कहा, भ्रम फैलाकर अनावश्यक मूल्य वृद्धि की न करे कोशिश
थोक व्यापारियों से संपर्क करके कर सकते हैं आटा-मैदा की खरीद
नई दिल्ली। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) ने दिल्ली सहित देश भर मे गेहूं, आटा, दाल और चावल सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता को लेकर कुछ एफएमसीजी इकाईयों द्वारा मीडिया के जरिए माल की किल्लत जैसे फैलाए जा रहे कथन का जोरदार खंडन करते हुए कहा है कि देश मे आटा, दाल, चावल और गेहूं सहित अन्य सभी खाद्यान्नों की कोई कमी नहीं है। देश की सभी थोक मंडियों के व्यापारियों के पास पर्याप्त मात्रा मे माल उपलब्ध है। जिसे संपर्क करके खरीद किया जा सकता है।
बीयूवीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी मिश्रा एवं चेयरमैन श्री मनोहरलाल कुमार ने एक बयान जारी करके कहा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर देश भर मे लागू किए लॉक डॉउन का पालन करते हुए व्यापारियों ने कारोबार जरूर बंद कर रखा है। लेकिन खाद्यान्न सहित अन्य आवश्यक वस्तुओँ की आपूर्ति बंद नहीं की गई है। इस समय देश के नागरिकों को पेट भरने के लिए आटा, दाल, चावल और गेहूं की जरूरत है। जिसे व्यापारी हर हाल मे पूरा कर रहे हैं। इसके साथ ही खाद्य प्रसंस्करण ईकाईयां भी अपनी जरूरत के मुताबिक खरीद कर रही हैं।
श्री मिश्रा एवं श्री कुमार ने कहा कि इस समय देश मे गेहूं,आटा, दाल और चावल की निर्बाध आपूर्ति की जरूरत है। जिसे पूरा किया जा रहा है। इसके बावजूद मंडियों मे माल की कोई कमी नहीं है। खाद्य प्रसंस्करण ईकाईयां वहां से खरीद करके अपनी जरूरत पूरा कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि देश के कई क्षेत्र हाट स्पॉट घोषित हुए हैं। ऐसे मे इन क्षेत्रों मे सभी तरह के प्रसंस्करण का काम भी बंद है साथ ही मजदूर भी अपनी सुरक्षा के लिए घरों मे हैं। इस मामले को कुछ एफएमसीजी वाले तूल देकर अनावश्यक तेजी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। जो मौजूदा देश के हालात को देखते हुए सही नहीं हैं। उन्हें इस समय ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए जो देश और आम नागरिकों के हित को प्रभावित करता हो।
बीयूवीएम के राष्ट्रीय महामंत्री श्री विजय प्रकाश जैन ने कहा कि बिस्कुट और ब्रेड निर्माता ईकाईयां थोक व्यापारियों से सीधे माल खरीद कर अपनी आवश्यकता की पूर्ति कर रहे हैं। ऐसे मे यदि किसी क्षेत्र मे लॉकडॉउन के चलते यदि आपूर्ति मे देरी हो रही है तो एफएमसीजी ईकाईयों को उसे मुद्दा बनाकर अनावश्यक बयान देने से बचना चाहिए। उनके बयान का आपूर्ति पर असर पड़ सकता है और इससे वस्तुओं की कीमतें भी प्रभावित हो सकती हैं। राष्ट्रीय हित मे यह बात ठीक नहीं है।
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