जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच जारी तनाव के बीच लद्दाख में गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच सोमवार रात हिंसक झड़प हो गई। इसमें भारत के एक कर्नल और 19 जवान शहीद हो गए। जो कर्नल शहीद हुए, वे इन्फैंट्री बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर थे। । झड़प में 40 चीनी सैनिक भी मारे गए हैं। 1975 के बाद बाद पहली बार LAC पर गोली चली है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सीडीएस व तीनों सेना के प्रमुखों के साथ सीमा के तनाव को लेकर बैठक कर रहे हैं।
भारतीय सेना की ओर से आधिकारिक बयान जारी किया गया है। इसके मुताबिक, “गलवान घाटी में सोमवार की रात को डि-एस्केलेशन की प्रक्रिया के दौरान भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस दौरान भारतीय सेना के एक अफसर और दो जवान शहीद हो गए हैं। दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी इस वक्त इस मामले को शांत करने के लिए बड़ी बैठक कर रहे हैं।”
खबर यह आ रही है कि सेना की ओर 2 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पूरी घटना के बारे में बताया जाएगा। गलवान वैली में 6 जून की मीटिंग के बाद सैनिकों को पीछे हटने की प्रक्रिया चल रही थी। 6 जून को कोर कमांडरों की बैठक हुई थी। इसमें तय हुआ था कि सैनिक पीछे हटेंगे। सूत्रों के मुताबिक, चीनी सैनिक पीछे हटने को तैयार नहीं थे। चीनी सैनिकों को पीछे हटाने के दौरान झड़प हुई।
मई से तनाव, जून में चार बार बातचीत हुई, फिर भी हिंसा भड़की
दोनों देशों के बीच 41 दिन से सीमा पर तनाव है। इसकी शुरुआत 5 मई से हुई थी। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच जून में ही चार बार बातचीत हो चुकी है। बातचीत में दोनों देशों की सेनाओं के बीच रजामंदी बनी थी कि बॉर्डर पर तनाव कम किया जाए या डी-एक्सकेलेशन किया जाए। डी-एक्सकेलेशन के तहत दोनों देशों की सेनाएं विवाद वाले इलाकों से पीछे हट रही थीं।
आर्मी ने कहा- हालात काबू में करने के लिए मीटिंग जारी
आर्मी की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि कल यानी सोमवार रात को गालवन वैली में डी-एक्सकेलेशन प्रोसेस चल रही थी, लेकिन तभी हिंसा हो गई। हमारे एक अफसर और दो जवान शहीद हो गए। अभी दोनों देशों की सेनाओं के सीनियर ऑफिसर तनाव कम करने के लिए मौके पर ही मीटिंग कर रहे हैं।
45 साल पहले चीन बॉर्डर पर भारत के जवान शहीद हुए थे
20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर एम्बुश लगाकर हमला किया था। इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे।
1967 में भी हिंसक टकराव हुआ था
1962 की जंग के बाद 11 सितंबर 1967 को सिक्किम के नाथू-ला में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद 15 सितंबर 1967 को भी झड़प हुई। विवाद अक्टूबर 1967 में जाकर थमा था। चीन ने तब दावा किया था कि भारत के 65 सैनिक शहीद हुए थे। वहीं, चो ला झड़प में भारत के 36 जवान शहीद हुए थे। अनुमान है कि पूरे टकराव के दौराान 400 चीनी सैनिक की भी मौत हुई थी।
पिछले महीने झड़प कहां, कब और कैसे हुई?
1। तारीख- 5 मई, जगह- पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील
उस दिन शाम के वक्त इस झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-5 इलाके में भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गए। भारत ने चीन के सैनिकों की मौजूदगी पर ऐतराज जताया। पूरी रात टकराव के हालात बने रहे। अगले दिन तड़के दोनों तरफ के सैनिकों के बीच झड़प हो गई। बाद में दोनों तरफ के आला अफसरों के बीच बातचीत के बाद मामला शांत हुआ।
2। तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद नाकू ला सेक्टर
यहां भारत-चीन के 150 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। आधिकारिक तौर पर इसकी तारीख सामने नहीं आई। हालांकि, द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां झड़प 9 मई को ही हुई। गश्त के दौरान आमने-सामने हुए सैनिकों ने एक-दूसरे पर मुक्कों से वार किए। इस झड़प में 10 सैनिक घायल हुए। यहां भी बाद में अफसरों ने दखल दिया। फिर झड़प रुकी।
3। तारीख- संभवत: 9 मई, जगह- लद्दाख
जिस दिन उत्तरी सिक्किम में भारत-चीन के सैनिकों में झड़प हो रही थी, उसी दिन चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे। चीन के हेलिकॉप्टरों ने सीमा तो पार नहीं की, लेकिन जवाब में भारत ने लेह एयरबेस से अपने सुखोई 30 एमकेआई फाइटर प्लेन का बेड़ा और बाकी लड़ाकू विमान रवाना कर दिए। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हाल के बरसों में ऐसा पहली बार हुआ जब चीन की ऐसी हरकत के जवाब में भारत ने अपने लड़ाकू विमान सीमा के पास भेजे।