जनजीवन ब्यूरो / लखनऊ : कुख्यात अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर पर उठे सवालों पर यूपी पुलिस की एसटीएफ ने सफाई दी है. गाड़ी कैसे पलटी? दुबे कैसे भागा? दुबे ने पुलिस पर कैसे गोलियां चलायी? और फिर कैसे वह मुठभेड़ में मारा गया? इन सभी सवालों के जवाब यूपी एसटीएफ ने दिये हैं. एसटीएफ ने बताया कि जिस गाड़ी में विकास दुबे को लेकर कानपुर जा रहे थे, उस गाड़ी के आगे अचानक गाय और भैंसों का एक झुंड आ गया. जिसे बचाने में गाड़ी पलट गयी.
एसटीएफ ने बताया कि जैसे ही गाड़ी के सामने मवेशियों का झुंड आया वाहन चालक ने उससे बचने के लिए अचानक से गाड़ी को मोड़ दी. इसी क्रम में गाड़ी पलट गयी. पुलिस वाहन का चालक लंबी यात्रा से थका हुआ था, ऐसे में इन जानवरों को दुर्घटना से बचाने की कोशिश में उसने वाहन को अचानक से मोड़ा जिससे वाहन अनियंत्रित होकर पलट गयी. अचानक हुई इस घटना से गाड़ी में सवार इंस्पेक्टर रमाकांत चौधरी, सब इंस्पेक्टर पंकज सिंह, उपनिरीक्षक अनूप सिंह, सिपाही सत्यवीर और प्रदीप कुमार को गंभीर चोटें आईं.
एसटीएफ ने बताया कि इस दुर्घटना के बाद मौके का फायदा उठाकर विकास दुबे ने रमाकांच पचौरी की सर्विस पिस्टल को झटके से खींच लिया. इसके बाद वह गाड़ी से निकलकर कच्चे रास्ते पर भागने लगा. पीछे से आ रही दूसरी गाड़ी में बैठे एसटीएफ के सीओ तेजबहादुर सिंह ने दुबे का पीछा किया. इसके बाद विकास दुबे ने पुलिस टीम पर गोलियां बरसानी शुरू की.
एसटीएफ के बयान के मुताबिक, पुलिस ने विकास दुबे को जिंदा पकड़ने का पूरा प्रयास किया लेकिन विकास दुबे ने लगातार फायरिंग जारी रखी. अन्य कोई विकल्प ना होने की स्थिति में पुलिसकर्मियों ने भी अपनी जान बचाने के लिए जवाबी फायरिंग की. एक गोलियां लगने के बाद दुबे घायल होकर जमीन पर गिर गया, जिसे तत्काल इलाज के लिए सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों से उसे मृत घोषित कर दिया.
एसटीएफ ने यह भी बताया कि विकास दुबे की ओर से की गयी फायरिंग में एसटीएफ के मुख्य आरक्षी शिवेंद्र सिंह सेंगर और आरक्षी विमल यादव घायल हो गये. इनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. साथ ही वाहन के पलटने से जो जवान घायल हो गये थे उनका भी इलाज चल रहा है. एसटीएफ की ओर से जारी प्रेस बयान से पहले भी यूपी पुलिस के अधिकारियों की ओर से कुछ ऐसा ही बयान आया था. हालांकि कई पार्टी के नेता इस एनकाउंटर पर सवाल उठा रहे हैं.