अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई भारतीय सैनिक अभी भी लापता हैं और वे चीनी फौज की गिरफ्त में हैं. यह दावा भारतीय फौज के एक उच्च कमांडर के हवाले से किया गया है. अगर ये अपुष्ट दावे सही है तो भारतीयों को अगले कुछ दिनों में लद्दाख से और बुरी खबर सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए.
कुछ दशक पहले मुंबई फिल्म इंडस्ट्री ने दो उम्दा कहानियों को पर्दे पर उतारा. एक थी, ‘बिन फेरे हम तेरे’ और ‘हम दिल दे चुके सनम’. प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी के राजनैतिक अंध भक्तों के किरदार और व्यवहार पर यह दोनों नाम किसी फिल्म की पोस्टर की तरह चस्पाए जा सकते हैं. यह सच है कि देश की जनता ने मोदी को दूसरी बार आपार बहुमत देकर देश की कमान सौंपी. मोदी के समर्थक तर्क देते हैं कि वह मीडिया को क्यों जवाब दें जब उनका संवाद सीधे जनता से है. इस तर्क को स्वीकार करने में कोई गुरैज नहीं होना चाहिए. लेकिन लद्दाख में चीन की फौज के हाथों 20 भारतीय सैनिकों की हत्या के बाद अगर प्रधानमंत्री मुंह जवाब के साथ कुछ ज्वलंत सवालों के जवाब दें तो उन्हें देश का मुखिया चुनने के देश के फैसले के साथ सबसे बड़ा न्याय होगा. प्रधानमंत्री ने बुधवार को कहा भी कि, ‘मैं देश को इस बात के लिए आश्वस्त करता हूं। हमारे लिए देश की एकता और अखंडता सर्वोपरि है। भारत शांति चाहता है, लेकिन माकूल जवाब देने का सामर्थ रखते हैं।’
वैसे मोदी मीडिया को जवाब देना जरुरी नहीं है लेकिन वह उनके लिए एकतरफा प्यार में पगलाए बावलों और उन्हें अपार प्यार देने वाले 37 फीसदी आम भारतीय को तो बता ही सकते हैं कि जब मई से ही कहा जा रहा था कि चीन के सैनिक गलवान वैली में भारतीय सीमा में अंदर तक आ चुके हैं तो सरकार लगातार इस बात का खंडन क्यों करती रही!
सवालों की लिस्ट चीन पर खत्म नहीं होती बल्कि शुरु होती है औऱ यह काफी लंबी है.
1- भारतीय सैनिकों का नरसंहार-सरकार ने दावा किया है कि कोई गोली नहीं चली बल्कि बिना हथियारों की भिड़ंत में 20 सैनिक मारे गए है. अब कल्पना कीजिए कि आखिर क्या हुआ होगा. क्या भारतीय बिना हथियारों के चीनी फौज से बातचीत के लिए गए थे!क्या हमारे सैनिकों को बंधक बना कर टॉर्चर करने के बाद मारा गया! एजेंसी एएनआई ने दावा किया है कि चीन के भी 43 सैनिक मरे हैं. सरकार ने इस पर लेख लिखे जाने तक पुष्टि नहीं की थी. अगर एजेंसी का यह दावा सही है तो सरकार में पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट में हवाई हमले जैसा जश्न का माहौल क्यों नहीं है!
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में जैफरी जैंटलमैन, हरी कुमार और समीर यासिर की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई भारतीय सैनिक अभी भी लापता हैं और वे संभवत चीनी फौज के कब्जे में हैं. यह दावा भारतीय फौज के एक उच्च कमांडर के हवाले से किया गया है. अगर यह सही है तो भारतीयों को अगले कुछ दिनों में लद्दाख से और बुरी खबर सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए.
2- नेपाल की दबंगई– नेपाल भारत का परंपरागत दोस्त रहा है. लेकिन पिछले कुछ महीने में वह भारत को कई बार आंखे दिखा चुका है. उसने अपना नक्शा बदल कर उत्तराखंड में भारतीय जमीन को उसमें शामिल कर लिया है. अभी पिछले हफ्ते ही नेपाल बॉर्डर गार्ड्स ने एक भारतीय की गोली मार कर हत्या कर दी जबकि एक को गिरफ्तार कर लिया गया. सरकार कह रही है कि नेपाल किसी की शह पर ऐसा बर्ताव कर रहा है. उसका इशारा चीन की ओर है. अगर ऐसा है तो किसी को तो बताना होगा कि नेपाल जैसा पड़ौसी कब और कैसे चीन के मोह में फंसा!
3- कश्मीर के हालात– राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोवाल ने श्रीनगर की सड़क पर स्थानीय कश्मीरियों के साथ बिरयानी खा कर संदेश दिया था कि वहां सब ठीक है और आतंकवाद की जड़े उखाड़ दी गई हैं. लेकिन पिछले कुछ महीने में आतंकियों के साथ इनकाउंटरों में लगातार इजाफा हो रहा है. हमारे वीर सैनिकों के कई आतंकी कमांडरों को मार गिराया है. हालांकि उसकी कीमत उनके कई साथियों की शहादत से भी चुकानी पड़ी है. अभी कुछ दिन पहले की ही बात है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाया था कि कश्मीर में 4-जी सेवा शुरू नहीं की जा सकती क्योंकि सुरक्षा के लिहाज से वहां के हालात बहुत खराब हैं.
4- बीमार अर्थव्यवस्था– कोरोना वायरस के फैलने से पहले ही देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. जीडीपी वाला तीर जमीं चुमने को बेताब था. थोड़े शब्दों में कहें तो कोरोना के बाद मुल्क की इकॉनोमी फेक वेंटिलेटर पर है.
5- मजदूरों का अपमान – प्रवासी मजदूरों के साथ हमने क्या किया, यह पुरी दुनिया ने देखा. मोदी की बिहार की रेली के लिए भाजपा ने 30 ट्रेन और 6000 बसें बुक की थीं. लेकिन लॉकडाउन के तुरंत बाद उनके घर लौटने का कोई इंतजाम नहीं किया गया. लाखों मजदूर हजारों किलोमीटर पैदल जाने को मजबूर किए गए. जिन मजदूरों ने हमारे घर बनाए, इमारते बनाई और विश्वस्तरीय हाई-वे दिए, उसी नेशनल हाईवे और रेलवे ट्रैक पर उनकी लाशें देखने को मिली. देश के सॉलिसिटर जनरल ने तो सुप्रीम कोर्ट में कहा कि एक भी प्रवासी मजदूर सड़क पर नहीं है. अब किसी को तो बताना होगा कि यह कैसे और क्यों हुआ!
6- कोरोना– अब तक 12 हजार से ज्यादा भारतीयों की मौत हो चुकी है और संक्रमित मरीजों की संख्या चार लाख को पार होने वाली है. कोरोना को रोकने के लिए जरूरी था कि फरवरी में देश के सभी इंटरनेशनल एयरपोर्ट लॉकडाउन किए जाते या फिर देश में आने वाले हर यात्री का टेस्ट होना चाहिए था. वह नहीं हुआ और आज जो हालत है, अगला नंबर किसका होगा कोई नहीं जानता.
मोदी पर देश की एक बड़ी आबादी का जबरदस्त भरोसा है. यकीनन मोदी उसके सामने सच्चाई रखेंगे और उन्हें अब कुछ कड़े सवालों का जवाब देने में कोई में कोई दिक्कत नहीं होगी.
—
Jasvinder Sidhu.