जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। लॉकडाउन की मार न सिर्फ व्यवसाय करने वालों पर पड़ी है बल्कि कोर्ट कचहरी में काम करने वाले लोग व वकील भी कम प्रभावित नहीं है। यही कारण है कि देशभर के वकील व उनके कर्मचारी भी केंद्र व राज्यसरकारों से आर्थिक मदद की मांग कर रहे हैं।
झारखंड उच्च न्यायालय से जुड़े वकील व कर्मचारियों की आर्थिक हालत खराब मिलने की सूचना आ रही है। उच्च न्यायालय में प्रैक्टीश करने वाले वकील रंजन कुमार सिन्हा का कहना है कि लॉकडाउन के कारण उन लोगों की हालत बेहद खराब हो गई है। प्रतिदिन कमाने खाने वाले लोग एक माह से पैसे के लिए मोहताज हो गए हैं।
वही झारखंड के ही तेनुघाट स्थित अनुमंडल न्यायालय के वकील वीरेंद्र प्रसाद का कहना है कि लॉकडाउन ने वकीलों की कमर तोड़ कर रख दी है। लॉकडाउन का आज 32वां दिन है। शुरुआती दौर में तो ज्यादा परेशानी नहीं थी लेकिन अब आर्थिक हालत बेहद खराव हो गई है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह वकीलों के लिए भी आर्थिक राहत पैकेज देने की घोषणा करे। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वकील व उनसे जुड़े कर्मचारी भूखे मरने लगेंगे।
उधर इलाहाबाद हाई कोर्ट बार असोसिएशन से 6000 से अधिक वकीलों ने लॉकडाउन के दौरान आर्थिक सहायता की मांग की है। वकीलों ने बार असोसिएशन की वेबसाइट और ईमेल से आवेदन भेजे हैं। हाई कोर्ट के निर्देश पर गठित समिति ने जरूरतमंद अधिवक्ताओं से आवेदन मांगे थे। 23 और 24 अप्रैल 2 दिनों में प्राप्त आवेदनों की गणना करने पर 6000 से अधिक पाए गए हैं।