जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। एक तरफ पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है तो दूसरी तरफ आर्थिक चुनौतियां भी सुरसा की तरह मुंह फाड़े जा रहा है। सरकार अब इकॉनमी को बचाने की दिशा में कदम उठाने जा रही है। सरकार 1.7 लाख करोड़ का राहत पैकेज पहले ही घोषणा कर चुकी है। माना जा रहा है कि जल्द ही दूसरे राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है। इसको लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाई लेवल बैठक की जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी शामिल थीं।
बताया जाता है कि बैठक में उन सेक्टर्स को राहत देने पर चर्चा हुई जिनपर कोरोना का सबसे बुरा असर हुआ है। यह बैठक इसलिए अहम है क्योंकि विश्व की तमाम एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि लॉकडाउन के कारण भारत की विकास दर पिछले तीन दशक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाएगी। IMF ने कहा है कि मोदी सरकार को अब इकॉनमी को बचाने के लिए बड़े फैसले लेने की जरूरत है। इसमें देरी से हालत बेहद खराब हो सकती है।
इस बैठक में देश की अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत और लॉकडाउन के बाद के हालात पर विस्तार से चर्चा हुई। इस साल विकास दर की बात करें तो वर्ल्ड बैंक के मुताबिक यह 1.5 फीसदी से 2.8 फीसदी के बीच रह सकती है। IMF ने कहा है कि इस साल विकास दर 1.9 फीसदी रह सकती है।
आईएमएफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में विश्व के सभी विकसित देशों की विकास दर नेगेटिव रहेगी, जबकि भारत 1.9 फीसदी के साथ विश्व में सबसे तेजी से विकास करने वाला देश रह सकता है। हालांकि 2021 में इसमें काफी तेजी आएगी, लेकिन कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई में लंबा वक्त लग सकता है।