जनजीवन ब्यूरो
नई दील्ली। पुराना हिसाब चुकता करने के लिए चंपारण में हो रही राहुल गांधी की चुनावी रैली में राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव मौजूद नहीं रहेंगे. लालू के बेटे तेजस्वी रैली में मौजूद रहेंगे. ये राहुल की बिहार में पहली रैली है.
दरअसल, लालू इसके ज़रिए कांग्रेस पार्टी को कड़ा संकेत देना चाहते हैं. वे रैली में ग़ैर हाज़िर रह कर राहुल गांधी के प्रति अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करना चाहते हैं.
राजद के कुछ लोगों का मानना है कि कांग्रेस पार्टी बार बार यह संकेत देती रहती है कि राहुल लालू की कार्यशैली से सहमत नहीं हैं और उन्हें नापसंद करते है.
चारा घोटाला मामले के अंतिम फ़ैसले के पहले राहुल ने परोक्ष रूप से ही सही, लालू की आलोचना की थी. उसके बाद अदालत का फ़ैसला आया और लालू को दोषी क़रार दिया गया, उन्हें जेल जाना पड़ा.
लालू फ़िलहाल इस मामले में ज़मानत पर हैं. उस फ़ैसले के बाद भी कांग्रेस पार्टी के दूसरे नेताओं ने लालू की आलोचना की थी. ज़ाहिर है, यह उनको नागवार ग़ुज़रा.
बीते दिनों पटना में जब महागठबंधन की रैली हुई, जिसमें लालू और नीतीश मौजूद थे, लेकिन राहुल ने उस रैली से भी दूरी बनाए रखी थी. हालांकि उस रैली में ख़ुद सोनिया गांधी गई थीं.
इसके अलावा, बिहार कांग्रेस के नेता भी लालू से कन्नी काटते रहते हैं और उन्हें बहुत ज़्यादा तवज्जो नहीं देते हैं.
राजद के एक वर्ग का मानना है कि इसके बावजूद उन्होंने कांग्रेस को उसकी ताक़त से अधिक सीटें दीं हैं. महागठबंधन में कांग्रेस को 40 सीटे दी गईं हैं, जबकि विधानसभा में उसके सदस्यों की तादाद इससे काफ़ी कम है.
इसके अलावा यह भी सच है कि बिहार कांग्रेस का एक तबक़ा लालू से बहुत ख़ुश नहीं रहता है. उसके कुछ नेता लालू से दूरी बनाए रखने की नीति अपनाने के पक्ष में पहले से भी रहे हैं.
इससे कुल मिला कर स्थिति यह बनती है कि राजद ने यह सोचा कि कांग्रेस को थोड़ा सा झटका दिया जाए.
दूसरी ओर, रामनगर कांग्रेस का पुराना गढ़ रहा है और उसकी स्थिति यहां अभी भी मजबूत है. लिहाज़ा, लोगों के जुटने की उम्मीद की जा रही है. पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश है और ये वक़्त है जब वो अपनी ताक़त दिखाने की कोशिश करेंगे. इसका वे पूरा फ़ायदा उठाना चाहेंगे.