नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लॉक डाउन 2.0 में 20 अप्रैल से ई-कॉमर्स कंपनियों को कारोबार करने के पूर्व आदेश को वापस ले लिया है। केंद्र सरकार ने यह कदम भारतीय उद्योग व्यापार मंडल सहित राज्यों के अनेक व्यापारिक संगठनो एवं दुकानदारों के प्रबल विरोध के बाद उठाया है। इस संबंध मे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आज सुबह एक अधिसूचना जारी की है। जिसमे 20 अप्रैल से ई-कॉमर्स कंपनियों को कारोबार करने की छूट दिए जाने के दिशा-निर्देशों मे संशोधन किया गया है। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) ने केंद्र सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि लॉक डाउन में जब छोटे-बड़े व्यापारी, दुकानदार और उद्यमी सभी अपना कामकाज बंद करके घर बैठे हुए हैं। ऐसे में ई-कॉमर्स कंपनियों को कारोबार करने की छूट दिए जाने का आदेश सही नहीं है।
बीयूवीएम के राष्ट्रीय महामंत्री विजय प्रकाश जैन ने कहा कि मौजूदा समय देश के लगभग 7 करोड़ छोटे एवं मध्यम व्यापारियों ने लॉक डाउन पर केंद्र सरकार के जारी निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए अपना कारोबार बंद कर रखा है। हालांकि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अप्रैल से कुछ सख्त शर्तो (दिशा-निर्देशों) के साथ कई तरह के (लगभग डेढ़ दर्जन) उद्योगो को अपना कामकाज शुरू करने की बात कही है, जिसमे ई-कॉमर्स कंपनियां भी शामिल हैं।
जैन ने कहा जब करोड़़ो कारोबार व्यापारियो ने अपना कारोबार बंद कर रखा है तब ई-कॉमर्स कंपनियों को कारोबार करने की छूट दिए जाना सही नहीं है। इस संबंध मे बीयूवीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम बिहारी मिश्रा के नेतृत्व मे देश भर के प्रान्तीय व्यापारिक संगठनो ने केंद्र सरकार को अपना विरोध दर्ज कराते हुए यह आदेश वापस लेने का दबाव बनाया। जिसके परिणाम स्वरूप आज सरकार ने 20 अप्रैल से ई-कॉमर्स कंपनियों को कारोबार करने के आदेश को वापस लेना पड़ा।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और उड़ीसा ने तो ई-कॉमर्स कंपनियों को गैर-जरूरी वस्तुओं के कारोबार की इजाजत देकर स्थानीय व्यापारियों के हितों पर ही कुठाराघात किया है। बीयूवीएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम बिहारी मिश्रा एवं चेयरमैन मनोहरलाल कुमार ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, शहरी विकास मंत्री और वाणिज्य राज्य मंत्री हरदीप पुरी, गृह सचिव अजय भल्ला और डीपीआईआईटी के सचिव गुरुदास माहपात्रा से हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हुए कहा कि दोनो राज्यों की यह अधिसूचनाएं केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से 15 अप्रैल को जारी दिशा-निर्देशों के खिलाफ हैं। इस तरह के आदेशों से बाजार में एक असमान स्तर बनेगा। अनावश्यक विवाद उत्पन्न होंगे। लिहाजा वह महाराष्ट्र एवं उड़ीसा सरकार की तरफ से जारी उस आदेश को वापस लेने के लिए कहे, जिसमें ई-कॉमर्स कंपनियों को सभी वस्तुओं के व्यापार करने की मंजूरी दी गई है।