) के 83 जूनियर डॉक्टरों ने कोरोना वायरस से खुद के संक्रमित होने को लेकर चिंता जताई है। कोरोना वायरस से खुद के संक्रमित होने के डर की वजह से इन डॉक्टरों ने अस्पताल के अधीक्षक को पत्र लिखकर खुद को 15 दिनों के लिए क्वारंटाइन करने की अपील की है।
मालूम हो कि कोरोना से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए एनएमसीएच को बिहार का पहला विशेष अस्पताल बनाने का ऐलान किया जा चुका है।
इन जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल में निजी सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई), एन-95 मास्क, दस्तानों और सुरक्षात्मक गाउन की कमी को लेकर चिंता जताई है।
देश के यूनाइटेड रेजिडेंट्स एंड डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों की दशा की ओर ध्यान दिलाया था। पीपीई किट, एन-95 मास्क की भारी कमी को देखते हुए बिहार सरकार ने डॉक्टरों से एचआईवी प्रोटेक्शन किट का इस्तेमाल करने को कहा था। इस पर डॉक्टरों ने कहा था, ‘एचआईवी प्रोटेक्शन किट में पूरी तरह से चेहरा कवर नहीं होता, इसमें आंखों को सुरक्षित रखने के लिए गोगल्स भी नहीं होते।