जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कच्चे तेल की कीमत में ऐतिहासिक गिरावट के बाद मंगलवार को मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में भी पेट्रोल 69 रुपये और डीजल 62 रुपये प्रति लीटर बेचा जा रहा है। पेट्रोल-डीजल की कीमत कम करने की मांग पर सरकार क्यों ध्यान नहीं दे रही है?
राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि दुनिया में कच्चे तेल की क़ीमतें अप्रत्याशित आंकड़ों पे आ गिरी हैं, फिर भी हमारे देश में पेट्रोल 69 रुपये, डीजल 62 रुपये प्रति लीटर क्यों है? इस विपदा में जो दाम घटे, सो अच्छा। कब सुनेगी ये सरकार?
यह ऐतिहासिक मौका, उपभोक्ताओं को राहत दें: कांग्रेस
इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि सरकार को आम उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करनी चाहिए। खेड़ा ने कहा कि तेल के दामों में अचानक अप्रत्याशित कमी का आना एक ऐतिहासिक मौका है। इतनी कमी कि वह शून्य से भी नीचे जा पहुंचा। एक बार तो ऐसा क्षण आया कि दाम शून्य से 37 डॉलर नीचे चला गया। इसका कारण है कि अमेरिका में इस कच्चे तेल का कोई खरीददार नहीं हैं।
कीमतों में कमी का लाभ उपभोक्ताओं को क्यों नहीं: कांग्रेस
उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले छह वर्षों में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क लगाकर 20 लाख करोड़ रुपये अर्जित किये। सवाल यह है कि आप इस लाभ को उपभोक्ता के साथ क्यों बांट नहीं सकते? वह राहत आम उपभोक्ता को क्यों नहीं दे सकते? खेड़ा ने सरकार से आग्रह किया कि इस मुश्किल दौर में आम लोगों को राहत देनी चाहिए।
कोरोना वायरस की वजह से कच्चे तेल के दाम ऐतिहासिक निचले स्तर पर हैं। वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (डब्लूटीआई) में फ्यूचर प्राइस पहली बार नेगेटिव में पहुंच गया है यानी प्रोड्यूसर उल्टे खरीदार को तेल ले जाने के पैसे देंगे। 1983 के बाद पहली बार ऑइल फ्यूचर प्राइस नेगेटिव हुआ है। 1983 में न्यू यॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज ने ऑइल फ्यूचर की ट्रेडिंग शुरू की थी तब से पहली बार तेल की कीमत शून्य के नीचे पहुंची है। यह ऐसी स्थिति है जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी।
कच्चे तेल के भाव में जब एक डॉलर की कमी आती है तो भारत के आयात बिल में करीब 29000 करोड़ डॉलर की कमी आती है। यानी 10 डॉलर की कमी आने से 2 लाख 90 हजार डॉलर की बचत। सरकार को इतनी बचत होगी तो जाहिर है पेट्रोल-डीजल और अन्य फ्यूल के दाम पर असर पड़ेगा।