जनजीवन ब्यूरो / पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। रोज राजनीतिक रणनीतिकारक सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे के गठन के संकेत दिये। राजधानी पटना में पत्रकारों से बातचीत में यशवंत सिन्हा ने जल्द ही नयी पार्टी के गठन करने की बात कही। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने चुनाव आयोग से अपील किया है कि यह उन्हें तय करना होगा कि बिहार में चुनाव कब और कैसे होगा। उन्होंने कहा कि वर्चुअल रैली मेरी समझ में नहीं आता है। हालांकि उन्होंने अभी इस बात का खुलासा नहीं किया कि इस मोर्चे में कौन-कौन शामिल हो रहे हैं और क्या वे खुद चुनावी मैदान में उतरेंगे या नहीं।
प्रेसवार्ता के दौरान यशवंत सिन्हा के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव, नागमणि, राज्य सरकार में मंत्री रहे नरेंद्र सिंह, पूर्व सांसद डॉ. अरुण कुमार भी मौजूद थे। यशवंत सिन्हा ने कहा कि हम सभी बिहार के बदलाव के लिये चुनाव मैदान में पूरी मजबूती से उतरेंगे। आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार के रहते हुए बिहार का विकास संभव नहीं है। इस सरकार को हटाना बेहतर बिहार, बदलो बिहार अभियान का पहला कदम होगा।
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने आरोप लगाया कि रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि कर केंद्र बस ‘‘मुनाफाखोरी” कर रहा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ केंद्र ने अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की, जबकि दूसरी तरफ उसने उन लोगों को “लूट” लिया जो बाइकों, स्कूटरों और अन्य वाहनों से सफर करते हैं। शनिवार को जहां डीजल के दामों में लगातार 21वें दिन वृद्धि की गयी, वहीं पेट्रोल की कीमत पिछले तीन हफ्तों में 20 बार बढ़ चुकी है।
यशवंत सिन्हा ने कहा, ऐसे कई मौके आते हैं जब पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि करना अनिवार्य हो जाता है। लेकिन, मैं अपने अनुभवों के आधार पर आपको बता सकता हूं कि आज की परिस्थिति में यह और कुछ नहीं बल्कि सरासर मुनाफाखोरी है।” सिन्हा ने कहा कि यह सबको पता है कि “अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम हैं। शनिवार को, पेट्रोल की कीमत में प्रति लीटर 25 पैसे और डीजल के दामों में 21 पैसे की वृद्धि होने के बाद तीन हफ्तों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अब तक क्रमश: 9।12 और 11।01 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है।
यशवंत सिन्हा ने कहा कि हम पंद्रह दिनों से बिहार में हैं। इस दौरान पूछा गया कि आप थर्ड फ्रंट बना रहे हैं। तो इस बात का हम जवाब देते हैं कि यह भविष्य तय करेगा कि हम थर्ड, दूसरा या फस्ट फ्रंट है। पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सिन्हा ने कहा कि हम चुनाव में उतरेंगे। लेकिन, हम चुनाव लड़ेंगे या नहीं यह आप सभी को बहुत जल्द पता लग जायेगा।
बिहार का गौरव फिर से स्थापित करने के लिए तीसरे मोर्चे का गठन
यशवंत सिन्हा ने कहा कि हम बिहार का गौरव फिर से स्थापित करने के लिए आ रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने घोषणा की कि तीसरा मोर्चा आगामी विधानसभा चुनाव में भाग लेगा। उन्होंने बताया कि कई दिनों से अपने कुछ साथी नेताओं व बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर उन्होंने यह किया कि हम बिहार के विकास व उसके गौरव के लिए आगे आयेंगे।
विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की
उन्होंने कहा कि हम आने वाले चुनाव में मिलकर लड़ेंगे। प्रदेश की हालत को बदलने व बेहतर बनाने में सरकार की भूमिका होती है। वर्तमान बदहाली के लिए सरकार जिम्मेदार है और हम मिलकर इसे हटायेंगे।
भविष्य तय करेगा कि हम तीसरे हैं, दूसरे हैं या पहले है
यशवंत सिन्हा ने बिहार में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, भ्रष्टाचार इत्यादि के मुद्दे को भी उठाया। इस दौरान उन्होंने थर्ड फ्रंट की बात पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह भविष्य तय करेगा कि हम तीसरे हैं, दूसरे हैं या पहले हैं।
बेहतर बिहार, बदलो बिहार के लिए चुनाव लड़ेंगे
आगे की रणनीति पर उन्होंने कहा कि बिहार को कैसे बदला जाएगा इसे लेकर विस्तृत जानकारी बाद में दी जाएगी। अभी केवल हम यह बताने आये हैं कि हम बेहतर बिहार, बदलो बिहार के लिए चुनाव लड़हेंगे। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर कई नेता हमारे साथ हैं। आज केवल चुनाव लडने की बात करूंगा। बहुत लोग हमसे संपर्क में हैं।दूसरे दलों के नेता भी हमसे जुड़ सकते हैं। लेकिन यदि कोई शर्त लेकर आएगा तो उसपर विचार किया जाएगा।
खुद चुनाव लड़ेंगे या नहीं, यह भविष्य तय करेगा
यशवंत सिन्हा खुद चुनाव लड़ेंगे या नहीं,इस बात पर उन्होंने कहा कि यह भविष्य तय करेगा। अभी इसपर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। जैसी परिस्थिति होगी,उस हिसाब से तब इसपर विचार किया जाएगा।
वर्चुअल कैंपेनिंग का विरोध
चुनाव के लिए वर्चुअल कैंपेनिंग का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक खर्चीली व्यवस्था है। चुनाव आयोग अगर परंपरागत प्रचार को लागू नहीं कर इस जरिये को अनुमति देता है तो गलत होगा।यह धनवान दलों व नेताओं को मदद करेगा और गरीब उम्मीदवारों के लिए यह गलत होगा।