जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने उन 50 आईआरएस अफसरों के खिलाफ जांच शुरू करने का आदेश दिया है, जिन्होंने कोरोना से जुड़े राहत उपायों के लिए राजस्व जुटाने की एक अवांछित रिपोर्ट तैयार की है. साथ ही इस रिपोर्ट को बिना अनुमति के सार्वजनिक भी कर दिया.बोर्ड ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए कुछ आईआरएस अधिकारियों के सुझावों के बारे में सोशल मीडिया पर रिपोर्ट प्रसारित हो रही है.
कोरोनावायरस लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती छाई हुई है. कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए फंड इंतजाम को लेकर भारतीय रेवेन्यु सेवा के 50 अधिकारियों ने एक नया सुझाव दिया है. इसके मुताबिक, आयकर विभाग देश के सबसे अमीर लोगों से अधिक टैक्स वसूल करे. साथ ही 10 लाख से अधिक आमदनी वालों पर कोविड रिलीफ सेस लगाने का भी सुझाव दिया है.
एक करोड़ रुपए से अधिक आमदनी वालों से 30 फीसदी की बजाय 40 फीसदी टैक्स वसूले जाए. साथ ही वैकल्पिक रूप से 5 करोड़ रुपए से अधिक संपत्ति वालों पर वेल्थ टैक्स लगाने का भी सुझाव दिया गया है. वहीं, विदेशी कंपनियों पर भी ऊंची दर से टैक्स लगाने का सुझाव दिया गया है. इसमें कहा गया कि टैक्स राहत सिर्फ ईमानदार और अनुपालन करने वाले करदाताओं को ही दिया जाना चाहिए. खास कर ऐसे करदाताओं को जो समय पर रिटर्न दाखिल करते हैं. हालांकि इस सुझाव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है.
वित्त मंत्रालय ने आईआरएस एसोसिएशन की इस सुझाव को अपरिपक्व बताया है. वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि यह कुछ अधिकारियों का गैर जिम्मेदाराना रवैया है. सीबीडीटी से लिखित सफाई मांगने को कहा गया है. ये भी साफ किया गया है कि न तो ऐसी रिपोर्ट तैयार करने को अधिकारियों को कहा गया था न ही ये उनके अधिकार क्षेत्र में आता है. बता दें कि भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) संघ ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन पीसी मोदी को सौंपे गए ‘कोविड-19 महामारी के वित्तीय विकल्प और प्रतिक्रिया (फोर्स)’ शीर्षक से तैयार दस्तावेज में ये सुझाव दिए थे.
इस सर्कुलर पर 23 अप्रैल की तारीख है. सर्कुलर में केंद्र सरकार को कोरोना संकट से निपटने के लिए लागत जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधन जुटाने को लघु अवधि के कुछ सुझाव दिए गए थे. इस रिपोर्ट को 50 आईआरएस अधिकारियों ने बनाया था. हालांकि वित मंत्रालय ने इसे खारिज कर दिया है.
ये स्पष्ट किया जाता है कि सीबीडीटी ने आईआरएस एसोसिएशन या इन अधिकारियों से इस तरह की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कभी नहीं कहा. इन अधिकारियों की ओर से उनके व्यक्तिगत विचारों और सुझावों को सार्वजनिक करने से पहले कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी, जो कि मौजूदा आचरण नियमों का उल्लंघन है.