जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र ने बुधवार को हमलावरों के लिए कड़ी सजा का ऐलान किया। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कांफ्रेस में कहा, ‘गंभीर हमले के मामले में हमलावरों को 6 माह से सात साल तक की कैद की सजा व 1 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना किया जाएगा।’ सरकार के इस फैसले का स्वा्गत करते हुए आईएमए के अध्यक्ष ने धन्यवाद कहा है।
उन्होंने कहा, ‘महामारी से देश को बचाने के लिए खुद को जोखिम में डाल स्वा स्य्का कर्मी पूरी मेहनत कर रहे हैं उनपर इस तरह का हमला दुर्भाग्य पूर्ण है। उनके खिलाफ किसी तरह का हमला या शोषण की घटना असहनीय है। इसके तहत एक अध्यादेश लाया गया है जो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू कर दिया जाएगा।’ जावड़ेकर ने कहा, ‘महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधन के साथ अध्यादेश लागू किया जाएगा।’
जावड़ेकर ने आगे कहा, ‘डॉक्टगरों व आरोग्याकर्मियों पर हमले बर्दाश्तग नहींं किए जाएंगे। यह गैरजमानती अपराध होगा। स्वा’स्य्हत कर्मियों के गाड़ी या क्लिरनिक पर हमला हुआ तो हमलावरों को नुकसान का दोगुना हर्जाना देना होगा। इन्हें 50 हजार से दो लाख तक मुआवजा दिया जाएगा।’ इसके अलावा उन्हों ने स्वास्य्ाड कर्मियों के लिए 50 लाख रुपये का इंश्यो रेंस की भी घोषणा की। उन्हों ने कहा, ‘सरकार स्वा स्य्स् कर्मियों का ध्या न रखेगी। 1.88 करोड़़ रकम की पीपीई का ऑर्डर दिया गया है।
मुरादाबाद में मेडिकल टीम पर हमला
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कोरोना के संक्रमण जांच के लिए नियुक्त् स्वास्थ्य विभाग की टीम पर पिछले बुधवार को उपद्रवियों ने हमला कर दिया। एंबुलेंस में तोड़-फोड़ के साथ स्वापस्य्र कर्मियों पर पथराव किया। मामले में 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
उत्तर प्रदेश के ही बरेली में 17 अप्रैल को फरीदपुर के ऊंचा मुहल्ले में विभाग की ओर से प्रवासी और संदिग्ध लोगों का सर्वे करने पहुंची मेडिकल टीम पर हमला किया गया। उनके मोबाइल छीन लिए गए और तो और जिस रजिस्टर में वे जानकारी जुटा रही थी, उसे भी फाड़ने का प्रयास किया।
इंदौर में कोराना सर्वे करने गई टीम पर हमला
मध्य प्रदेश के इंदौर में 18 अप्रैल को स्वास्थ्यकर्मियों की टीम पर हमला किया गया। टीम में डॉक्टर, टीचर, पैरामेडिकल और आशा कार्यकर्ता शामिल थे। हमलावर ने टीम में शामिल शिक्षिका वंदना को थप्पड़ मारा और उनका मोबाइल भी तोड़ दिया।
बिहार के औरंगाबाद जिले के गोह थाना क्षेत्र अंतर्गत अकौनी गांव में दिल्ली से पहुंची मेडिकल टीम पर ग्रामीणों ने हमला किया था। हमले में एसडीपीओ, थानाध्यक्ष व चिकित्सक सहित पुलिस और मेडिकल टीम के दस सदस्य घायल हो गए।
गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यों से स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों, चिकित्साकर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कर्मियों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। हाल ही में देश के विभिन्न क्षेत्रों से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों के साथ बदसलूकी के मामले सामने आए थे।
मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे उन लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करें, जो कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले कोरोना योद्धाओं के अंतिम संस्कार में बाधा डालते हैं।
गृह मंत्रालय ने एक पत्र में राज्यों को राज्य स्तर पर और जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा है जो चिकित्सा पेशेवरों के कामकाज के दौरान किसी भी सुरक्षा मुद्दे के समाधान के लिए 24 घंटे और सातों दिन उपलब्ध रहें। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार, इन नोडल अधिकारियों को स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा की किसी भी घटना के मामले में तत्काल और सख्त कार्रवाई करनी होगी।
गौरतलब हो कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों पर हमलों की पृष्ठभूमि में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दी है। इसमें उनके खिलाफ हिंसा को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाया गया है। आज केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस संबंध में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश में स्वास्थ्यकर्मियों के घायल होने, सम्पत्ति को नुकसान होने पर मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है। जावड़ेकर ने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश के माध्यम से महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन किया जाएगा। इससे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मियों की सुरक्षा और उनके रहने व काम करने की जगह को हिंसा से बचाने में मदद मिलेगी।
यह पूछे जाने पर क्या कोविड-19 के बाद भी नए बदलाव लागू रहेंगे, जावड़ेकर ने कहा कि अध्यादेश को महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन के लिए मंजूरी दी गई है। अध्यादेश में हिंसा के दोषी के लिए छह महीने से सात साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस महामारी से देश को बचाने की कोशिश कर रहे स्वास्थ्यकर्मी दुर्भाग्य से हमलों का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ हिंसा या इस तरह की कोई घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एक अध्यादेश लाया गया है, इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा।
कोविड-19 पर 15000 करोड़ रुपये का पैकेज, उड़ानें फिर से शुरू करने पर फैसला नहीं
जनजीवन ब्यूरो नई दिल्ली । कोरोना वायरस महामारी को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हमलों से सरकार चिंतित है। इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए नया अध्यादेश लाया गया है। इसके अलावा जावड़ेकर ने कैबिनेट द्वारा लिए गए अन्य फैसलों की भी जानकारी दी।
कोरोना के रोकथाम के लिए 15,000 करोड़ रुपये की मंजूरी
जावड़ेकर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में ‘भारत कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज’ के लिए 15,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है।
धन का प्रयोग तीन चरणों में किया जाएगा
उन्होंने बताया कि मंजूर किए गए धन का उपयोग तीन चरणों में किया जाएगा और तत्काल कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए, 7774 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और बाकी धन का प्रयोग मिशन मोड दृष्टिकोण के तहत एक से चार वर्ष तक किया जाएगा।
पैकेज का उद्देश्य कोविड-19 समर्पित उपचार सुविधाओं का विकास करना
जावड़ेकर ने बताया कि पैकेज के प्रमुख उद्देश्यों में कोरोना इलाज और कोविड-19 समर्पित उपचार सुविधाओं का विकास करना है ताकि भारत में वायरस के प्रसार को रोका जा सकें। उन्होंने बताया कि इसके अलावा इसमें चिकित्सा उपकरणों की खरीद, संक्रमित रोगियों का इलाज और भविष्य में इस तरह की बीमारी के रोकथाम के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना भी शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पैकेज प्रयोगशालाओं और बोलस्टर निगरानी गतिविधियों, जैव-सुरक्षा तैयारियों, महामारी अनुसंधान और समुदायों को सक्रिय रूप से संलग्न करने और संचार गतिविधियों का संचालन करने में भी मदद करेगा। जावड़ेकर ने कहा कि इन हस्तक्षेपों और पहलों को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत लागू किया जाएगा।
उड़ानें फिर से शुरू करने पर फैसला नहीं
उड़ान सेवाओं के फिर से शुरू किए जाने पर जावड़ेकर ने बताया कि उड़ान संचालन को फिर से शुरू करने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। दोबारा शुरू करने के समय इसकी घोषणा कर दी जाएगी।
आयुष्मान योजना लाभार्थियों का कोरोना के इतर अन्य इलाज भी मुफ्त
आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को लेकर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अगर कोई लाभार्थी कोरोना के अलावा किसी भी अन्य इलाज के लिए किसी भी अस्पताल में जाता है तो उसका इलाज मुफ्त में किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसके लिए मरीज के पास सरकारी अस्पताल से दिया गया सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है।
देश में कोरोना समर्पित 723 अस्पताल
देश में कोरोना के अस्पतालों पर जानकारी देते हुए जावड़ेकर ने बताया कि भारत में 30 जनवरी को पहला मामला सामने आया था, लेकिन जब चीन में इस वायरस के बारे में पता चला तो पीएम मोदी ने इसके रोकथाम की तैयारी करने का आदेश दे दिया था।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में कोरोना समर्पित 723 अस्पताल है, जिनमें 1,86,000 आइसोलेशन बेड, 4000 आईसीयू बेड और 12,190 वेंटिलेटर हैं और इन सभी चीजों को तीन महीने के अंतराल पर तैयार किया गया है।
77 घरेलू कंपनियां पीपीई किट बना रही
पीपीई किट को लेकर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि शुरू में हमारे यहां पीपीई किट की सुविधा नहीं थी, लेकिन आज देश में 77 घरेलू कंपनियां है जो इसे बनाने में लगी हुई हैं। उन्होंने बताया कि एक करोड़ 88 लाख पीपीई किट का ऑर्डर दिया गया। एन95 मास्क की देश में 25 लाख की उपलब्धता है और ढाई करोड़ का ऑर्डर दिया गया है।
आशा वर्करों सहित सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवकों को बीमा कवर दिया गया
जावड़ेकर ने बताया कि आशा वर्करों जैसे सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवकों सहित सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज: स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए बीमा योजना कोविड-19′ के तहत बीमा कवर दिया गया है।
27 अप्रैल को फिर मुख्यमंत्रियों से पीएम मोदी करेंगे बात, क्या बढ़ेगा लॉकडाउन?
जनजीवन ब्यूरो नई दिल्ली । कोरोना को लेकर चल रहे लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 अप्रैल को तीसरी बार सभी मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे। प्रधानमंत्री ने पिछली बार 14 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों के साथ राय-मशविरा किया था और फिर लॉकडाउन की समयसीमा बढ़ाने पर सहमति बन गई। इसी आम राय पर 14 अप्रैल को खत्म होने वाले लॉकडाउन की मियाद बढ़ाकर 3 मई कर दी गई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या अगली मीटिंग का मुख्य मुद्दा लॉकडाउन की अवधि बढ़ाना ही होगा?
मालूम हो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार राज्योंै के मुख्य मंत्रियों के साथ बात करेंगे। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 दिनों के लॉकडाउन खत्मु होने से पहले राज्यों के मुख्य मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रें सिंग के जरिये बात की थी और इस में लॉकडाउन को आगे बढ़ाने को लेकर व्यापक रूप से ‘आम सहमति’ बनी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘जान भी, जहान भी’ पर जोर दिया था।
यह सवाल इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि मुस्लिमों का पवित्र रमजान का महीना 24 मई को खत्म होगा। ऐसे में आशंका है कि मुसलमान त्योहार के उत्साह में बाजार निकलेंगे, एक-दूसरे से मेल-मिलाप करेंगे और इफ्तार पार्टी जैसे भीड़-भाड़ वाले आयोजन करेंगे।