जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य में पड़ रहे केंद्रीय एजेंसियों के छापों से वे घबराने वाले नहीं हैं और न ही उनका मिशन रुकेगा। एक जमाने में छापा पड़ने के बाद पता चलता था कि छापा पड़ गया है। अब हालात यह है कि तीन चार दिन पहले ही शहरों में खबर हो जाती है कि छापे पड़ने वाले हैं। अब उसी रूप में छापे पड़ रहे हैं। गहलोत ने कहा कि इन छापों से न हम घबराने वाले हैं न हमारा मिशन रुकने वाला है। भाजपा की नीतियां व कार्यक्रम हो या सिद्धांत देश का बर्बाद करने वाले हैं। ये फासीवादी लोग हैं, लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं।
अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रदेश के वर्तमान संकट को लेकर पत्र लिखने पर सफाई देते हुए कहा कि ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकि कल को वे ये ना कह दें कि मुझे इसकी जानकारी ही नहीं थी। गहलोत ने 22 जुलाई को पीएम मोदी को एक पत्र लिखकर उन्हें प्रदेश के राजनीतिक हालात से अवगत कराया है।
उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन एजेंसी (ईडी) ने हाल ही में अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले कई लोगों के प्रतिष्ठानों व परिसरों पर छापे मारे हैं। निदेशालय ने बुधवार को गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत के घर पर भी छापे मारे।
गहलोत ने कहा, ईडी (प्रवर्तन एजेंसी) की कार्रवाई हो, आयकर विभाग की हो या सीबीआई की हो। छह साल से लगातार मैं खुद बोल रहा हूं, पूरा देश बोल रहा है कि जिस प्रकार से कार्रवाइयां शुरू हुई हैं नरेंद्र मोदी के राज में, अमित शाह के इशारे पर सीबीआई, ईडी, सबको मालूम है किस रूप में काम कर रही हैं। यह कोई नई बात नहीं है।
वहीं, प्रधानमंत्री को लिखे गए इस पत्र को लेकर गहलोत ने कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री को पत्र इसलिए लिखा था क्योंकि यह लोकतंत्र है। मैंने यह पत्र इसलिए लिखा था जिससे वह यह न कहें कि उनके पास इस घटनाक्रम की जानकारी नहीं थी या उनके लोगों ने उन्हें अपर्याप्त जानकारी दी। मैंने इसे इसलिए लिखा जिससे अगर मैं उनसे मिलूं तो वह यह न कह सकें कि उन्हें इसके बारे में पता नहीं था।’
अमेरिका भेजकर करा लें ऑडियो टेप की जांच : गहलोत
गहलोत ने कहा, अगर उन्हें लगता है कि उन्हें राजस्थान सरकार पर भरोसा नहीं है, तो वह ऑडियो टेप को वॉइस टेस्ट के लिए अमेरिका में एफएसएल एजेंसी को भेज सकते हैं। उन्हें आगे आना चाहिए और वॉइस टेस्ट कराना चाहिए। केंद्रीय मंत्री, विधायक, सांसद भाषण देते हैं, इसलिए सभी को पता होता है कि यह उनकी आवाज है। फिर भी उनकी पहली प्रतिक्रिया यही रहती है कि ‘यह मेरी आवाज नहीं है’।
‘चुनी हुई सरकार गिराने की कोशिश जनता का अपमान’
बता दें कि राजस्थान में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह बताया था कि राज्य में कांग्रेस की चुनी गई सरकार को गिराने की कोशिश हो रही है। गहलोत ने इस पत्र में प्रधानमंत्री का ध्यान लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ विधायकों की खरीद फरोख्त के जरिए सरकार गिराने की कोशिशों की ओर आकर्षित किया था।
गहलोत ने पत्र में लिखा था कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के इस दौर में जीवन रक्षा ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। ऐसे में राजस्थान में चुनी हुई सरकार को गिराने का कुप्रयास किया जा रहा है। इस कृत्य में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भाजपा के अन्य नेता व हमारे दल के कुछ अति महत्वाकांक्षी नेता भी शामिल हैं।’ गहलोत ने इन कोशिशों को जनता का अपमान करार दिया था।
पूनिया बोले, पत्र से साफ है कि सरकार अल्पमत में है
वहीं, गहलोत के इस पत्र को लेकर राजस्थान में भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बुधवार को कहा था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र से यह स्पष्ट हो गया है कि उनकी सरकार अल्पमत में है। उन्होंने कहा, गहलोत द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे पत्र से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार अल्पमत में है और अस्तित्व बचाने की कोशिश कर रही है।
दूसरी ओर, उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान के बर्खास्त उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों की याचिका पर अपना आदेश सुनाने की राज्य के उच्च न्यायालय को बृहस्पतिवार को अनुमति दे दी, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसकी व्यवस्था विधानसभा अध्यक्ष द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका पर आने वाले निर्णय के दायरे में होगी।
हालांकि, इस मामले में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सी पी जोशी अपनी उन दलीलों पर शीर्ष अदालत से किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत पाने में विफल रहे जिसमें कहा गया था कि संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत उनके द्वारा की जा रही अयोग्यता की कार्यवाही से उच्च न्यायालय उन्हें रोक नहीं सकता।