जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अमेरिका के पूर्व राजनयिक निकोलस बर्न्स के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संवाद में सहिष्णुता का मामला उभर कर आया। भारत और अमेरिका में पहले जैसी सहिष्णुता नहीं होने का दावा करते हुए राहुल ने कहा कि अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकियों एवं अन्य लोगों तथा भारत में हिंदुओं, मुसलमानों और सिखों को बांट कर देश की बुनियाद कमजोर करने वाले खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं। वतौर राहुल कोविड-19 संकट के बाद अब नए विचारों को उभरते हुए भी देखा जा सकता है।
राहुल ने कहा कि विभाजन वास्तव में देश को कमजोर करने वाला होता है, लेकिन विभाजन करने वाले लोग इसे देश की ताकत के रूप में चित्रित करते हैं। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि जब अमेरिका में अफ्रीकी-अमेरिकियों, मैक्सिकन और अन्य लोगों को बांटते हैं, उसी तरह भारत में हिंदुओं और मुसलमानों और सिखों को बांटते हैं, तो आप देश की नींव को कमजोर कर रहे होते हैं। लेकिन देश की नींव को कमजोर करने वाले यही लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं। कांग्रेस नेता ने अमेरिका में ’ब्लैक लाइव्ज मैटर’ आंदोलन का हवाला देते हुए कहा कि मुझे लगता है कि हम एक जैसे इसलिए हैं, क्योंकि हम सहिष्णु हैं। हम बहुत सहिष्णु राष्ट्र हैं। हमारा डीएनए सहनशील माना जाता है। हम नए विचारों को स्वीकार करने वाले हैं। हम खुले विचारों वाले हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो अब गायब हो रहा है। यह काफी दुःखद है कि मैं अब उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता, जो मैं पहले देखता था। ये दोनों ही देशों में नहीं दिख रही।
उन्होंने कहा कि मै आशान्वित हूं, हजारों वर्षों से मेरे देश का डीएनए एक प्रकार का है और इसे बदला नहीं जा सकता। हां हम एक खराब दौर से गुजर रहे हैं। मैं कोविड के बाद नए विचारों और नए तरीकों को उभरते हुए देख रहा हूं।