जनजीवन ब्यूरो
पटना : जदयू, राजद व कांग्रेस के महागंठबंधन के बीच सीटों के चयन को लेकर मंथन जारी है. उम्मीद की जा रही है कि आज शाम तक या बुधवार तक स्थिति स्पष्ट हो सकेगी. राजद जहां 2014 के लोकसभा चुनाव में मिले वोट का हवाला दे रहा है, वहीं जदयू अपनी सीटिंग सीट छोड़ने को राजी नहीं है. जदयू जहां 2010 में जीते सीटों में से 100 सीटें अपने पास रखने पर जोर दे रही है वहीं राजद 2014 लोस चुनाव के आधार पर अपनी सीटों के तर्क दे रही है। कांग्रेस सीटिंग के अलावा 2010 में दूसरे स्थानवाली व पार्टी की परंपरागत सीटें बनाये रखने पर अपनी दावेदारी पेश कर रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 7, सर्कुलर रोड स्थित आवास पर जदयू और राजद नेताओं की बैठक हुई. करीब तीन घंटे तक चली बैठक में जदयू और राजद ने अपनी-अपनी सीटों पर चर्चा की.
बैठक के बाद राजद विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी ने जहां वार्ता को सार्थक बताया और मंगलवार की शाम तक सब कुछ फाइनल होने की बात कहीं, वहीं जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने जदयू-राजद दोनों को सेक्रेफाइज करने को तैयार रहने को कहा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, मंत्री विजय चौधरी, विजेंद्र यादव व ललन सिंह के साथ बैठक हुई. बैठक में दोनों दलों ने अपनी-अपनी दावेदारीवाली सीटों को रखा. दोनों दलों के नेताओं ने उस पर मंथन किया. राजद जहां जदयू की कई सीटिंग सीटों पर दावेदारी पेश कर रहा है, वहीं जदयू अपनी सीटिंग सीटों पर अड़ा हुआ है. जदयू 118 सीटिंग सीटों में से 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाह रहा है. इनमें से करीब 22 विधायक बागी हो गये हैं या फिर दूसरी पार्टी की सदस्यता ले ली है.
वर्तमान में जदयू के पास उनके भरोसे के करीब 96 विधायक ही हैं. जदयू इन 96 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाह रहा है. साथ ही चार और सीट छोड़ कर बाकी की सीटिंग सीटों को राजद-कांग्रेस के लिए छोड़ना चाह रहा है. वहीं, जदयू की 96 सीटिंग में से एक से डेढ़ दर्जन सीटों पर राजद अपना दावा कर रहा है. राजद पिछले विधानसभा चुनाव में हार-जीत का कम अंतर और लोकसभा चुनाव में जदयू से ज्यादा वोट आने को अपना आधार बना रहा है. साथ ही दोनों ही पार्टियां कम्युनिटी फैक्टर को देख रही हैं. इस आधार पर वे कुछ सीटों की अदला-बदली कर भी सकती है.