जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की देखभाल करने वाले डॉक्टर समेत हजारों स्वास्थ्यकर्मी कोरोना की चपेट में तो आए ही साथ ही मरीज व आम लोगों ने भी उनके साथ मारपीट की। लगतार हो रहे हमले को लेकर डॉक्टर समुदाय 23 अप्रैल को काला दिवस मनाएंगे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा का कहना है कि लगातार हमले का शिकार हो रहे है इसलिए ऐसा कदम उठाया गया है।
Janjivan.com ने लगातार इस मामले को उठाता रहा है। 2 अप्रैल, 6 अप्रैल व 9 अप्रैल को इससे संबंधित समाचार सामने लाए गए लेकिन न तो राज्य सरकारें इस ओर ध्यान दी और न ही केंद्र सरकार। दिलचस्प बात यह है कि यह समस्या तब उत्पन्न हो रही है जब वे अपने परिवार का वगैर परवाह किए दिन-रात कोरोना मरीज की जान बचाने के लिए जूझ रहें है। स्वास्थ्यकर्मियों का कसूर सिर्फ इतना ही है कि खुद की जान बचाने के लिए अस्पताल में संसाधनों की कमी आम लोगों के सामने लाते रहे हैं। बहरहाल अस्पताल पदाधिकारी के बढ़ते अत्याचार से तंग होकर एम्स दिल्ली स्थित रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख समुचित निदान निकालने का आग्रह किया है।
देश में तेजी से डॉक्टर हो रहे हैं कोरोनावायरस से संक्रमित, पकड़ सकते हैं आंदोलन की राह
एम्स दिल्ली स्थित रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के अध्यक्ष आदर्श प्रताप सिंह ने बताया कि देश के कई स्वास्थ्यर्मियों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है। उनका कहना था कि देशभर के स्वास्थ्यर्मियों से शिकायत मिल रही है कि उनके वाट्सअप बंद कर दिए गए हैं, कई स्वास्थ्यकर्मियों का तबादला कर दिया गया है। कई तरह की यातनाएं अपने मताहत अधिकारियों द्वारा दिए जाने की सूचना आ रही है। ऐसी स्थिति में दिल्ली एम्स की अपनी गुणवत्ता है। जिसके तहत एम्स दिल्ली स्थित आरडीए ने प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को पत्र लिखकर भावुक अपील किया है।
संसाधनों की कमी पर सवाल उठाने वाले डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी बन रहे हैं अधिकारियों के कोपभाजन
पत्र में प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा गया है कि हम कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए आपके मजबूत नेतृत्व की प्रशंसा करते हैं। बात आपके संज्ञान में लाई जा रही है कि पिछले कई दिनों से हमारे पहली पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मी जैसे- डॉक्टर्स, नर्स और बाकी सहायक स्टाफ अपनी परेशानियों, और कई मुद्दों जैसे- पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विप्मेंट, कोविड टेस्टिंग इक्विप्मेंट्स और क्वारेंटाइन सुविधा को लेकर सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं। अधिकारियों द्वारा इन पर कड़ी नजर रखी जा रही है। मरीजों और अपने सहयोगियों की भलाई के लिए किए जा रहे उनके प्रयासों की तारीफ करने के बजाय उन्हें कठोर प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है।. भलाई के कामों के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं ऐसे में आप डॉक्टरों की इस स्थिति को समझेंगे।
सनद रहे कि पिछले कई दिनों से मीडिया पर पीपीई, एन95 मास्क और कई अन्य आधारभूत उपकरणों की मांग उठ रही है।
कोरोना से जिंदगी बचा रहे डॉक्टर योद्धाओं पर हो रहे हैं हमले
जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाने में जुटे डॉक्टरों को आवश्यक मेडिकल किट और मास्क भी देने में सरकार नाकाम साबित हो रही है। दिल्ली के बाराहिंदू राव अस्पताल के डॉक्टर हों या फिर बिहार के नालंदा मेडिकल कालेज के, सभी आंदोलन की राह पर जा रहे हैं।
एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि रंजन कुमार रमन का कहना है कि, ‘सभी तरह के आवश्यक मेडिकल किट और मास्क के बिना हम ड्यूटी पर हैं, जिस वजह से वायरस से हमारे संक्रमित होने की प्रबल आशंका है, हमारे में से कई डॉक्टरों में वायरस के लक्षण है लेकिन यहां कोई सुन ही नहीं रहा।’
उन्होंने कहा, ‘अस्पताल में पीपीई किट, एन-95 मास्क और अन्य आवश्यक सुरक्षात्मक गियर की भारी कमी है। हम इन उपकरणों के मिलने का इंतजार कर रहे हैं तब तक हम इलाज कर रहे हैं और खुद के मरने का इंतजार कर रहे हैं. हमारे स्वास्थ्य सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले को हैंडल कर रहे हैं।’
बिहार की राजधानी पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनएमसीएच) के 83 जूनियर डॉक्टरों ने कोरोना वायरस से खुद के संक्रमित होने को लेकर चिंता जताई है। कोरोना वायरस से खुद के संक्रमित होने के डर की वजह से इन डॉक्टरों ने अस्पताल के अधीक्षक को पत्र लिखकर खुद को 15 दिनों के लिए क्वारंटाइन करने की अपील की है।
मालूम हो कि कोरोना से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए एनएमसीएच को बिहार का पहला विशेष अस्पताल बनाने का ऐलान किया जा चुका है।
इन जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल में निजी सुरक्षात्मक उपकरण (पीपीई), एन-95 मास्क, दस्तानों और सुरक्षात्मक गाउन की कमी को लेकर चिंता जताई है।
देश के यूनाइटेड रेजिडेंट्स एंड डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों की दशा की ओर ध्यान दिलाया था। पीपीई किट, एन-95 मास्क की भारी कमी को देखते हुए बिहार सरकार ने डॉक्टरों से एचआईवी प्रोटेक्शन किट का इस्तेमाल करने को कहा था। इस पर डॉक्टरों ने कहा था, ‘एचआईवी प्रोटेक्शन किट में पूरी तरह से चेहरा कवर नहीं होता, इसमें आंखों को सुरक्षित रखने के लिए गोगल्स भी नहीं होते।