जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: दिल्ली में हुए सीरो सर्वे के मुताबिक 23 फीसदी आबादी कोरोना से संक्रमित हो चुकी है. बाकी 77 फीसदी आबादी भी सुरक्षित नहीं है और उन्हें सावधान रहने की जरूरत है.
सीरो सर्वे में ब्लड सैंपल के जरिए यह देखा जाता है कि वास्तव में लोगों का कौन सा खंड या अंश संक्रमित हो गया है. क्या आम जनता में कोरोना वायरस से आने वाली एंटीबॉडी मौजूद है? इससे यह पता लगाया जाता है कि ऐसे लोग जिनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं है, क्या् उनमें भी कोरोना वायरस ठीक हो चुका है और उनके शरीर में एंटीबॉडी बनी है?
इस लिहाज से देखें तो सीरो सर्वे के नतीजे बताते हैं कि राजधानी में किस हद तक कोरोना फैल चुका है. अब तक दिल्लीत में तकरीबन 24 फीसद आबादी कोरोना के संक्रमण के चपेट में आई. मतलब उनमें कोरोना एंटीबॉडीज मिली हैं. ज्या दातर लोगों में लक्षण नहीं मिले. यानी इनके शरीर में कोरोना से लड़ने की क्षमता विकसित हो गई. इसका कारण ये है कि 24 प्रतिशत आबादी के कोरोना के संपर्क में आने के बावजूद उस स्तनर पर ना मौतें हुईं और ना ही सामुदायिक संक्रमण हुआ. यानी सर्वे के नतीजे बताते हैं कि ये लोग कोरोना से सुरक्षित हुए और कोरोना का वैसा फैलाव भी नहीं हुआ, जितनी आशंका व्य क्त की जा रही थी.
इसका आशय ये भी है कि इन 24 फीसद लोगों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज तैयार हो गई हैं और ये लोग इस महामारी से पूरी तरह सुरक्षित हैं. शरीर में कोरोना एंटीबॉडीज का मतलब ये भी हुआ कि भविष्या में भी कोरोना इन पर प्रभाव नहीं डाल पाएगा.
नेशनल सेंटर आफ डिसिज कंट्रोल के निदेशक डॉक्टर संजीव कुमार सिंह ने कहा कि दिल्ली में वायरस का सामान्य प्रसार देखने के लिए सीरो सर्वे किया गया. संक्रमितों के शरीर में बने एंटी बॉडी का असर कब तक रहेगा, यह कहना अभी मुश्किल है.
करीब छह महीने में 22.86 फीसदी लोग ही इस वायरस से संक्रमित हुए हैं. दिल्ली में 77 फीसदी जनता के लिए भी संक्रमण का जोखिम काफी ज्यादा है
दिल्ली के 11 में से 8 जिलों में 20 फीसदी से ज्यादा जनसंख्या में इस वायरस का प्रसार हो चुका है. शाहदरा, सेंट्रल, उत्तर और पूर्वोत्तर में यह दर 27 प्रतिशत रही.दिल्ली में बेहतर कंटेनमेंट और टेस्टिंग से कोरोना के प्रसार को कम करने में मदद मिलेगी.
नीति आयोग के मुताबिक सीरो सर्वे 27 जून से लेकर 10 जुलाई के बीच के भीतर था. सर्वे में जून के तीसरे हफ्ते के आंकड़े लिए गए थे.
एनसीडीसी के मुताबिक एक स्तर के बाद वायरस का संक्रमण कम होता जाता है। सीरो सर्वे को वायरस के प्रसार की संभावना से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है।
दिल्ली का कौन सा जिला कितना प्रभावित
जिले प्रसार
दक्षिण दिल्ली 22.12
शाहदरा 27.61
उत्तर पश्चिम 23.31
नई दिल्ली 22.87
मध्य (सेंट्रल) 27.86
दक्षिण पश्चिम 12.95
उत्तर पूर्व 27.7
पूर्व 23.9
उत्तर 25.26
दक्षिण 18.61
पश्चिम 19.13
सीरो सर्वे का मकसद ये जानने के लिए किया गया था कि कितने लोगों का शरीर कोरोना से लड़ने के लिए तैयार हो चुका है. यानी कितने लोगों में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनी हैं या नहीं. इसके लिए सर्वे में एंटीबॉडीज का रैपिड टेस्ट किया गया. इस सर्वे के तहत दिल्ली के 11 जिलों में 27 जून से 10 जुलाई तक किया गया सर्वे. 21387 लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए. 10 शहरों में सर्वे हुआ है. मुंबई, अहमदाबाद, पुणे, सूरत, इंदौर, कोलकाता, ठाणे, जयपुर, चेन्नई और दिल्ली1 में ये सर्वे हुआ.
लॉकडाउन, नियंत्रण एवं निगरानी के उपाय
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दिल्ली के सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन में पाया गया कि शहर के 23.48 प्रतिशत लोग कोविड-19 से प्रभावित हुए हैं. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन के परिणाम दिखाते हैं कि औसतन, पूरी दिल्ली में आईजीजी एंटीबॉडी की मौजूदगी 23.48 प्रतिशत है. यह अध्ययन यह भी दिखाता है कि कई संक्रमित लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं थे.” मंत्रालय ने कहा, “इसका अर्थ है कि वैश्विक महामारी के करीब छह माह के प्रसार के दौरान, दिल्ली में केवल 23.48 प्रतिशत लोग ही प्रभावित हुए जबकि शहर में घनी आबादी वाले कई इलाके हैं.”
मंत्रालय ने इसका श्रेय संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन, नियंत्रण एवं निगरानी के उपाय, संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने समेत सरकार द्वारा किए गए अन्य प्रयासों तथा कोविड के संदर्भ में नागरिकों के उचित व्यवहार को दिया. हालांकि, इसने कहा कि अब भी आबादी का बड़ा हिस्सा संवेदनशील बना हुआ है और इसलिए नियंत्रण के कदम समान कठोरता से जारी रखने होंगे.
मंत्रालय ने कहा कि शारीरिक दूरी, फेस मास्क या कवर का इस्तेमाल, हाथों की स्वच्छता, खांसी करने की तमीज और भीड़-भाड़ वाली जगह से बचने जैसे कदमों का सख्ती से पालन करना होगा.
दिल्ली के सभी 11 जिलों के लिए सर्वेक्षण टीमें गठित की गई थीं. चयनित व्यक्तियों से उनकी लिखित सहमति लेने के बाद रक्त के नमूने लिए गए और उनके सीरम में आईजीजी एंटीबॉडी तथा संक्रमण की जांच की गई. इसके लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा स्वीकृत कोविड कवच एलिसा का इस्तेमाल किया गया.