जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। राजस्थान के सियासी संग्राम पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार सुबह 11 बजे से ही सुनवाई चल रही है। जहां स्पीकर की ओर से जाने- माने वकील कपिल सिब्बल अपना पक्ष रखते हुए हाई कोर्ट के फैसले को गलत साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं बागी गुट की ओर से इस मामले में हरीश साल्वे पक्ष रखेंगे। सिब्बल का कहना है कि स्पीकर के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। स्पीकर के फैसले की न्यायिक समीक्षा हो। वहीं सुनवाई को दौरान अदालत ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध की आवाज को दबाया नहीं जा सकता है। जानिए क्या कहा जा रहा है कोर्ट में…..
– शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय में कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि अभी उच्च न्यायालय के किसी आदेश पर अमल नहीं होगा। अब मामले पर अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
– अदालत ने कपिल सिब्बल से कहा कि इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। इस पर जल्दबाजी में फैसला नहीं हो सकता। बागियों के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि उच्च न्यायालय में सभी तथ्यों पर बहस हुई है अब फैसले पर रोक नहीं लगनी चाहिए। वहीं सिब्बल ने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय में कार्यवाही पर रोक लगनी चाहिए।
– कुछ देर पहले अदालत ने कहा था कि विधायकों को जनता ने चुनकर भेजा है और यदि इन्हें कोई असंतोष है तो उसे सुना जाना चाहिए। इसके जवाब में सिब्बल ने कहा कि स्पीकर के पास संवैधानिक अधिकार हैं और वे विधायकों को नोटिस जारी कर सकते हैं।
– अदालत ने सवाल किया कि आखिर विधायकों को नोटिस किस आधार पर दिया गया, तो सिब्बल ने कहा कि पायलट गुट के विधायकों की गतिविधियां पार्टी विरोधी लग रही हैं इसलिए नोटिस भेजा गया।
– सिब्बल ने कहा- अध्यक्ष से एक तय समय सीमा के भीतर अयोग्यता पर फैसला लेने के लिए कहा जा सकता है, लेकिन कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
– उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष से सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही शुरू करने की वजह पूछी।
– याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा- यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही स्वीकृतियोग्य है या नहीं। विरोध की आवाज को लोकतंत्र में दबाया नहीं जा सकता। यह कोई साधारण मामला नहीं है, ये विधायक निर्वाचित प्रतिनिधि हैं।
– उच्चतम न्यायालय ने पूछा कि क्या कांग्रेस पार्टी से विधायकों को निकाला गया है तो इसके जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी विधायक पार्टी में ही हैं लेकिन बार-बार पार्टी बैठकों में नहीं आने के बाद व्हिप जारी की गई। उन्होंने इसका भी उल्लंघन किया। वकील ने हेमाराम चौधरी का नाम लेते हुए कहा कि विधायक पार्टी बैठक में नहीं आए और सीधा मीडिया में बयान देने लगे जोकि गलत है।
– बागी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी और हरीश साल्वे अदालत में पक्ष रख रहे हैं।
– बागी गुट ने सर्वोच्च न्यायालय से फैसला टालने की अपील की है। सचिन पायलय ने भी अदालत में कैविएट दाखिल की है।
– सिब्बल ने कहा कि पायलट गुट ने स्पीकर के नोटिस का जवाब नहीं दिया और सीधे अदालत का रुख कर लिया। वे स्पीकर के नोटिस को चुनौती नहीं दे सकते हैं। अदालत ने कहा कि असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता है।
– सिब्बल ने कहा कि स्पीकर ने विधायकों से 17 जुलाई तक जवाब देने के लिए कहा था लेकिन इससे पहले ही सचिन पायलट ने अपने समर्थक विधायकों के साथ राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। ये पूरी तरह स्पीकर के अधिकारों का हनन हो है। कानून के अनुसार यदि स्पीकर विधायकों को अयोग्य ठहराने का फैसला सुनाते हैं तब अदालत का रुख किया जा सकता है केवल नोटिस को लेकर उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय जाने का क्या मतलब है।
– शीर्ष अदालत ने कपिल सिब्बल से पूछा है कि स्पीकर ने विधायकों को जो नोटिस भेजा है वो कहां है। इसपर सिब्बल अब उस नोटिस को अदालत को पढ़कर सुना रहे हैं।
– सिब्बल बोले- इस स्तर पर एक सुरक्षात्मक आदेश नहीं हो सकता है। जब राजस्थान उच्च न्यायालय ने नोटिस पर जवाब देने के लिए समय बढ़ाया और कहा कि कोई निर्देश पारित नहीं किया जाएगा, तो यह एक सुरक्षात्मक आदेश था।
– सिब्बल ने कहा कि विधानसभा स्पीकर के फैसले से पहले विधायकों का न्यायालय में जाना न्यायसंगत नहीं है। स्पीकर के पास विधायकों को नोटिस देने का हक है। स्पीकर ने संविधान में दिए गए अधिकारों के अनुरूप ही विधायकों को नोटिस जारी किया है।
– कपिल सिब्बल बोले- स्पीकर के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई रोकी जानी चाहिए।
– सिब्बल बोले- राजस्थान उच्च न्यायालय विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही को स्थगित करने का निर्देश नहीं दे सकती।
– अदालत ने पूछा कि याचिका लंबित हैं और स्पीकर उसे अयोग्य ठहरा देता है तो क्या तब अदालत उसमें दखल नहीं दे सकता। इसके जवाब में सिब्बल ने कहा कि ऐसे मामले में अदालत दखल दे सकती है क्योंकि स्पीकर ने फैसला ले लिया है। फिलहाल स्पीकर ने सिर्फ विधायकों से जवाब मांगा है और इसके खिलाफ विधायकों को अदालत में याचिका दाखिल करने की जरूरत नहीं थी।
– अगर स्पीकर कोई फैसला लेते हैं तो उसके बाद भी अदालत का दखल सीमित होगा।
– सिब्बल ने कहा- स्पीकर के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। अदालत स्पीकर को आदेश नहीं दे सकता।
– कपिल सिब्बल ने 1992 के किहोटो होलोहान केस और 10वें शिड्यूल मे दिए गए स्पीकर के आदेश का हवाला दिया।
आपको बता दें कि कपिल सिब्बल की ओर से स्पीकर की ओर से पक्ष रखा जा चुका है। वहीं हरीश साल्वे दो बजे तक लंदन से वीसी के जरिए जुडेंगे लिहाजा कोर्ट ने सुनवाई को दो बजे तक टाल दिया है। लेकिन कपिल सिब्बल की ओर से दी गई दलीलों पर गौर करें और अभी तक इस मामले की सुनवाई पर विश्लेषण किया जाएं, तो कोर्ट की ओर से दो तीन महत्वपूर्ण बातें कही गई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि असंतोष की आवाज को इस तरह दबाया नहीं जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि जो विधायकों को लेकर बात की जा रही है, उन्हें अपनी बात रखने का हक है, क्योंकि उन्हें जनता ने चुना है। कोर्ट ने सिब्बल से महत्वपूर्ण सवाल करते हुए कहा कि हाईकोर्ट की ओर से 24 जुलाई तक फैसला सुरक्षित रखा गया था तो आप एक दिन का इंतजार क्यों नहीं कर सकते ? कल ही तो 24 जुलाई है। वहीं सिब्बल के आखिरी बयान को देखा जाएं, तो उन्हंने कोर्ट के सामने यह कहा कि कुछ मुसले पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र से जुड़े होते हैं ?
स्पीकर के क्षेत्राधिकार का इस तरह हनन नहीं किया जा सकता, उन्हें तय करने दीजिए कि विधानसभा के बाहर उन पर कार्रवाई हो सकती है या नहीं । कुल मिलाकर देखा जाएं, तो अभी तक जहां सिब्बल ने अपना पक्ष मजबूती से रखा है। वहीं कोर्ट ने दमदार सवालों के सिब्बल को कई जवाब देने के लिए बाध्य कर दिया है, लेकिन फैसला आने से पहले देखना यह होगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।