जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। कोरोना वायरस से लोगों की जिंदगी बचा रहे डॉक्टरों पर हो रहे हमले व पीपीई किट की कमी से जूझ रहे डॉक्टरों ने इस्तीफा देना शुरु कर दिया है। इसी का परिणाम है कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में एक साथ 50 डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि कोरोना की वजह से पहले इन सभी लोगों ने इस्तीफा दे दिया है। मारपीट की घटना पर डॉक्टरों की संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, आईएमए, अभीतक चुप्पी साधे हुए है।
हालांकि राज्य में एस्मा लागू है, इसे लागू होने के बाद जरूरी सेवाओं से जुड़े लोग ड्यूटी से पीछे नहीं हट सकते हैं। इस्तीफे पर अधिकारी यह कह रहे हैं कि इनलोगों ने एस्मा से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
इंदोर में डॉ. शत्रुघ्न पंजवानी की कोरोना वायरस से मौत हो चुकी है।
कोरोना के कारण ग्वालियर के गजराजा मेडिकल कॉलेज में 114 लोगों की संविदा पर नियुक्ति हुई थी, जिसमें 92 लोग ही ज्वाइन किए। संविदा पर नियुक्त इन डॉक्टरों की ड्यूटी सुपर स्पेशलिटी और आइसोलेशन वार्ड में लगाई गई थी। 50 इस्तीफा देकर चले गए हैं। संविदा पर नियुक्त 42 डॉक्टर ही यहां बचे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में मरीजों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों ने कहा कि पहले उनलोगों ने कोरोना ड्यूटी के लिए स्वीकृति दी थी। बाद में आदेश आया कि जिनकी मर्जी हैं, वो कोरोना ड्यूटी करें या फिर अलग हो जाएं। इसके बाद हमलोगों ने इस्तीफा दे दिया। डॉक्टरों ने यह भी कहा कि हम यहां के लोकल हैं, अगर कोरोना संक्रमितों का इलाज करेंगे तो इसका असर हमारे परिवार पर पड़ेगा।
दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल की दो डॉक्टरों के साथ मारपीट का मामला दो दिन पहले सामने आया था। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। जानकारी के मुताबिक दोनों महिला डॉक्टर गुलमोहर एनक्लेव में फल खरीदने के लिए गई थीं। जहां एक शख्स ने पहले दोनों डॉक्टरों के साथ बदसलूकी की और जब उन्होंने बताया कि वह सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर हैं तो उनके साथ मारपीट भी की। इस घटना के बाद दोनों बहनों ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया और आरोपी को गिरफ्तार करवाया।
मध्यप्रदेश स्थित भोपाल एम्स की एक महिला डॉक्टर सहित दो जूनियर डॉक्टरों से पुलिस ने ही मारपीट की। जिसमें दो डॉक्टरों की हड्डी टूट गई। पिटाई की घटना के बाद एक पुलिसकर्मी को लाइन हाजिर कर मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। एम्स के निदेशक डॉ सरमन सिंह ने कहा घटना तब हुई जब बुधवार शाम दो जूनियर डॉक्टर एम्स में ड्यूटी के बाद परिसर में अपने आवास लौट रहे थे।
डॉक्टरों पर हो रहे हमले व त्यागपत्र दे रहे डॉक्टरो के मामले पर आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ.के.के अग्रवाल का कहना है कि कोरोना संकट से लोगों की जिंदगी बचाने में डॉक्टर जुटे हुए हैं। ऐसे में उनपर हमला करना किसी भी रुप में उचित नहीं है। केंद्र सरकार डॉक्टरों के लिए सेंट्रल एक्ट लेकर आए इसकी मांग डॉक्टर समुदाय काफी लंबे समय से की जा रही है लेकिन उस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उनका कहना है कि डॉक्टरों की जिंदगी बचाना आम जनता व सरकार का काम है।
आईएम के पदाधिकारी रह चुके डॉ. अनिल बंसल का कहना है कि डॉक्टरों की चिंता कोई नहीं कर रहा है। अगर इस ओर जल्द ध्यान नही दिया गया तो हालात काफी खराब हो सकते हैं।