जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । अखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान यानी एम्स में वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू हो गया है। एम्स दिल्ली देश के उन 14 इंस्टीट्यूट में से एक है, जिसे आईसीएमआर ने पहले और दूसरे चरण के ट्रायल की अनुमति दी है। पहले चरण में वैक्सीन का ट्रायल 375 वॉलंटियर्स पर होगा। इनमें से 100 एम्स से शामिल होंगे।
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया कि पहले चरण के वैक्सीन ट्रायल में 18-55 साल के स्वस्थ लोगों को शामिल किया जाएगा। ट्रायल के लिए कुल सैंपल 1125 लिए गए हैं, जिसमें से 375 स्वस्थ लोगों पर पहले चरण में और 12-65 साल के 750 लोगों पर दूसरे चरण में ट्रायल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वैक्सीन के तीन फॉर्मुलेशन ट्राई किए जाएंगे। पहले फेज में हम देखेंगे कि ये कितना सुरक्षित है और इसका कितना डोज दिया जाना चाहिए। तीसरे फेज में इसका प्रयोग ज्यादा आबादी पर किया जाएगा। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि वैक्सीन के साथ एक कंट्रोल आर्म भी होगा जिसको हम प्लेसिबो कहते हैं। कुछ लोगों को वैक्सीन दिया जाएगा और कुछ को कंट्रोल। दोनों में इम्युनोजैनिटी का अंतर देखा जाएगा। ये ट्रायल एम्स में ही होगा।
एम्स की एथिक्स कमेटी ने कोवैक्सिन के पहले ह्यूमन ट्रायल को मंजूरी दे दी है। ट्रायल में शामिल होने के लिए 10 घंटे में 10 हजार से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। अभी केवल दिल्ली-एनसीआर के लोगों के रजिस्ट्रेशन को मंजूरी दी जाएगी।
ट्रायल में शामिल होने के लिए ऐसे कराएं रजिस्ट्रेशन
एम्स दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. संजय राय के मुताबिक, जो लोग वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल में शामिल होना चाहते हैं, वो मोबाइल नम्बर 07428847499 पर अपना नाम रजिस्टर्ड करा सकते हैं या चाहें तो रजिस्ट्रेशन के लिए ctaiims.covid19@gmail.com पर मेल भी कर सकते हैं। जिस शख्स पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल होगा उसका पहले कोविड टेस्ट होगा। ट्रायल स्वस्थ लोगों पर होगा। मेडिकल चेकअप में ब्लड, बीपी, किडनी और लिवर से जुड़ी बीमारियां न पाए जाने के बाद ही वैक्सीन की डोज दी जाएगी।
कुछ जगहों पर कम्यूनिटी लेवल पर संक्रमण
डॉ गुलेरिया ने कहा कि, कोरोना वायरस के देशभर में कम्यूनिटी लेवल पर संक्रमण फैलने के सबूत नहीं हैं। लेकिन, जहां हॉटस्पॉट हैं और जिन शहरों में मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, वहां कम्यूनिटी लेवल पर इसके संक्रमण से इनकार नहीं किया जा सकता। कुछ जगहों पर ये पीक पर पहुंच गया है। दिल्ली में ऐसा हुआ है और यहां मामलों में गिरावट आई है।
कुछ राज्यों में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और वे भी कुछ समय बाद पीक पर होंगे। अगर केवल भारत ही नहीं, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया के आंकड़ों की तुलना इटली और स्पेन में या अमेरिका से करें तो हमारे यहां वहां की तुलना में मृत्यु दर बहुत कम है