जनजीवन ब्यूरो / जयपुर । राजस्थान का सियासी ड्रामा राज्यपाल भवन तक पहुंच चुका है। राजनीति के इतिहास में यह पहला अवसर है जब राज्यपाल भवन पर भी धरना प्रदर्शन किया गया है। यदि यही हालात रहे तो राष्ट्रपति भवन पर भी धरने प्रदर्शन शुरु हो जाएंगे। विधायक विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र से सामूहिक आग्रह करने पहुंचे हैं। जो लोग यह मान रहे हैं कि राजस्थान हाईकोर्ट ने सचिन पायलट के पक्ष में फैसला दिया है उन्हें यह पता होना चाहिए कि विधानसभा अध्यक्ष के मामले पर यह फैसला आया है। फिलहाल राज्य के सीएम अशोक गेहलोत विधानसभा सत्र को लेकर आगे की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।
माकपा के विधायक बलवान पूनियां और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक भी इनमें शामिल हैं। अशोक गहलोत का खेमा विधानसभा के जरिए पायलट गुट के विधायकों को बर्खास्त करना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत जब राज्यपाल से मुलाकात कर रहे थे तो बाकी विधायक मंत्री बाहर लॉन में इंतजार कर रहे थे। इस दौरान इन विधायकों ने नारेबाजी की। विधायकों ने ‘हर जोर जुल्म की टक्कर में इंसाफ हमारा नारा है’, ‘इंकलाब जिंदाबाद’, ‘अशोक गहलोत संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं, ‘अशोक गहलोत जिंदाबाद’ के नारे लगाए।
गहलोत ने संवादाताओं से कहा कि राज्यपाल मिश्र ऊपर से दबाव के कारण विधानसभा सत्र नहीं बुला रहे हैं। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनके पास बहुमत है और विधानसभा में ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ हो जाएगा। गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों के साथ राजभवन की ओर रवाना होने से पहले संवाददाताओं के समक्ष यह बात कही थी। गहलोत ने कहा, ‘हमारा मानना है कि ऊपर से दबाव के कारण वह (राज्यपाल) अभी विधानसभा सत्र बुलाने के लिए निर्देश नहीं दे रहे हैं। इस बात का हमें बहुत दुख है। जबकि हम सत्र बुलाना जाना चाहते हैं।’
जयपुर के बाहरी क्षेत्र में स्थित एक होटल से ये विधायक बसों से अपराह्र लगभग ढाई बजे राजभवन पहुंचे। ये विधायक विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र से सामूहिक आग्रह करने पहुंचे थे। माकपा के विधायक बलवान पूनियां और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक भी इनमें शामिल थे।
राजस्थान के मंत्री प्रताप सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि हमारे पास बहुमत है। सरकार के पास 109 विधायकों का समर्थन हासिल है। उन्होंने सचिन पायलट और बीजेपी पर एक होने का भी आरोप लगाया। वहीं,
इससे पहले राजस्थान हाई कोर्ट ने सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गए अयोग्यता के नोटिसों पर यथास्थिति बरकरार रखने का शुक्रवार को आदेश दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस पार्टी द्वारा शिकायत दिए जाने के बाद इन विधायकों को 14 जुलाई को नोटिस जारी किया था। कांग्रेस ने शिकायत में कहा था कि विधायकों ने पिछले हफ्ते बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए जारी व्हिप का उल्लंघन किया। कांग्रेस ने पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई की मांग की थी।
कानून के मुताबिक अगर किसी राज्य की सरकार लगातार दो बार राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग करते हैं तो वे इसका आदेश देने के लिए बाध्य हैं। फिलहाल सीएम अशोक गहलोत पहली बार विधानसभा का सत्र बुलाने का अनुरोध करने पहुंचे हैं। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि सीएम अशोक गहलोत बताएं कि आखिर वह विधानसभा का सत्र क्यों बुलाना चाहते हैं। फिलहाल राज्यपाल ने कहा है कि वह कानूनी सलाह लेने के बाद ही विधानसभा सत्र बुलाने पर फैसला लेंगे।