अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । दुनिया में शायद भारत ही एक ऐसा देश होगा जहां लोग विषम परिस्थियों का भी फायदा उठाने से नहीं चूकते हैं। कोरोना वायरस देश में क्या फैला मानो व्यापारियों की चांदी हो गई। लॉकडाउन का आज 18वां दिन है इस दौरान खाने पीने की चीजों की कीमतों में दो से तीन गुना बढ़ोत्तरी हो गई। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय हाथ पर हाथ रखकर इस तरह बैठा हुआ है जैसे उनकी अनुमति से ही यह सब हो रहा है। यही कारण है कि देशभर में अबतक कालबाजारी करने वालों के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उल्टे व्यापारी नेता पीएम नरेंद्र मोदी से राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं।
जिस तरह से महंगाई बढ़ी है उससे ऐसा लगता है कि राम विलास पासवान का अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग मिला हुआ है। लॉकडाउन से पहले जब प्याज व आलू की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई तो खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय यह तर्क देता रहा कि बारिश के कारण ऐसा हो रहा है। लेकिन जैसे ही जनता कर्फ्यू व लॉक़डाउन के बाद जमाखोरी व मुनाफाखोरी बढ़ी मंत्रालय के पास कोई जवाब नहीं है।
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले तो जनता कर्फ्यू की घोषणा की बाद में लॉकडाउन। लॉकडाउन की घोषणै होते ही आटा-चावल बाजार से गायब हो गए। जो आटा 26 रुपए प्रति किलोग्राम बाजार में उपलब्ध था वह 50 रुपए प्रति किलो ग्राम हो गया। वह भी दुकानदारों से काफी विनती करने के बाद। जो अरहर दाल आम दिनों 65 से 70 रुपए प्रति किलोग्राम पर उपलब्ध थी वह फिलहाल 120 रुपए प्रति किलोग्राम पर उपलब्ध हो रहा है। एक लिटर सरसों तेल बिग बाजार व रिलायंस फ्रेश में 90 से 106 रुपए में उपलब्ध होता था वह खुदरा दुकान में 180 रुपए में उपलब्ध हो रहा है।
हरियाणा व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंगदास गर्ग यह कह रहे हैं कि ऐसे समय में लोगों को जरुरी सामानों पर डिस्काउंट देनी चाहिए। उनका कहना है कि यह बात जरुर है कि स्थिति का फायदा व्यापारी वर्ग उठा रहे हैं। जबकि खाद्य पदार्थों की कोई कमी देश में नहीं है।
सब्जियों का व्यापार करने वाले भी मुनाफाखोरी में पीछे नहीं रह रहे हैं। जनता कर्फ्यू से पहले भिंडी 50 रुपए किलो थी, फिलहाल यह 120 रुपए प्रति किलो पर उपलब्ध कराया जा रहा है। 10 रुपए प्रति किलो बिकने वाला टमाटर फिलहाल 40-50 रुपए किलो पर बेचा जा रहा है।
इस बीच केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से लगातार संदेश आते रहे कि अनाज-सब्ज़ियाँ-दूध-ब्रेड वग़ैरह की सप्लाई में कोई कमी नहीं आएगी। उधर दूसरी तरफ़ सब्ज़ियों के दाम कम होने के बजाय बढ़ ही गए हैं।
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महामंत्री विजय प्रकाश जैन का कहना है कि इक्के-दुक्के व्यापारी कालाबाजारी व मुनाफाखोरी कर पूरे व्यापारियों को बदनाम कर रहे हैं। ऐसा करने वाले लोग अपराध कर रहे हैं। ऐसे समय में लोगों की मदद करने की जरुरत है।
लेकिन हो रहा है सब उल्टा। जब लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी तब 30 अंडों की एक ट्रे 130 की मिल रही थी,फिलहाल सफ़ेद अंडों वाली ट्रे 210 में बिक रही है।
फिलहाल उपभोक्ता एवं खाद्य मंत्रालय का कोई भी अधिकारी इस मामले पर बातचीत करने के लिए तैयार नहीं है।