अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । राजस्थान के सीएम अशोक गेहलोत सचिन पायलट गुट पर लगातार वार कर रहे हैं। विधायकों की खरीद-फरोख्त का ऑडियो मामले में भी गेहलोत ने बीजेपी व पायलट को राजनीतिक मौत देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। तेजतर्रार माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत एफआईआर के बाद बैकफुट पर हैं। खास बात यह है कि ऑडियो मामले की जांच में भी गहलोत ने राजनीति करने से नहीं चूके हैं। जिस आईपीएस अशोक राठौड़ को टेप की जांच सौंपी गई है, वह वसुंधरा राजे के खास अधिकारियों में शामिल रहे हैं। माना जा रहा है कि राज्य में वसुंधरा का विकल्प बनाए जा रहे शेखावत पर दबाव बनाने के साथ-साथ पायलट खेमे पर प्रेशर बनाने का गहलोत का गेम प्लान पूरी तरह से काम कर रहा है।
प्रदेश में कुछ माह पूर्व हुए तबादलों के दौरान गहलोत ने एसओजी की कमान वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अशोक राठौड़ को सौंप दी थी। गहलोत का यह कदम चौंकाने वाला था। राठौड़ कभी भी गहलोत के करीबी अफसर नहीं माने गए। ऐसे में उन्हें एसओजी की कमान सौंपने को अलग नजरिए से देखा जा रहा था। अब गहलोत जिस तरीके से एसओजी का उपयोग कर रहे हैं, उसे देख लग रहा है कि इस खेल के तार काफी गहराई तक जुड़े हैं।
जयपुर में इनकम टैक्स के छापे के बाद गहलोत खेमे ने अपने समर्थक विधायकों की होटल में बाड़ेबंदी कर दी। इसके बाद से संख्या बल की लड़ाई जारी है। अब गहलोत ने खरीद-फरोख्त की जांच कर रही एसओजी की मदद से समीकरण साधने शुरू कर दिए हैं। सियासी गलियारे में चर्चा है कि एसओजी ने ही सरकार के इशारे पर खरीद-फरोख्त से संबंधित ऑडियो वायरल किए हैं।
ऑडियो क्लिप के जारी होने के बाद गहलोत पर आक्रामक केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत अपने बचाव के लिए बैटिंग कर रहे हैं। जबकि वसुंधरा खेमा अंदरखाने जश्न मना रहा है। क्योंकि, पार्टी नेतृत्व प्रदेश में शेखावत को वसुंधरा राजे के विकल्प के रूप में आगे बढ़ा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो शेखावत को मुख्यमंत्री बनना तय है।
प्रदेश में शुरू हुए सियासी संकट के बीच सबसे पहले आयकर विभाग सक्रिय हुआ। गहलोत के करीबी माने जाने वाले धर्मेन्द्र राठौड़ व राजीव अरोड़ा के प्रतिष्ठानों पर छापे मारे गए। सूत्रों के मुताबिक, यह गहलोत खेमे के नेताओं और विधायकों को इशारा था कि ऐसी कार्रवाई उनके खिलाफ भी हो सकती है।
इस कार्रवाई में तो कुछ बड़ा सामने नहीं आया। लेकिन, इसके बाद गहलोत एक्टिव हो गए और साथ ही साथ एसओजी भी।